क्या ब्लड ग्रुप देखकर कोरोना ले रहा है लोगों की जान, जानिये रिसर्च का दावा

अभिषेक मल्लिक

नई दिल्ली: कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया में तबाही मचा रखा है। इससे अब तक दुनिया के विभिन्न देशो के 66 लाख लोग इस बीमारी से संक्रमित हो चुके हैं, और यह संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि अब तक इस महामारी से पूरे विश्व में 3 लाख 89 हजार लोगों की मौत हो चुकी है।

कोरोना वायरस पर दुनियां भर में हर एक दिन रिसर्च हो रहा है। कोरोना वायरस के वैक्सीन लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है, और इस पर भी रिसर्च जारी है।

इटली की कंपनी ‘न्यूज़ मेडिकल साइंस’ वेबसाइट ने एक नए रिसर्च में जो दावा किया गया है वह वाकई में हैरान करने वाला है। रिसर्च में दावा किया गया है कि कोरोना के किस मरीज को सांस लेने में दिक्कत होगी ये उसके ब्लड ग्रुप पर निर्भर करता है।

‘न्यूज़ मेडिकल साइंस’ ने ये सर्वे इटली और स्पेन के हॉटस्पॉट इलाकों में करीब दो हजार मरीजों पर गया। इस रिसर्च में जो सामने आया है उसे जानकार सभी हैरान रह जाते हैं। इस रिसर्च में बताया गया है A पॉजिटिव के ब्लड ग्रुप वाले मरीजों को ज्यादा सांस लेने में दिक्कत होती है, जबकि O पॉजिटिव वाले मरीजों को यह खतरा कम रहता है।
रिसर्च जीन के आधार पर किया गया जिसमें पता चला कि ज्यादातर लोगों की मौत सांस लेने में परेशानी की वजह से ही हुई है। इस रिसर्च के दौरान 2000 ऐसे लोगों के ब्लड भी लिए गए जो कोरोना संक्रमित नहीं थे। और भी ब्लड ग्रुप को लेकर रिसर्च जारी है। कुछ दिन पहले ऐसे ही एक खबर चीन से सामने आई थी जहां करीब 2100 कोरोना पॉजिटिव लोगों पर रिसर्च किया गया था। इसमें भी करीब A ब्लड ग्रुप वाले लोगों की संख्या ज्यादा मिली। जबकि O ब्लड ग्रुप के लोगों में कोरोना के संक्रमण का खतरा A की तुलना में ज्यादा नहीं था। इस रिसर्च के बाद ये भी कहा जा सकते हैं कि A+ ब्लड ग्रुप वाले लोगो पर कोरोना का असर ज्यादा होता है।
इस वायरस का फ़िलहाल कोई इलाज नहीं निकल पाया है। लगभग 100 से ज्यादा कपनियां कोरोना की वैक्सीन बनाने में जुटी है। लेकिन अभी तक किसी को सफलता नहीं मिल पायी है।

इस रिसर्च के दौरान ही दो कंपनीयों ने अच्छी ख़बर दी है उनका दावा है कि उनकी वैक्सीन शुरुआती के दौर में कारगार साबित हो रही है। तो दुसरी तरफ अमेरिका की एक कंपनी का ट्रायल दूसरे दौर तक पहुँच चुका है। लेकिन अभी तक किसी को ठोस कामयाबी नही मिल पायी है। लेकिन चीन की एक कंपनी ने 99 फीसदी इसपर असर करने का दावा किया है। हालांकि इस बात में कितनी सच्चाई है इस बात की पुष्टि होने में अभी वक़्त लग सकता है। इस वैक्सीन को कई और दौर से गुजरना पड़ेगा। फ़िलहाल कोरोना महामारी से बचने के लिए डॉक्टरों द्वारा दी गयी सलाह पर ही काम करना होगा।

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