देश को समर्पित हुआ नमो सिद्ध स्वदेश योगासन
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: सातवें अंर्तराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर नमो सिद्ध स्वदेश योगासन को विश्व और देश को समर्पित कर दिया गया। नमो आसन के प्रमुख तीन चरण और 11 दशाएं हैं। स्वस्थ्य तन और शांत मन के लिए इसका दिन में दो बार अभ्यास करने की सलाह दी गई है। अनुरिस द्वारा लांच नमो आसान की सभी औपचारिकताओं को पूरा कर इसे सोमवार को आधिकारिक रूप से देश को समर्पित कर दिया गया।
नमो योगासन सुपर कंप्यूटर परम को बनाने में योगदान देने वाले वैज्ञानिक डॉ. एसएन भवसार की किताब से प्रेरित है। डॉ. भवसान ने शिवासर्वोदय, प्राण विद्या नाम किताब लिखी और स्पेस टाइम मोशन थ्योरी पर शोध कर यह निष्कर्ष निकाला कि मूवमेंट इज मेडिसिन। नमो सिद्ध स्वदेश योगासन को इसी थ्योरी के आधार पर तैयार किया गया है। अनुरिस (अगस्त्य नाथ यूनिवर्सिटी फॉर रिसर्च एंड इनोवेशन इन स्टेट ऑफ बिइंग) गोरक्षनाथ सम्प्रदाय, कालिकानाथ सम्प्रदाय एकलव्य शाखा मिशन अगस्त्यनाथ द्वारा इससे पहले 2015 में पहले विश्व योग दिवस पर समर्थ योगासन को लांच किया गया था। मिशन लंबे समय से होलेस्टिक मेडिसिन को लेकर शोध और विकास का काम कर रहा है। मिशन की टीम स्वहोश और जोश (ज्वाइंट आर्थो स्पाइन होलेस्टिक हेल्थ) से जुड़े आर्थोपेडिक्स और स्पोटर्स मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. पवन कुमार कोहली ने बताया कि नमो योग की तीन प्रमुख मुद्राओं से नंबर आठ का सर्किल बनता है, आठ नंबर को अनंत या इंफिनिटी का नंबर भी माना जाता है, और यह बताता है कि अनंत को प्राप्त करना कठिन नहीं है। नमो आसान केवल यौगिक क्रिया नहीं, यह स्टेट ऑफ माइंड है नमो योगासन मस्तिष्क की सजगता और एकग्रता का माध्यम है। योगासन करते हुए आतंरिक और बाहरी मुद्राओं के देव भगवान विठ्ठल के स्मरण को अहम बताया गया है। धर्मो रक्षति रक्षित: को मूल मंत्र मानते हुए नमो सिद्ध स्वदेश योगासन का यहां दिल्ली में सोमवार को शुभारंभ किया गया।
क्या हैं नमो योगासन की प्रमुख मुद्राएं
- सबसे पहले हाथों को कमर पर रख कर सीधे खड़े हों, कमर को जिनता संभव हो सके सीधा ही रखें, ऊपर से नीचे की ओर देखें, पसली और छाती बिल्कुल सीध में होनी चाहिए, पेट सामान्य स्थिति में हो, न ज्यादा अंदर हो न ज्यादा बाहर, आराम से यौगिक श्वांस लें।
- अब पीछे की ओर कदम बढ़ाएं, पीछे कदम बढ़ाते हुए पूरी तरह सजग रहें, इस तरह एक सर्किल या आठ नंबर का आधाहिस्सा पूरा करें, यही प्रक्रिया फिर से अपनाते हुए आठ नंबर का सर्किल पूरा करें, इस तरह क्लॉक वाइज और एंटी क्लाक वाइज दो सर्किल पूरे करें। पहला चरण स्व: अस्थ्यासन पूरा हुआ।
- स्व: बोध आसन के लिए इसी प्रक्रिया को दोबारा दोहराएं, पूरब से पश्चिम पीछे की ओर कदम बढ़ाते हुए चलें, इस दौरान मेरूदंड या कमर सीधी रखें, श्वांस पर नियंत्रण और मस्तिष्क को केन्द्रित करें, इस समय आपको अपने हाथों को सिर के पीछे की तरफ रखना है, ऐसी अवस्था में आपको नंबर और का पहला और दूसरा सर्किल चलते हुए पूरा करना है। दूसरे सर्किल में पश्चिम से पूरब की ओर चलें।
- तीसरा चरण है स्व: उद्यासन, इसमें हाथों को कंधे के ऊपर सीधे करें और पीछे की ओर कदम बढ़ाते हुए आठ नंबर का पहला सर्किल पूरा करें, इसी अवस्था में दूसरा सर्किल पूरा करें, इस दौरान कमर सीधी और सांस पर नियंत्रण बना रहना चाहिए।
- योग के आखिरी चरण में दोनों हाथों को आपस में जोड़ते हुए नमस्कार की मुद्रा में खड़े हों, नमस्कार की इस अवस्था में दस अंगुलियां आपस में मिलकर उर्जा का संचार कर रही होती हैं।
महावतार बाबा जी क्रिया योगा
पहले प्रारंभिक योगासन के बाद नमो सिद्ध स्वदेश योगासन का दूसरा एडवांस चरण महावतार बाबा जी योग क्रिया है, जिसमें सिद्धिओं के संग्रहण और प्रबोधन को बताया गया है। तीसरे चरण के अति अग्रिम योगासन में बंधनों को केन्द्रित किया गया है।