आत्मनिर्भरता के बहाने ग्राम स्वराज और गांधी को साध गए मोदी

सुभाष चन्द्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से लडने और दोबारा भारतीय समाज को सशक्त खासकर रोजमर्रा की जरूरतों के लिए जीवनयापन करने वाले लोगों के नाम पर आर्थिक पैकेज की घोषणा की। सरकारी आंकडों में यह करीब 20 लाख करोड रुपये की होगी। यह किस मद में और किस संदर्भ में दिया जाना है, वित्त मंत्रालय क्रमागत तरीके से इसका विश्लेषण और क्रियान्वयन करेगा। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति, हर मौसम में देशवासियों के लिए दिन रात परिश्रम कर रहा है। ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देशके विकास में अपना योगदान देता है।

दरअसल, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आधे घंटे के संबोधन को सुना और समझा जाए, तो उन्होंने ग्राम स्वराज की ओर इशारा किया। महात्मा गांधी ने जिस ग्राम स्वराज की परिकल्पना की थी, उस ओर इशारा किया। असल में, महात्मा गांधी का मानना था कि अगर गांव नष्ट हो जाए, तो हिन्दुस्तान भी नष्ट हो जायेगा। दुनिया में उसका अपना मिशन ही खत्म हो जायेगा। अपना जीवन-लक्ष्य ही नहीं बचेगा। हमारे गांवों की सेवा करने से ही सच्चे स्वराज्य की स्थापना होगी। बाकी सभी कोशिशें निरर्थक सिद्ध होगी। गांव उतने ही पुराने हैं, जितना पुराना यह भारत है। शहर जैसे आज हैं, वे विदेशी आधिपत्य का फल है। जब यह विदेशी आधिपत्य मिट जायेगा, जब शहरों को गांवों के मातहत रहना पड़ेगा। आज शहर गांवों की सारी दौलत खींच लेते हैं। इससे गांवों का नाश हो रहा है। अगर हमें स्वाराज्य की रचना अहिंसा के आधार पर करनी है, तो गांवों को उनका उचित स्थान देना ही होगा। ग्राम स्वराज को लेकर उनकी चिंता रही है। यह सच है कि वैदिक काल से लेकर आज तक जब जब हमारी ग्रामीण अर्थव्यवस्था सुदृढ रही है, देश आगे बढा है।गांधीजी चाहते थे कि ग्राम स्वराज का अर्थ आत्मबल से परिपूर्ण होना है। स्वयं के उपभोग के लिए स्वयं का उत्पादन, शिक्षा और आर्थिक सम्पन्नता. इससे भी आगे चलकर वे ग्राम की सत्ता ग्रामीणों के हाथों सौंपे जाने के पक्ष में थे।

प्रधानमंत्री ने स्वदेशी की बात की।स्वदेशी आन्दोलन भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन का एक महत्त्वपूर्ण अन्दोलन है जो भारतीयों की सफल रणनीति के लिए जाना जाता है। स्वदेशी का अर्थ है – अपने देश का। इस रणनीति के अन्तर्गत ब्रिटेन में बने माल का बहिष्कार करना तथा भारत में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोज़गार सृजन करना था। स्वदेशी आन्दोलन, महात्मा गांधी के स्वतन्त्रता आन्दोलन का केन्द्र बिन्दु था। उन्होंने इसे स्वराज की आत्मा भी कहा था।

प्रधानमंत्री ने स्थानीय दुकानदारों और स्थानीय उत्पाद को लेकर आग्रह किया। आत्मनिर्भरता, आत्मबल और आत्मविश्वास से ही संभव है। आत्मनिर्भरता, ग्लोबल सप्लाई चेन में कड़ी स्पर्धा के लिए भी देश को तैयार करती है। और आज ये समय की मांग है कि भारत हर स्पर्धा में जीते, ग्लोबल सप्लाई चेन में बड़ी भूमिका निभाए। अब हमारा कर्तव्य है उन्हें ताकतवर बनाने का, उनके आर्थिक हितों के लिए कुछ बड़े कदम उठाने का। इसे ध्यान में रखते हुए गरीब हो, श्रमिक हो, प्रवासी मजदूर हों, पशुपालक हों, हमारे मछुवारे साथी हों, संगठित क्षेत्र से हों या असंगठित क्षेत्र से, हर तबके के लिए आर्थिक पैकेज में कुछ महत्वपूर्ण फैसलों का ऐलान किया जाएगा।

यह स्वदेशी और अंत्योदय की परिकल्पना का आधार ही तो है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने अंत्योदय की बात कही थी, पूरी भाजपा भी उसी पर चल रही है। प्रधानमंत्री ने साफ शब्दों में बता दिय कि हम भारतीय किसी भी सूरत में थकना और हारना नहीं जानते हैं। प्रतिकूलता में कैसे अनुकूलता लाई जाए, यही हमारी विशेषता है। तभी तो अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हम पिछली शताब्दी से ही सुनते आए हैं कि 21वीं सदी हिंदुस्तान की है। हमें कोरोना से पहले की दुनिया को, वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने-समझने का मौका मिला है। कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं। जब हम इन दोनों कालखंडो को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की हो, ये हमारा सपना नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी है। लेकिन इसका मार्ग क्या हो? विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है- “आत्मनिर्भर भारत”। हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है- एष: पंथा: यानि यही रास्ता है- आत्मनिर्भर भारत।

जब प्रधानमंत्री कुछ कहते हैं, तो इसका त्वरित निर्णय होता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित करते हुए आत्मनिर्भर भारत अभियान का नारा दिया था। पीएम मोदी की अपील के बाद गृह मंत्रालय ने निर्णय लिया है कि अब सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) की सभी कैंटीन में सिर्फ स्वदेशी उत्पादों की बिक्री होगी। यह आदेश देशभर की सभी कैंटीन पर एक जून से लागू होगा। अनुमान के मुताबिक, 10 लाख सीएपीएफ कर्मियों के 50 लाख परिजन स्वदेशी सामान का उपयोग करेंगे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इसकी जानकारी दी है। गृह मंत्री ने ट्वीट किया, माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने देश को आत्मनिर्भर बनाने और लोकल प्रोडक्ट्स (भारत में बने उत्पाद) उपयोग करने की एक अपील की जो निश्चित रूप से आने वाले समय में भारत को विश्व का नेतृत्व करने का मार्ग प्रशस्त करेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख, सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो संस्कृति जय जगत में विश्वास रखती हो, जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो, जो अपनी आस्था में ‘माता भूमिः पुत्रो अहम् पृथिव्यः’ की सोच रखती हो जो पृथ्वी को मां मानती हो, वो संस्कृति, वो भारतभूमि, जब आत्मनिर्भर बनती है, तब उससे एक सुखी-समृद्ध विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है।

दरअसल केंद्र सरकार भी अब यह मान रही है कि लाक डाउन को अनिश्चित काल तक जारी नहीं रखा जा सकता.|कुछ समय पहले तक जहां यह कहा जाता था कि हम कोरोना को हराकर ही दम लेंगे वहीं अब यह कहा जाने लगा है कि हमें कोरोना के साथ ही जीना सीखना होगा | इसीलिए लाकडाउन की अवधि बढा कर ऱियायतें बढ़ाने के विकल्प पर विचार किया जा रहा है |

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