केकेएफआई और अल्टीमेट खो-खो ने पहली बार खिलाड़ियों के लिए वैज्ञानिक प्रशिक्षण की शुरुआत की
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: कोरोनावायरस महामारी के कहर के बाद जहां खेलकूद से जुड़ी गतिविधियां दोबारा शुरु करने की कवायद अभी शुरुआती दौर में है, वहीं भारतीय खो-खो फेडरेशन (KKFI) ने अल्टीमेट खो-खो (UKK) के साथ मिलकर अपने खिलाड़ियों के कौशल को निखारने की पूरी तैयारी कर ली है। इसके लिए पहली बार एक अनूठा कार्यक्रम “Rise in Sports Excellence” शुरु किया जा रहा है, जिसमें खिलाड़ियों के प्रदर्शन का उच्च स्तरीय आंकलन और वैज्ञानिक विश्लेषण के साथ साथ उनकी प्रगति पर नजर रखी जाएगी।
ये कैंप 18 जनवरी से 16 फरवरी तक मानव रचना स्पोर्ट्स साइंस सेंटर और एसजीटी यूनिवर्सिटी में आयोजित किया जाएगा। जहां 18 महिला खिलाड़ियों समेत 138 खिलाड़ियों को बेहद अनुभवी विशेषज्ञों की निगरानी में लगभग एक महीने कड़ी ट्रेनिंग से गुजरना होगा। इस कवायद का मकसद बेहतरीन ट्रेनिंग और देखरेख के जरिये ऐसे एथलीट्स की पौध तैयार करना है, जो आने वाले समय में इस खेल के चैंपियन बन कर उभरें।
मंगलवार को इस प्रशिक्षण शिविर का शुभारंभ किया गया। इस मौके पर केन्द्रीय खेल मंत्री किरेन रिजिजू और भारतीय ओलंपिक संघ के महासचिव राजीव मेहता के साथ साथ कई दिग्गज खिलाड़ी मौजूद रहे। इनमें ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता अभिनव बिंद्रा, भारत के लिए ओलंपिक में लगातार दो बार पदक जीतने वाले पहले खिलाड़ी सुशील कुमार के अलावा क्रिकेटर सुरेश रैना और मोहम्मद शमी का नाम शामिल है। देश में पहली बार किसी कैंप में वैज्ञानिक तरीके से खिलाड़ियों का आंकलन किया जाएगा जिसके लिए पूरे देश से खो-खो खिलाड़ियों को चुना गया है।
इस बड़ी पहल को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए देश की दो शीर्ष संस्थाओं-मानव रचना खेल विज्ञान केन्द्र, फरीदाबाद और एसजीटी विश्वविद्यालय, गुरुग्राम- को शामिल किया गया है। ये संस्थान अपनी अत्याधुनिक दक्षता के साथ खेल विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी हैं।
खेल मंत्री रिजिजू ने कहा, “मुझे हमेशा से लगता है कि खेल विज्ञान ही खेलों का भविष्य है। अगर भारत को खेल महाशक्ति बनाना है, तो हर खेल को विकसित करना होगा। खासतौर पर खो-खो जैसे रफ्तार पर आधारित देसी खेल। फेडरेशन और अल्टीमेट खो-खो ने इतने कम वक्त में इतना विस्तृत कार्यक्रम शुरु करके एक सराहनीय काम किया है। मैं सुधांशु(मित्तल) जी के साथ साथ अमित बर्मन जी को बधाई देता हूं, जिन्होंने इस कार्यक्रम को अपना समर्थन दिया। भारतीय खेलों को कॉरपोरेट जगत की मदद की जरूरत है और अमित जी की मौजूदगी इस दिशा में बिल्कुल सही कदम है”।
ये प्रशिक्षण शिविर लगभग एक महीने का है जिसमें खिलाड़ियों को कड़ी ट्रेनिंग दी जाएगी। साथ ही उनके प्रदर्शन पर निगरानी रखते हुए विश्लेषण किया जाएगा। इसमें खेल विज्ञान के अलग अलग पहलुओं-फिजियोथेरेपी, रिहैबिलिटेशन, चोट के प्रबंधन, बायोमैकेनिक्स, बायोकाइनेटिक्स, खेल प्रदर्शन विश्लेषण, पोषण संबंधी मार्गदर्शन और पोस्चर करेक्शन- को अमल में लाया जाएगा। इस प्रशिक्षण के जरिये लगभग 10 महीने के अंतराल के बाद खेल गतिविधियां दोबारा शुरु हो जाएंगी। इस प्रशिक्षण को तीन चरणों- बदलाव, प्रारंभिक और प्रतियोगी चरण- में बांटा गया है।
