जीआई ग्रुप ने जारी की रिपोर्ट ’’द ग्रेट इंडियन कंज़म्पशन स्टोरी’’: रिटेल, ईकॉमर्स और लॉजिस्टिक्स तरक्की की राह पर हैं अग्रसर
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली:
- ईकॉमर्स के मामले में तेज़/दमदार वृद्धि करने वाले शहरों में शामिल हैं बैंगलुरु (93 प्रतिशत), मुंबई (92 प्रतिशत) और चेन्नई (88 प्रतिशत); इनके बाद हैं कोलकाता (67 प्रतिशत), अहमदाबाद (57 प्रतिशत)
- सस्टेनेबिलिटी जोर पकड़ रही है, 40 प्रतिशत रिटेलर ऊर्जा-कुशल स्टोर डिजाइन अपना रहे हैं, जिसे ब्रांड की प्रतिष्ठा में सुधार हुआ है (47 प्रतिशत) और प्रतिस्पर्धा में फायदा मिल रहा है (40 प्रतिशत)
- जीआई ग्रुप होल्डिंग इंडिया के सर्वे के अनुसार आधे से ज्यादा रिटेलर (52 प्रतिशत) इस साल नए स्नातकों को भर्ती करने की योजना बना रहे हैं और पांच में से दो (38 प्रतिशत) अनुभवी पेशेवरों को नियुक्त करने की सोच रहे हैं
- लगभग सभी रिटेलर (83 प्रतिशत) सेल्स/मार्केटिंग में कौशल की कमी को दूर करने के इच्छुक हैं। लॉजिस्टिक्स (77 प्रतिशत) और तकनीकी/विश्लेषक कौशल वालों की बड़े स्तर पर तलाश है
जीआई ग्रुप होल्डिंग की ताज़ा रिपोर्ट ’’द ग्रेट इंडियन कंज़म्पशन स्टोरी’’ ने रिटेल, ईकॉमर्स व लॉजिस्टिक्स की वृद्धि के बारे में जानकारी दी है। इन क्षेत्रों में नौकरी को लेकर दिलचस्पी बढ़ी है, खासकर युवाओं में और अत्याधुनिक तकनीक को इनमें तेजी से अपनाया जा रहा है। इस अध्ययन का लक्ष्य है एक परिवर्तनकारी एवं समृद्धकारी श्रम बाजार की रचना करना जिससे कर्मचारियों, संगठनों और समाज को लाभ हो।
व्यापार समूह ग्राहकों की उभरती मांगों की पूर्ति हेतु खुद को तैयार कर रहे हैं, भर्ती के मामले में यह रुझान खास तौर से दिखाई दे रहा है। आधे से ज्यादा रिटेलर (52 प्रतिशत) इस साल नए स्नातकों को नौकरी पर रखने की योजना बना रहे हैं, जबकि पांच में से दो (38 प्रतिशत) अनुभवी पेशेवरों को भर्ती करना चाह रहे हैं। प्रतिभा अधिग्रहण पर जोर यह दर्शाता है कि उद्योग जगत वृद्धि एवं नवोन्मेष के लिए प्रतिबद्ध है।
साल 2023 में रिटेल इंडस्ट्री ने नौकरी के आवेदनों में 8 प्रतिशत इजाफा दर्ज किया, जबकि मांग में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई, यह दर्शाता है कि रिटेल इंडस्ट्री में रुचि बहुत मजबूत है। गौर तलब है कि 86.86 प्रतिशत आवेदक 18 से 30 की उम्र के बीच थे जो दर्शाता है कि युवाजन रिटेल में करियर बनाने में काफी दिलचस्पी रखते हैं। टियर-1 शहर नौकरी के आकांक्षियों के केन्द्र के तौर पर उभरे हैं, कुल आवेदकों में से 58.49 प्रतिशत युवा इन्हीं शहरों से हैं; उनके बाद टियर-2 और टियर-3 शहरों का नंबर आता है। अपेक्षा है कि वितरण का रुझान बरकरार रहेगा, यह उद्योग जगत में जारी गतिशीलता को प्रतिबिम्बित करता है।
इसके विपरीत, वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही के दौरान लॉजिस्टिक्स सेक्टर में सक्रिय नौकरियों में 13.89 प्रतिशत की गिरावट हुई है, जिसके कारण पीक सीज़न के दौरान पूर्ति को लेकर चुनौतियों का सामना करना पड़ा। हालांकि, 2024 शुरु होने के बाद नई नौकरियों में 10.24 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखने में आई, अनुमान है कि इस साल के पीक सीजन तक निरंतर बढ़त होती रहेगी।
