पुनर्वास प्रस्ताव पर जोशीमठ के निवासियों ने कहा, ‘स्पष्टता की कमी’

Satellite survey in 'landslide-subsidence area' Joshimath, 4,000 people were evacuated to a safe placeचिरौरी न्यूज़

जोशीमठ: चमोली जिला प्रशासन द्वारा जोशीमठ में भू-धंसाव से प्रभावित लोगों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन के लिए तीन प्रस्ताव स्थानीय लोगों को अच्छे नहीं लगे और उन्होंने कहा कि सरकार के दिए गए विकल्पों में ‘स्पष्टता की कमी’ थी।

चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने सोमवार को जोशीमठ कस्बे में भू-धंसाव से प्रभावित परिवारों के पुनर्वास और पुर्नस्थापना के लिए तीन विकल्पों का प्रस्ताव दिया. अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन की अध्यक्षता में जोशीमठ संकट पर उच्चाधिकार प्राप्त समिति की बैठक के दौरान यह जानकारी साझा की गई.

जोशीमठ व्यापार मंडल के अध्यक्ष नैन सिंह भंडारी ने कहा, “उन्होंने प्रभावित परिवारों को जो क्षेत्र आवंटित करने का प्रस्ताव दिया है, वह पर्याप्त नहीं है। दूसरे, विकल्पों में स्पष्टता का अभाव है कि हमें बाजार दर से कितना प्रतिशत अधिक भुगतान किया जाएगा। तीसरा, प्रस्ताव यहां प्रभावित होने वाली व्यावसायिक गतिविधियों के बारे में कुछ नहीं कहते हैं और इस बारे में अस्पष्टता है कि वे वाणिज्यिक संरचनाओं के लिए भुगतान कैसे करेंगे।

जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के संयोजक अतुल सती ने कहा, ‘यह सिर्फ एक प्रस्ताव है। उसमें भी स्पष्टता का अभाव है। प्रभावित लोगों के पुनर्वास के लिए सरकार की नीतिगत रूपरेखा अभी आनी बाकी है। ये केवल जानकारी के टुकड़े हैं।”

“उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वे किस दर पर मुआवजे का भुगतान करेंगे। हमने उनसे केंद्र की पुनर्वास और पुनर्स्थापन नीति, 2007 पर विचार करने के लिए कहा था, जिसमें व्यवसायियों सहित समाज के हर वर्ग को शामिल किया गया है। प्रस्ताव अब राज्य कैबिनेट के पास जाएंगे। देखते हैं कि कैबिनेट किस रूप में प्रस्ताव पारित करता है।

जिला प्रशासन द्वारा प्रस्तावित तीन विकल्पों में से प्रथम में प्रभावित भूस्वामियों को आर्थिक सहायता प्रदान कर एक मुश्त समझौता किया जायेगा। प्रभावित भूमि/भवन को हुए नुकसान की क्षतिपूर्ति के रूप में निर्धारित मापदण्डों के अनुसार भुगतान किया जायेगा। पूर्ण भुगतान करने के पूर्व प्रभावित व्यक्ति की भूमि/भवन का राज्य सरकार के पक्ष में निबंधन कराना होगा।

द्वितीय विकल्प के तहत प्रभावित भूमि के सापेक्ष गृह निर्माण हेतु प्रभावित स्वामियों को अधिकतम 100 वर्ग मीटर क्षेत्रफल तक भूमि उपलब्ध करायी जायेगी तथा प्रभावित ढाँचे का मुआवजा दिया जायेगा। 100 वर्ग मीटर से अधिक भूमि के मामले में प्रभावित भूस्वामियों को शेष भूमि का भुगतान नियमानुसार किया जायेगा।

तीसरे विकल्प के तहत प्रभावितों के पुनर्वास के लिए चिन्हित स्थान पर अधिकतम 75 वर्ग मीटर क्षेत्रफल तक की भूमि पर भवन का निर्माण किया जायेगा। यदि प्रभावित आवासीय भवन/भूमि का मूल्यांकन प्रदान की जा रही भूमि/आवास से अधिक है तो शेष राशि का भुगतान प्रभावितों को किया जायेगा।

दो अन्य विकल्पों की भांति कार्यवाही से पूर्व संबंधित आपदा प्रभावित भूमि/भवन की रजिस्ट्री राज्य सरकार के पक्ष में करनी होगी।

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