कोरोना के कारण हुए लॉकडाउन में 12 करोड़ से ज्यादा लोगों ने खोई नौकरी
न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: जैसा की उम्मीद थी, कोरोना वायरस ने पूरी दुनियां के लोगों को मानसिक और आर्थिक तौर पर तोड़ कर रख दिया है। कई सारे देशों में बेरोजगारी बढ़ गयी है, और आनेवाले दिनों में भारत सहित दुनियां के सभी देशों में आर्थिक वृद्धि की दर कम रहने वाली है। कोरोना ने भारत में कई लोगों की नौकरी छीन लिया है, और कई लोग जो अपना काम करते थे, उनकी भी हालत बदत्तर हो गयी है। सबसे ज्यादा मार छोटे व्यापारियों, दिहाड़ी मजदूरों और प्राइवेट सेक्टर्स में काम कररने वाले लोगों पर पड़ी है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी यानी सीएमआईई के रिपोर्ट में भी इसी बात का जिक्र है।
सीएमआईई के रिपोर्ट के अनुसार भारत में 12।2 करोड़ लोगों को अप्रैल महीने में अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा है। बता दें कि सीएमआईई एक निजी संस्था है जो बेरोजगारी से जुड़े आंकड़े भी देती है और अन्य रिसर्च करती है।
सीएमआईई के रिपोर्ट के मुताबिक दिहाड़ी मजदूरों और छोटे कारोबारियों पर इस लॉकडाउन का सबसे बुरा असर पड़ा है। हॉकर्स, सड़क किनारे रेहड़ी लगाने वाले, कंस्ट्रक्शन सेक्टर में काम करने वाले कामगारों और रिक्शा तथा हाथगाड़ी चलाने वाले लोगों पर इस लॉकडाउन की सबसे बुरी मार पड़ी है।
इस से पहले वर्ल्ड बैंक ने भारत में गरीबों की संख्या से सम्बंधित एक रिपोर्ट दी थी। वर्ल्ड बैंक के अनुसार भारत में 1।2 करोड़ लोग बहुत ही गरीबी के दायरे में फिसल गए हैं और इनके लिए आजीविका का संकट खड़ा हो गया है। वर्ल्ड बैंक ने ये भी कहा है कि दुनियाभर में 4।9 करोड़ लोग अत्याधिक गरीबी के दायरे में फिसल गए हैं और इनमें वो लोग हैं जो रोजाना 1।9 डॉलर प्रतिदिन से भी कम में गुजारा करते हैं।
सीएमआईई ने कहा है कि लॉकडाउन के चलते देश में बेरोजगारी की दर 24 मई को खत्म हफ्ते के दौरान बढ़कर 24।3 फीसदी पर आ गई है। इससे पिछले हफ्ते में बेरोजगारी दर 24।01 फीसदी पर थी। बता दें कि पूरे लॉकडाउन के दौरान बेरोजगारी की औसत दर 24 फीसदी के करीब रही है। सीएमआईई के मुताबिक पूरे लॉकडाउन के दौरान गांवों की बेरोजगारी के मुकाबले शहरी बेरोजगारी में ज्यादा इजाफा देखा गया है।