इस अनुसंधान के अनुसार ईकॉमर्स कई गुना वृद्धि कर रहा है और अनुमान है कि 2030 तक यह 26 ट्रिलियन रुपए का बाजार हो जाएगा, जो की अभी 8.2 ट्रिलियन का है। चौंका देने वाली यह वृद्धि इस तथ्य को रेखांकित करती है कि भारत की अर्थव्यवस्था में डिजिटल कॉमर्स की कितनी अहम भूमिका है। इसके अलावा कोविड-19 के बाद खुदरा खपत में ठोस इजाफा हुआ है, जिसमें नई पीढ़ी व महिलाओं की प्रमुख भूमिका रही है, इस वृद्धि में इनका योगदान 42 प्रतिशत है। उनकी बदलती पसंद और खरीददारी की आदतों ने खुदरा बाजार को नया आकार दिया है, इस क्षेत्र में नवप्रवर्तन एवं अनुकूलन को आगे बढ़ाया है।
यद्यपि, इस वृद्धि के बीच, चुनौतियां बरकरार हैं। यह रिपोर्ट बताती है कि कौशल विकास की सख्त जरूरत है, 83 प्रतिशत रिटेलर सेल्स/मार्केटिंग में कौशल की कमियों को दूर करने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं; इसके बाद लॉजिस्टिक्स (77 प्रतिशत) और तकनीक/विश्लेषक कौशल का नंबर आता है। वृद्धि को कायम रखने तथा निरंतर डिजिटल होते जा रहे मार्केटप्लेस में प्रतिस्पर्धी बने रहने के लिए इन कमियों को दूर करना बेहद जरूरी है।
रिटेल व ईकॉमर्स सेक्टर में वृद्धि एवं कार्यक्षमता को आगे ले जाने के लिए तकनीक को अपनाया जाना एक महत्वपूर्ण कारक बन कर उभरा है। जिन व्यापारों में उच्च वृद्धि हो रही है उनमें तकनीकी को बड़े पैमाने पर अपनाया जा रहा है, क्योंकि इससे लागत घटती है, इन्वेंट्री का प्रबंधन होता है और प्रयोक्ताओं का अनुभव बेहतर बनता है।
टेक्नोलॉजी का परिवर्तनकारी असर ईकॉमर्स प्लैटफॉर्म से लॉजिस्टिक्स कंपनियों के परे तक जाता है, जो अब क्लाउड सॉल्यूशंस (54 प्रतिशत) और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (37 प्रतिशत) का उपयोग निरंतर बढ़ा रहे हैं ताकि दूर-दराज के इलाकों तक डिलिवरी दे सकें। सप्लाई चेन मैनेजमेंट के लिए इंटरनैट ऑफ थिंग्स यानी आईओटी (40 प्रतिशत) का इस्तेमाल किया जा रहा है जो दर्शाता है कि उद्योग नवाचार एवं कार्यकुशलता हेतु प्रतिबद्ध है।
कोविड-19 के बाद ईकॉमर्स व संबंधित ऐप्स मांग में वृद्धि देखी है, जिन्होंने भोजन एवं किराने के ऑन-डिमांड डिलिवरी ऐप्स को पीछे छोड़ दिया। उपभोक्ता व्यवहार में यह बदलाव डिजिटल कॉमर्स प्लैटफॉर्म की टिकाऊ अपील व सुविधा को रेखांकित करता है। तेज़ व दमदार ईकॉमर्स वृद्धि वाले शहरों में सबसे आगे हैं- बैंगलुरु (93 प्रतिशत), मुंबई (92 प्रतिशत) और चेन्नई (88 प्रतिशत)।
जीआई ग्रुप होल्डिंग की कंट्री मैनेजर सोनल अरोड़ा ने कहा, ’’भारत के रिटेल, ईकॉमर्स व लॉजिस्टिक्स सेक्टर अभूतपूर्व वृद्धि के गवाह बने हैं जिसके पीछे इंटरनैट की बढ़ती पैठ, स्मार्टफोन का बढ़ता इस्तेमाल और बढ़ता मध्य वर्ग जैसे कारक हैं। इस वृद्धि सक्षम लॉजिस्टिक्स समाधानों की मांग में बढ़ोतरी हुई ताकि अंतिम छोर तक सामान पहुंचाने की चुनौतियों से पार पाया जा सके, खासकर टियर-2 एवं टियर-3 शहरों में। ईकॉमर्स एवं रिटेल की बड़ी कंपनियां एवं स्टार्टअप्स भी समान रूप से टेक्नोलॉजी-चालित लॉजिस्टिक्स इंफ्रास्ट्रक्चर में भारी निवेश कर रहे हैं जिसमें वेयरहाउस, फुलफिलमेंट सेंटर व डिलिवरी नेटवर्क भी शामिल हैं जिससे परिचालन को बेहतर व्यवस्थित किया जा सके और ग्राहकों को बेहतर अनुभव दिया जाए। बहरहाल, यह सेक्टर तेजी से विकसित होता रहेगा और नवोन्मेष एवं निवेश के लिए आकर्षक अवसर प्रस्तुत करता रहेगा।
हमारी रिपोर्ट का लक्ष्य है उद्योग वृद्धि के डायनमिक्स, उभरते ग्राहक रुझानों व कारोबारों के सामने पेश आ रही चुनौतियों के बारे में मूल्यवान जानकारी प्रदान कर सकें। इसके अलावा, यह टेक्नोलॉजी की केन्द्रीय भूमिका, भारतीय कार्यबल को उपलब्ध विविध करियर एवं रिटेल व लॉजिस्टिक्स के भीतर सस्टेनेबल तौर-तरीकों की तरफ हो रहे अहम बदलावों पर भी प्रकाश डालती है।’’
रोजगार क्षेत्र में उभरते रुझानः
नौकरी के रुझानों में परिवर्तनः रिटेल बढ़ रहा है, निजीकृत सेवाओं से चालित हो रहा है; सप्लाई चेन की चुनौतियों के चलते लॉजिस्टिक्स धीमा हो रहा है और ईकॉमर्स बदलती मांग के मुताबिक ढलने के लिए चुनिंदा ढंग से भर्तियां कर रहा है।
- 2023 में, रिटेल में नौकरियों के आवेदन 8 प्रतिशत बढ़े, जबकि मांग में 18 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई। नौकरी के आवेदकों में 18 से 30 वर्ष की उम्र के बीच वाले 86.86 प्रतिशत थे।
- इसके विपरीत टियर-1 शहरों से सबसे ज्यादा तादाद में आवेदक आए, जिनका हिस्सा 58.49 प्रतिशत था, इनके बाद टियर-2 व टियर-3 शहरों का नंबर था। अंदाजा है कि वितरण पैटर्न इस पूरे साल जारी रहेगा जो उद्योग के भीतर जारी रुझानों को प्रतिबिम्बित करता है।
- जिन ईकॉमर्स कंपनियों ने डिलिवरी सेवा आउटसोर्स की उन्होंने मुख्यतः लागत घटाने के लिए ऐसा किया (24 प्रतिशत), सेल्स व मार्केटिंग पर बेहतर फोकस के लिए किया (20 प्रतिशत) और अपने कारोबार की आसान बढ़त सुगम करने के लिए ऐसा किया (15 प्रतिशत)।
- लॉजिस्टिक्स सेक्टर में वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही में सक्रिय नौकरियों में 13.89 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई, ऐसा पीक सीजन फुलफिलमेंट के दौरान हुआ। हालांकि 2024 शुरु होने के बाद नई नौकरियां 10.24 प्रतिशत बढ़ी हैं और अंदाजा है कि इस साल पीक सीजन तक ये बढ़ती रहेंगी।
- भर्ती में विविधता पर ध्यान दिया जा रहा है, 30 प्रतिशत रिटेलर महिला कर्मचारियों को तरजीह दे रहे हैं और 40 प्रतिशत ईकॉमर्स कंपनियां डीईआई पहलों को प्राथमिकता दे रही हैं।
- आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और ऑटोमेशन के मोर्चों पर ईकॉमर्स आगे है, यहां अपनाने की दर 56 प्रतिशत है जबकि लॉजिस्टिक्स में 37 प्रतिशत है।
- कोविड के बाद ईकॉमर्स व संबंधित ऐप्स (55 प्रतिशत) ने मांग में थोड़ी ज्यादा वृद्धि देखी इनकी तुलना में भोजन व किराने के ऑन-डिमांड डिलिवरी ऐप्स थोड़ा पीछे रहे (45 प्रतिशत)
- इस क्षेत्र में सबसे ज्यादा मांग में जो उत्पाद श्रेणियां हैं वे हैं इलेक्ट्रॉनिक्स व गैजेट (67 प्रतिशत), ब्यूटी व पर्सनल केयर (46 प्रतिशत) और फैशन व लाईफस्टाईल (42 प्रतिशत); ये आंकड़े महामारी के दौरान व उसके बाद बदलते ग्राहक रुझानों को दर्शाते हैं।