भारतीय खो-खो महासंघ के अध्यक्ष सुधांशु मित्तल ने कहा, “मैं खेलमंत्री श्री किरेन रिजीजू को यहां आकर खिलाड़ियों का हौंसला बढ़ाने के लिए धन्यवाद कहना चाहता हूं। ये प्रशिक्षण शिविर भविष्य में मील का पत्थर बनेगा क्योंकि यहां खेल विज्ञान और तकनीक के जरिये खिलाड़ियों को निखारा जाएगा। इस कार्यक्रम को समर्थन देने के लिए मैं खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण और हमारे साझीदार अल्टीमेट खो-खो का आभारी हूं। हमारा लक्ष्य ऐसे खिलाड़ियों का विस्तृत दल बनाना है जो आनेवाली चुनौतियों का सामना करते हुए अंतर्राष्ट्रीय मंच पर देश का परचम लहरा सकें”।
अल्टीमेट खो-खो ने इस देसी खेल में निवेश करते हुए प्रोत्साहन देकर अहम भूमिका निभाई है। लीग के प्रमोटर और डाबर ग्रुप के चेयरमैन अमित बर्मन ने अगले 5 साल में 200 करोड़ के निवेश का एलान किया है। इस निवेश का बड़ा हिस्सा खेल को जमीनी स्तर पर विकसित करने केन्द्रित रहेगा और इस वैज्ञानिक खेल कार्यक्रम के जरिये खेल का स्तर बेहतरीन करने में मदद मिलेगी। ये प्रक्रिया किसी भी खेल को वैश्विक स्तर तक पहुंचाने के लिए सबसे अहम है।
अल्टीमेट खो-खो के प्रमोटर अमित बर्मन ने कहा, “मैंने अपना ध्यान हमेशा वक्त से आगे की सोचने और विचारों को ब्रांड में तब्दील करने पर लगाया है। अल्टीमेट खो-खो भी इससे अलग नहीं है क्योंकि हमारी सोच है कि खेल को जमीनी स्तर पर बेहतर बनाते हुए इसे अगले मुकाम तक पहुंचाया जाए। अगर खेल का विकास करना है तो हमें अपने खिलाड़ियों की प्रतिभा को निखारने के लिए इसमें तकनीक का इस्तेमाल करना जरूरी है। इसके साथ साथ हाई परफॉर्मेंस ट्रेनिंग देने से हमारे खिलाड़ी विश्वविजेता चैंपियन बन सकते हैं”।
नये नये प्रयोगों को बारे में जानकारी देते हुए अल्टीमेट खो-खो के सीईओ तेनजिंग नियोगी ने कहा, “मैं इस बात में यकीन करता हूं कि अच्छी व्यवस्था और प्रक्रिया के जरिये चैंपियन खिलाड़ी तैयार किये जाने चाहिए और इसके लिए हाई परफॉर्मेंस कार्यक्रम बेहद जरूरी हैं। अल्टीमेट खो-खो सभी टीम मालिकों को बेहद दमदार और प्रतिस्पर्धी पेशेवर खिलाड़ी उपलब्ध कराएगा। इन खिलाड़ियों में जबर्दस्त दमखम, जोश और फुर्ती होगी जो खेल के साथ साथ व्यवसायिक और विज्ञापन से जुड़ी गतिविधियों में भी हिस्सा लेंगे। ये कैंप से खिलाड़ियों का खेल कौशल बढ़ाने के साथ लगातार चैंपियन खिलाड़ी तैयार किये जाएंगे। इससे भारतीय खेलों का सतत विकास सुनिश्चित करने की प्रक्रिया अमल में आएगी”।
यहां एक प्रदर्शनी मैच भी खेला गया जिसमें सितारा खिलाड़ियों को खो-खो खिलाड़ियों के साथ टीम में शामिल किया गया। ये मैच नये नियमों के साथ बेहद तेज तर्रार फॉर्मेट में खेला गया। ये नये नियम इस साल के आखिर में होने वाली खो-खो लीग में लागू किये जाएंगे। इस कैंप के आखिरी चरण में 8 टीमों के साथ 5 दिनों की प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। प्रतियोगिता में खिलाड़ियों के दो पूल बनाए जाएंगे और खिलाड़ियों की फुर्ती और दमखम के साथ साथ रफ्तार और खेल कौशल का भी परीक्षण होगा।