ग्लोबल बायो-इंडिया में नई टेक्नोलॉजी, स्टार्टअप्स पर फोकस

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: जैव प्रौद्योगिकी नवाचार इकोसिस्टम की संभाव्यता और उसकी तीव्र वृद्धि वैश्विक जैव अर्थव्यवस्था की तरक्की का मुख्य कारक बनी है। वैश्विक रूप से मुख्यतः स्टार्टअप्स, उद्यमियों, अकादमीशियनों और उद्योगों की तरक्की को प्रोत्साहित करने पर ध्यान दिया गया हैजिससे भारतीय जैव प्रौद्योगिकी इको सिस्टम के विकास को गति मिली है। डीबीटी-डीआईआरएसी द्वारा 1 से 3 मार्च 2021 तक ग्लोबल बायो इंडिया का आयोजन किया गया। जिसमें 50 देशों के 6000 से ज्यादा प्रतिनिधियों ने भागीदारी की। इस कार्यक्रम के दौरान कल स्टार्टअप कॉन्क्लेव-इनोवेशन ड्राइवन बायो इकोनॉमी विषयक सत्र काआयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि केन्द्रीय रेल, वाणिज्य एवं उद्योग और उपभोक्ता मामलों, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल ने पांच स्टार्टअप्स द्वारा निर्मित उत्पादों का उद्घाटन किया। इन स्टार्टअप्स में ब्लैक फ्राग टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड, बायोनिक होप प्राइवेट लिमिटेड, जनित्रि इनोवेशंस प्राइवेट लिमिटेड, हैप्पी रिलायबल सर्जरीज़ प्राइवेट लिमिटेड और विविरा प्रोसेस टेक्नोलॉजीज प्राइवेट लिमिटेड शामिल थे। श्री गोयल ने कलाम इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ टेक्नोलॉजी (केआईएचटी) द्वारा निर्मित टेक-ओला की भी शुरुआत की। टेक-ओला एक एकल विंडो ई-मार्केट प्लेस ऐप है जो सभी सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की प्रयोगशालाओं, फैब्रिकेशन और प्रोटोटाइपिंग सेंटरों को एक साथ जोड़कर नवोन्मेषियों को प्रोटेस्टिंग, मैचिंग, प्रोटोटाइपिंग, फैब्रिकेशन, थ्रीडी प्रिंटिंग, वेलिडेशन, मैटेरियल करेक्टराइजेशन, इलेक्ट्रिकल इलेक्ट्रॉनिक्स और लेज़र सर्विस तथा बैच प्रोडक्शन जैसी सेवाओं तक पहुंच मुहैया कराएगा।

गोयल ने चयनित पांच स्टार्टअप को बधाई दी और कहा कि यह भारत के आत्मनिर्भर भारत अभियान के प्रासंगिक विचार के अनुरूप है। श्री गोयल ने इस बात पर ज़ोर दिया कि जैव अर्थव्यवस्था और डिजिटल तथा सूचनात्मक अर्थव्यवस्था का समन्वय जैव-प्रौद्योगिकी की ओर ले जाता है। उन्होंने कहा कि नवोन्मेष, अन्वेषण और अनुसंधान का प्रकाश स्तंभ बनने की देश की क्षमता का प्रदर्शन कर भारत अपनी भावी आर्थिक प्रगति का रास्ता बनाएगा। उन्होंने कहा, “हमें यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि हमारे स्टार्टअप विफलताओं से डरें नहीं, हमें अपने स्टार्टअप्स को पूरा समर्थन देना है ताकि वे अपने आइडियाज़ को वास्तविक स्वरूप देकर व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य बनें।”

गोयल ने जैव-प्रौद्योगिकी के लिए परियोजना विकास प्रकोष्ठ स्थापित करने की औपचारिक घोषणा की और एबीएलई द्वारा तैयार ‘इंडियन बायो इकोनॉमी रिपोर्ट’ तथा आईएफसी द्वारा तैयार ‘बायोटेक इन्वेस्टमेंट पोटेंशियल फॉर इंडियन स्टेट्स रिपोर्ट’को जारी किया। उन्होंने कहा कि भारतीय जैव-प्रौद्योगिकी उद्योग एक नए दौर में प्रवेश करने कर रहा है और ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि वह भारत और समूचे विश्व के लोगों के लिए आर्थिक तरक्की और विकास का रास्ता तैयार करने की क्षमता रखता है।

समन्वित भारतीय जैव अर्थव्यवस्था रिपोर्ट (इंडियन बायो इकोनॉमी रिपोर्ट-आईबीईआर) जैव अर्थव्यवस्था के लिए जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के योगदान को दर्शाने वाले ताजा आंकड़ों पर आधारित है। यह रिपोर्ट और 2024-25 तक के नियमित आंकड़े तरक्की को आंकने और भारतीय जैव प्रौद्योगिकी उद्योग के लिए रोडमैप तैयार करने की दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं। इनमें यह भी देखा जाएगा कि क्या नीतिगत पहलों को आगे बढ़ाने के लिए इसमें कोई गुंजाइश है, इसमें कहां-कहां पर अंतर है और कहां-कहां ऐसेतत्व हैं जो भारतीय जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र के 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर की बायो-इकोनॉमी यात्रा को 2025 तक ले जाने में बाधक या सहायक होंगे।

जैव प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव डॉ. रेणु स्वरूप ने कहा कि 2020 चुनौतियों का साल रहा, लेकिन यह अवसरों का साल भी रहा है। उन्होंने कहा कि यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि चुनौतियों के बावजूद हमारे जैव प्रौद्योगिकी क्षेत्र ने पिछले साल में 850 से अधिक स्टार्टअप्स के साथ तीव्र तरक्की दर्ज की। डॉ. स्वरूप ने कहा, “डायगनोस्टिक्स हमारे लिए सफलता की कुंजी रही है।” उन्होंने बतायाकि आज हम बढ़ते स्टार्टअप्स की वजह से अपने पीपीई किट और एन-95 का निर्यात करने के लिए तैयार हैं।

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