मदांधता में खुदकुशी करने का ‘सौभाग्य’

'Good luck' of committing suicide due to intoxicationनिशिकांत ठाकुर

यदि आप देशहित में कुछ सोचते हैंं, अपने देश के लिए आपका कोई सपना है और आपकी सोच में भारत विश्व का सर्वश्रेष्ठ लोकतांत्रिक  देश है, तो निश्चित रूप से भारत की वर्तमान स्थिति को देखकर आप विचलित हो गए होंगे। आप किसी राजनीतिक दल से जुड़े हैं या नहीं, यहां यह सवाल नहीं है।

इन बातों को आप भूल जाइए और सोचिए कि पिछले कुछ दिनों से दिल को दहलाने वाली जो घटनाएं देश में  घट रही हैं, क्या वह आपके मन और आपके समाज को प्रभावित नहीं कर रहा है? एक—एक कर यदि पिछली घटनाओं का उल्लेख करें तो सबसे पहले जिक्र आता है भारतीय जनता पार्टी के दो प्रवक्ताओं का जिन्होंने जाने-अनजाने देश में ऐसा माहौल बना दिया, जिसका असर भारत के साथ कई अन्य देशों पर भी पड़ा और जिनसे हमारे आर्थिक और सामाजिक सरोकार—संबंध थे, वे सब-के-सब बिखर गए। ऐसे लोग सत्तारूढ़ दल का भला कभी नहीं कर रहे थे, लेकिन ऐसा विष वमन जरूर कर रहे थे जिसने हमारे साथ रहने की सारी स्थितियों को तहस-नहस कर दिया।

एक वही बात बार—बार सामने आती है कि जब तक हमारा समाज पूर्णतः शिक्षित नहीं होगा, हमारा देश भी हिंदू-मुस्लिम, गाय-गोबर जैसे मुद्दों से ऊपर उठ नहीं पाएगा। इन मुद्दों के लिए यदि हम अंतर्मन में झांकें तो पाएंगे कि यह सारा खेल, सारी बातें सत्ता हथियाने के लिए होती हैं और यह सब सियासतदानों द्वारा ही किया ही नहीं, कराया भी जाता है।

किस आक्रोश, किस उकसावे, किस ज्ञान रूपी अधभरी  कलश को छलकाते हुए देश की तथाकथित सबसे बड़ी पार्टी की राष्ट्रीय प्रवक्ता ने एक धर्म विशेष के गुरु के लिए अनर्गल आपत्तिजनक बातें कहीं। किसी के धर्म पर टिप्पणी करना उनके धर्मगुरुओं के प्रति अभद्र और अपमानजनक शब्द बाणों का प्रयोग करने को किस सोच के तहत सही ठहराया जा सकता है? वैसे यह विषय इतना मथा जा चुका है कि इसके लिए कुछ कहना अब उचित नहीं लगता, लेकिन इतना तो कहा ही जा सकता है कि मामला आखिर है क्या…? भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता (अब फ्रिंज) नुपुर शर्मा ने एक खबरिया टेलीविजन चैनल पर 27 मई को बनारस स्थित ज्ञानवापी मसजिद मामले में हिंदू-मुस्लिम के बहस में मुस्लिम धर्मगुरु के लिए अनर्गल तथा  आपत्तिजनक बातें कहीं, जिन बातों को नवीन जिंदल ने स्वीकारोक्ति के रूप में ट्यूटर पर भी डाल दिया।

हालांकि, इन दोनों नेताओं में एक को भारतीय जनता पार्टी ने निकाल बाहर किया, वहीं दूसरे को छह वर्ष के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया। यह तो जो हुआ, उसका उल्लेख है, लेकिन उसके बाद देश ही नहीं, विदेशों में जो माहौल खराब हुआ, वह अब तक ठीक नहीं हो पाया है। अपने देश में दंगे होने लगे और जिन अन्य देशों से वर्षों से हमारे बेहतर व्यापारिक और राजनीतिक संबंध थे, सबने भारतीय राजदूतों को बुलाकर उन्हें अपमानित किया और भारतीय सामग्री को अपने यहां से निकलकर उसकी बिक्री बंद कर दी।

