जालौर में गिरा 2.788 किलोग्राम वजनी उल्कापिंड

चिरौरी न्यूज़ डेस्क

नई दिल्ली: २०२० में बस इसी की कमी थी।  कोरोना से सारा विश्व परेशान है, कभी भूकंप तो कभी तूफ़ान से लोगों की जान सांसत में है।  अब आसमान से उल्का पिंड धरती पर गिर रहा है।  घटना राजस्थान के जालौर की है जब लोगों ने आसमान से तेज आवाज के साथ चमक के साथ किसी गिरती चीज को देखा।  घटना सांचौर कस्बे में सुबह 7 बजे गायत्री कॉलेज के पास की है। वहां मौजूद लोगों ने लोगों ने आसमान से उल्कापिंड गिरने की सूचना प्रशासन को दी। प्रशासन की टीम जब मौके पर पहुंची तो उसे एक धातु का टुकड़ा मिला। काले रंग का धातु जैसा टुकड़ा जमीन में करीब 4-5 फीट की गहराई में धंसा हुआ था। जांच में इसके उल्कापिंड होने का खुलासा हुआ। इसका वजन 2.788 किलोग्राम मापा गया।

घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों का कहना है कि उन्होंने आसमान से तेज चमक के साथ एक टुकड़े को नीचे गिरते देखा। ये काले रंग की वस्तु जमीन पर तेज़ धमाके के साथ गिरी। वहीं विशेषज्ञों का कहना है कि आकाश में कभी-कभी एक ओर से दूसरी ओर जाते हुए या पृथ्वी पर गिरते हुए पिंड दिखाई देता है। उन्हें उल्का और साधारण बोलचाल की भाषा में टूटता हुआ तारा कहा जाता है।

उल्काओं का जो अंश वायुमंडल में जलने से बचकर पृथ्वी तक पहुंचता है उसे उल्कापिंड कहते हैं। अक्सर रात में अनगिनत उल्काएं देखी जा सकती हैं लेकिन इनमें से पृथ्वी पर गिरने वाले पिंडों की संख्या बहुत कम होती है। खगोलीय विज्ञान के लिए ये उल्कापिंड बेहद महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

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