कोलकाता को भी भारत की राजधानी बनाया जाये: ममता बनर्जी

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता को भारत की एक राजधानी बनाने की मांग की। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों के जमाने में कोलकाता ही देश की राजधानी होती थी। दिल्ली में क्या है? दिल्ली में तो अधिकतर बाहरी लोग रहते हैं। हालांकि, वहां के लोग अच्छे हैं। वहां का मुख्यमंत्री अरविंद भी अच्छा है। उसे भी केंद्र सरकार काम नहीं करने दे रही।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत में 4 राजधानियां होनी चाहिए, जिनका रोटेशन होता रहे। अंग्रेजों ने पूरे देश में कोलकाता से ही देश में शासन किया। देश में केवल एक ही राजधानी क्यों रहनी चाहिए।

आज नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयन्ती के मौके पर ममता बनर्जी ने कहा कि पूरे देश में आज का दिन देशनायक दिवस के रूप में मनाया जायेगा। तृणमूल कांग्रेस के सभी कार्यकर्ता इस दिन को देशनायक दिवस के रूप में मनायेगा। आठ किमी लंबी पदयात्रा के बाद ममता बनर्जी बीजेपी पर जमकर बरसीं । उन्होंने पहले पदयात्रा में शामिल होने के लिए सभी लोगों का शुक्रिया किया। नेताजी के जन्मदिन पर राष्ट्रीय अवकाश घोषित किए जाने की मांग की। केंद्र सरकार पर हमला बोलते हुए ममता ने कहा, बीजेपी लोगों को बांटना चाहती है. मेरी लड़ाई देश के लिए है।

रोड शो के बाद नेताजी भवन में पहुंची पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने कहा कि नेताजी एक दर्शन हैं, उनके जैसे देशप्रेमी बहुत कम हुए। नेताजी का मतलब है एक आवेग। रवींद्रनाथ टैगोर ने सबसे पहले नेताजी सुभाषचंद्र बोस को देशनायक की संज्ञा दी थी। इसलिए तृणमूल कांग्रेस की सरकार उनकी 125वीं जयंती को देशनायक दिवस के रूप में मना रहा है।

उन्होंने रोड शो में लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास को बदलने की कोशिश हो रही है। उन्होंने कहा कि भारत के इतिहास को भूल जाने से काम नहीं चलेगा। इतिहास नये सिरे से नहीं लिखा जाता। इतिहास को समझना पड़ता है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस हमारे आवेग हैं, हमारे चिंतन, मनन, दर्शन हैं।

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने योजना आयोग की स्थापना की थी। इस सरकार ने उसे खत्म करके नीति आयोग बना दिया। नीति आयोग बना सकते थे, लेकिन इसके लिए प्लानिंग कमीशन को खत्म करने की क्या जरूरत थी।

ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र और राज्य के संबंध खत्म हो गये हैं। केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें बात नहीं कर पातीं। पहले हम अपने अधिकारियों के साथ योजना आयोग के दफ्तर में जाते थे। अपनी योजनाओं के बारे में उनसे चर्चा करते थे। आज वो माहौल नहीं है। केंद्र-राज्य सहयोग खत्म हो रहा है। दोनों के बीच का संवाद खत्म हो रहा है।

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