बताने की जरूरत नहीं कि खाड़ी के इन देशों में कितने भारतीय रोजगार कर रहे हैं और उनके ही कारण हमारे देश में कितनी विदेशी मुद्रा भारतीय खजाने में प्रतिवर्ष आता है। समझ में नहीं आता कि क्या ऐसे प्रवक्ता इतने धर्म मर्मज्ञ होते हैं कि वह हर विषय पर और यहां तक कि किसी धर्म के प्रति भी अपने ज्ञानरूपी भंडार का मुंह खोल दे।

यदि ऐसा नहीं है तो फिर तथाकथित भाजपा के फ्रिंज प्रवक्ता नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल ने  मुस्लिम धर्मगुरु के प्रति घटिया आरोपं क्यों लगाए? क्या खबरिया चैनल पर बैठकर इस प्रकार का आरोप-प्रत्यारोप लगाने के लिए ऐसे लोग स्वतंत्र हैं? यदि नहीं तो भारतीय जनता पार्टी ने स्वयं इनलोगों कें खिलाफ मुकदमा दर्ज करा कर उन्हे जेल भेजने का इंतजाम  क्यों नहीं किया।

नुपुर शर्मा और नवीन जिंदल द्वारा पैंगबर मुहम्मद पर की गई टिप्पणी के बाद इस्लामिक देशों का गुस्सा थम नहीं रहा है। कतर के  विदेश मंत्रालय द्वारा भारतीय राजदूत को तलब करने के बाद दूसरे  दिन कतर के डिप्टी अमीर की ओर से भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू के सम्मान में रखा गया डिनर रद्द कर दिया गया।  भारत के उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू दोहा की आधिकारिक यात्रा पर पहुंचे थे। हालांकि बाद में बताया जाने लगा कि उपराष्ट्रपति के साथ कतर के डिप्टी अमीर का डिनर स्वास्थ्य कारणों से रद्द किया गया था। यह भी कहा गया था कि डिप्टी अमीर कोरोना के एक्सपोजर में आए हैं और इस बारे में वेंकैया नायडू के दोहा पहुंचने से पहले ही भारत को बता दिया गया था। पैगंबर के खिलाफ नुपुर शर्मा की टिप्पणी को लेकर भारत के पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान सहित सऊदी अरब, कुवैत, कतर और ईरान ने निंदा की है। इस बीच इन नेताओं पर भाजपा द्वारा निलंबन की कार्रवाई का सऊदी अरब और कतर ने स्वागत किया है। वैसे देश के कई राज्यों के कई थानों में इनके खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुके हैं और वहां की पुलिस पूछताछ के लिए गिरफ्तारी का वारंट लेकर उन्हें ढूंढने के लिए दिल्ली में कैंप कर रही है।

अरब देशों पर भारत की सबसे ज्यादा निर्भरता कच्चे तेल और पेट्रोलियम गैस को लेकर है। भारत अब इस निर्भरता को कम करने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए भारत रूस और अमेरिका से मदद ले रहा है। हालांकि, मौजूदा समय में अगर आंकड़ों को देखें तो ईंधन को लेकर भारत 70 प्रतिशत अरब देशों पर ही निर्भर है।’ अगर अरब देशों से रिश्ते बिगड़े तो भारत में ईंधन का संकट उत्पन्न हो सकता है। इससे देश में महंगाई बढ़ जाएगी। हालांकि, यह एकतरफा नुकसान नहीं होगा। अरब देशों को भी खाद्यान्न, खाद्य तेलों और दवाओं को लेकर नुकसान उठाना पड़ जाएगा। क्योंकि, ये अरब देश काफी हद तक इन चीजों के लिए भारत पर ही निर्भर हैं। दूसरा यह भी कि आर्थिक तौर पर भी अरब देशों को काफी नुकसान उठाना पड़ेगा। मतलब साफ है कि रिश्ते बिगड़े तो दोनों पक्षों को समान रूप से नुकसान उठाना पड़ सकता है।

वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, भारत और खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सभी छह सदस्य देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार 2021-22 में उछलकर 154.73 अरब डॉलर का हो गया। 2020-21 में यह 87.4 अरब डॉलर का था। जीसीसी को भारत का निर्यात 2021-22 में 58.26 प्रतिशत बढ़कर लगभग 44 अरब डॉलर हो गया है, जो 2020-21 में 27.8 अरब डॉलर था। इसी के साथ इन छह देशों का भारत के कुल निर्यात में हिस्सा 2020-21 के 9.51 प्रतिशत से बढ़कर 2021-22 में 10.4 प्रतिशत हो गया है। इन खाड़ी देशों में भारतीय नागरिकों की एक बड़ी संख्या कामकाज को लेकर बसी हुई है। करीब 3.2 करोड़ प्रवासी भारतीयों में से लगभग आधे खाड़ी देशों में काम करते हैं, जो अच्छे पैमाने पर अपने घर, यानी भारत में पैसा भेजते है। विश्व बैंक की नवंबर, 2021 को जारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में वर्ष 2021 के दौरान विदेशों से 87 अरब डॉलर का धन आया।

इसमें से बड़ी मात्रा खाड़ी या जीसीसी देशों की थी। व्यापारिक दृष्टि से भारत और जीसीसी के बीच संबंध इस तरह के हैं। बीते वित्त वर्ष में भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार खड़ी देश ही रहा। 2021-22 में दोनों देशों की बीच व्यापार बढ़कर 43 अरब डॉलर का हो गया, जो 2020-21 में 22 अरब डॉलर था। प्रतिवर्ष 85 लाख टन प्राकृतिक गैस का आयात होता था, बदले में क़तर को अनाज से लेकर मांस, मछली, रसायन और प्लास्टिक दिया जाता है। दोनों देशों के बीच 2021-22 में व्यापार बढ़कर 15 अरब डॉलर का हो गया जो 2020-21 में 9.21 अरब डॉलर था। कुवैत और भारत में द्विपक्षीय लेनदेन बीते वित्त वर्ष में बढ़कर 12.3 अरब डॉलर का हुआ, जो 2020-21 में 6.3 अरब डॉलर का था। वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का तीसरा सबसे बड़े व्यापारिक भागीदार बहरीन के साथ भारत का व्यापार 2021-22 में 1.65 अरब डॉलर का हुआ। 2020-21 में यह एक अरब डॉलर था। इसके अलावा भारत ने एक और खाड़ी देश ईरान के साथ बीते वित्त वर्ष में 1.9 अरब डॉलर का द्विपक्षीय कारोबार किया, जबकि 2020-21 में यह आंकड़ा 2.1 अरब डॉलर का था। संबंधों में खटास आने के बाद इन व्यापारों की क्या स्थिति बनेगी, यह कहना कठिन है।

दुर्भाग्य की बात यह है कि सरकार के खिलाफ विपक्ष को खुलकर नेतृत्व देने वाला आज कोई नहीं है। वर्ष 1972 में इंदिरा गांधी के खिलाफ विपक्ष को नेतृत्व देने के लिए लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे नेता थे, लेकिन आज की तारीख में बिखरे हुए विपक्ष में उन्हें कोई सही दिशा-निर्देश देने वाला लोकनायक जयप्रकाश नारायण व उन जैसा कोई नेता नहीं है। हां, कुछ समय के लिए अन्ना हजारे का उदय हुआ था, लेकिन कुछ ही दिनों बाद उन्होंने अपने आप को समेट लिया और वापस लौट गए। अब वर्तमान राजनीतिज्ञों में केवल एक है जिसमें दूरदर्शिता है और जो समाज को साथ लेकर चल सकता है, लेकिन सत्तारूढ़ ने सबसे पहले उसे ही अपनी मार्केटिंग के माध्यम से जन मानस में ‘पप्पू’ बना दिया। उससे भी जब उसके प्रभाव को कम नहीं किया जा सका तो अब मनी लांड्रिंग के नाम पर पचास घंटे लगातार पूछताछ कराकर  प्रवर्तन निदेशालय के माध्यम से मानसिक रूप से तोड़ देना ,  उत्पीड़ित करके समाज में बदनाम करने का भरपूर प्रयास किया जा रहा है कि संसद राहुल गांधी और उनकी  माता श्रीमती सोनिया गांधी से भ्रष्ट देश में कोई दूसरा नहीं है। सत्तारूढ़ दल के इस डर को जनता अब समझ चुकी है और अब इस इंतजार में है कि कब अवसर हाथ आए, जिसके जरिये वह आज की  सरकार को सबक सिखा सके।

Due to ego and stubbornness, the world is on the cusp of the third world war.(लेखक वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है. लेख में व्यक्त किये गए विचारों से चिरौरी न्यूज़ का सहमत होना अनिवार्य नहीं है. )

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