श्रमिक ट्रेन में नहीं मिली सीट तो कार खरीद कर पहुँच गए गाँव!

शिवानी रजवारिया

नई दिल्ली: अगर एक बार ठान लिया कि घर जाना है, तो जाना है। फिर उसके लिए क्यों न अपनी सारी जमा पूंजी ही खर्च करना पड़े। हालांकि कईयों को ये कदम एक मूर्खतापूर्ण लगेगा लेकिन जिसने लगातार तीन दिनों तक श्रमिक ट्रेन में एक सीट पाने के लिए इंतज़ार किया हो, और फिर भी उसकी बारी न आई हो, उसके लिए ऐसा निर्णय लेना कोई अतिशय नहीं है।

यहाँ बात कर रहे हैं गाजियाबाद के रहने वाले लल्लन की। पेशे से बढ़ई लल्लन श्रमिक स्पेशल ट्रेन में चढ़ने के लिए अपनी बारी की तीन दिन तक प्रतीक्षा की, फिर भी कामयाब नहीं हुए। सब्र का बाँध टूटा तो एक आश्चर्यचकित करने वाला निर्णय लिया, जिसकी चर्चा अब पुरे देश में हो रही है।

लल्लन स्टेशन से सीधे एक बैंक गए जहाँ अपने अकाउंट से सारा पैसा निकाल लिया, और फिर एक सेकंड हैण्ड कार खरीद कर अपने गाँव के लिए सपरिवार चल दिए। लल्लन ने अपनी जमा पूंजी 1.9 लाख रुपये में से 1.5 लाख खर्च कर एक सेकेंड हैंड कार खरीदी और अपने परिवार के साथ गोरखपुर में अपने घर की ओर रवाना हो गए, इस कसम के साथ कि फिर कभी वापस नहीं आयेंगे।

लल्लन गोरखपुर के पीपी गंज में कैथोलिया गांव के निवासी हैं। दिल्ली एनसीआर में बढ़ई का काम करते हैं, और बमुश्किल जो कुछ भी पैसा बचता था उसे बैंक में जमा कर रहे थे कि जरुरत पड़ने पर ये काम आयेंगे। बातचीत के दरमियान लल्लन का दर्द छलक गया, उम्मीद थी की चीजें जल्द सामान्य होगीं पर ऐसा हो न सका, और लॉकडाउन बढ़ता गया। साथ ही बढ़ता गया लल्लन का डर कि ज्यादा दिन तक बिना काम धंधे के कैसे रहें।

लल्लन कहते हैं, “जब लॉकडाउन की अवधि आगे बढ़ती गई, तो मैंने सोचा कि गांव में वापस लौट जाना ही मेरे और मेरे परिवार के लिए सुरक्षित होगा। हमने बसों या ट्रेनों में सीट पाने के लिए कई प्रयास किए, लेकिन असफल रहे।” लल्लन ने कहा कि बसों में काफी भीड़ रही, ऐसे में उसे इस बात का डर रहा कि सोशल डिस्टेंसिंग रखे बिना अगर वे सफर करते हैं, तो कहीं उसके परिवारवालें कोरोनावायरस की चपेट में न आए जाए। इसीलिए उन्होंने श्रमिक स्पेशल ट्रेन की कोशिश की, लेकिन यहाँ भी उन्हें तीन दिनों तक इंतज़ार करना पड़ा।

लल्लन ने कहा कि उसने सारी बचत खर्च कर दी है, लेकिन एक संतुष्टि ये है कि उसका परिवार सुरक्षित है। लल्लन 29 मई को अपने परिवार के साथ कार में सवार होकर गाजियाबाद से रवाना हुए और अगले दिन 14 घंटे की यात्रा करने के बाद गोरखपुर अपने घर पहुँच गए। फिलहाल वो परिवार के साथ अपने घर में पर ही क्वॉरंटाइन में है।

लल्लन ने उम्मीद जताई है कि उन्हें यहीं गोरखपुर में ही काम मिल जाएगा और वो फिर कभी गाजियाबाद वापस नहीं जायेंगे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *