बैठे बिठाए बहाना मिल गया भारतीय ओलिम्पिक संघ को
राजेन्द्र सजवान
दो सप्ताह पहले ही भारतीय ओलंपिक संघ के अध्यक्ष डॉक्टर नरेंद्र बत्रा ने बड़े आत्मविश्वास के साथ कहा था कि स्थगित और साल भर बाद आयोजित होने वाले टोक्यो ओलंपिक खेलों में भारत पदकों की दहाई का आंकड़ा छू लेगा। अर्थात भारत दस या अधिक पदक जीत कर नया कीर्तिमान बना सकता है। लेकिन अब वह कह रहे हैं कि भारतीय खिलाड़ी शायद खाता भी नहीं खोल पाएं।
ऐसा क्या हो गया कि आईओए अध्यक्ष को भारतीय खेलों से यकायक विरक्ति हो गई है। दरअसल, जिसदिन दिल्ली उच्च न्यायालय ने 54 खेल संघों की मान्यता समाप्त की उस दिन के बाद से देशभर में खेलों की दुर्दशा का रोना रोया जाने लगा है। बेशक, कोर्ट के फैसले ने तमाम भारतीय खेलों और खिलाड़ियों की परेशानी बढा दी है। यदि शीघ्र अति शीघ्र सभी खेल बहाल नहीं हो जाते तो ओलंपिक तैयारियों पर असर पड़ेगा। वैसे भी कोरोना के चलते खिलाड़ियों का शिक्षण प्रशिक्षण ठप्प पड़ा है। तीन महीने से भी अधिक समय से लाक डाउन के कारण खिलाड़ी हैरान परेशान हैं। हालांकि यह स्थिति सभी देशों के खिलाड़ियों के साथ है।
सीधा सा मतलब है कि खेल मंत्रालय को अपने प्रयास तेज करने होंगे ताकि कोरोना का कहर थमने या कम होने के साथ ही भारतीय खिलाड़ी ओलंपिक।तैयारियों में जुट जाएं। यदि खेलों की समय पर बहाली नहीं हुई तो खेल मंत्रालय और भारतीय ओलंपिक संघ को खराब प्रदर्शन पर बना बनाया बहाना मिल जाएगा।
भले ही डॉक्टर बत्रा दस या अधिक पदकों का दावा करें लेकिन कोरोना काल से पहले भी भारतीय खेल ऐसी स्थिति में नहीं थे कि उनसे बहुत अधिक की उम्मीद की जा सके। यह न भूलें कि पिछले कई खेलों से पहले सरकार और आईओए ने बड़े बड़े दावे किए और हर बार पोल खुलती आई है।
ज्यादा दूर जाने की जरूरत नहीं है। खेल मंत्री सोनोवाल ने रियो ओलंपिक 2016 में दर्जन भर पदक जीतने का दम भरा। जब उनसे पूछा गया कि कौन कौन से खिलाड़ियों से उम्मीद कर रहे हैं तो बोलते नहीं बन पाया। रियो में बमुश्किल दो पदक मिले। भला हो सिंधु और साक्षी का, वरना एक समय तो लग रहा था कि खाली हाथ लौटना पड़ा सकता है।
लंदन ओलंपिक 2012 में जीते छह पदक भारत के लिए चुनौती बने हुए हैं। यदि समय रहते अमान्य करार दिए गए खेलों की वापसी हो जाती है तो आईओए और मंत्रालय की शिकायत दूर हो जाएगी। लेकिन सवाल यह पैदा होता है कि भारतीय खिलाड़ी किन किन खेलों में पदक जीतने के दावेदार माने जा रहे हैं? सरसरी नजर डालें तो कुश्ती, निशानेबाजी, मुक्केबाजी, बैडमिंटन और शायद पुरुष हॉकी में पदक मिल सकते हैं। लेकिन दावे से कुछ भी नहीं कहा जा सकता। बाकी खेलों में भारत कहाँ खड़ा है, आईओए और मंत्रालय को पता है।
देश के खेल जानकार, विशेषज्ञ और पूर्व खिलाड़ी खेल मंत्रालय के ढुलमुल रवैये से नाराज हैं तो साथ ही यह भी कह रहे हैं कि कोविड 19 और खेल संघों की मान्यता समाप्त करने का बहाना ओलंपिक प्रदर्शन पर मरहम लगाने में मदद करेगा।
हालांकि दुनियाभर में खेल गतिविधियां बंद पड़ी हैं लेकिन हमें तो बस बहाना चाहिए होता है, जोकि सालभर पहले ही मिल गया है।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और विश्लेषक हैं। ये उनका निजी विचार है, चिरौरी न्यूज का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं है।आप राजेंद्र सजवान जी के लेखों को www.sajwansports.com पर पढ़ सकते हैं।)