अब तूफान का नाम होगा अर्णब

अंकित कुमार

नई दिल्ली: अर्नब, आजकल तूफान मचाने के लिए ये नाम ही काफी है। चौंकिए मत, ये वो अर्नब नहीं हैं जिसने अकेले ही कांग्रेस के नाक में दम कर दिया है, और जिनके चर्चे मीडिया से लेकर सोशल मीडिया में सभी जगह हो रहे है। ये तो वो अर्नब है, जिनका नामकरण भारत समेत दुनिया के 13 देशों ने मिलकर किया है। भारत के मौसम विभाग ने एक एडवाइजरी जारी कर के कहा है कि देश और दुनिया के 13 देशों पर मौसम की बड़ी आफत आने वाली है, और उसका नाम अर्नब होगा।

चक्रवाती तुफानो के नाम रखने के लिए वर्ष 2018 में आपसी तालमेल के लिए एक नया पैनल गठित किया गया था। और इस पैनल को भावी चक्रवाती तूफानों के नाम रखने की जिम्मेदारी थी। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग 13 सदस्य देशों को उष्णकटिबंधीय चक्रवात और तूफान वृद्धि से जुड़ी सलाह देने वाले छह रीजनल स्पेस्लाइजड मौसम विज्ञान केंद्र में से एक है। इसी के चलते बांग्लादेश, भारत, ईरान, मालदीव, म्यांमार, ओमान, पाकिस्तान, कतर, सऊदी अरब, श्रीलंका, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और यमन ने मिलकर इन तूफानों के नाम रखे हैं।

तूफानों की सूची में प्रत्येक 13 सदस्य देशों के लिए 13 चक्रवातों के नाम शामिल हैं। भारत के नाम में गती, तेज, मुरासु, आग, व्योम, झार, प्रोबाहो, नीर, प्रबंजन, घुन्नी, अंबुद, जलधि और वेगा शामिल हैं, जबकि चक्रवातों के कुछ बांग्लादेशी नाम निसारगा, बिप्रजॉय, उपकुल और अर्नब हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने बयान जारी कर कहा है कि बंगाल की खाड़ी और अरब सागर सहित उत्तर हिंद महासागर के लिए उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के नाम एक मानक प्रक्रिया का पालन करते हुए नई दिल्ली स्थित रीजन ट्रॉपिकल साइक्लोन वार्निग सेंटर ने प्रदान किया है।

तूफानों को दिया जाता है महिलाओं का नाम

अमेरिका के हरीकेन सेंटर की ओर से साल 1950 में नेशनल अटलांटिक स्‍टॉर्म लिस्‍ट तैयार की गई थी। इस लिस्‍ट को अब वर्ल्‍ड मेटीऑरलाजिकल ऑर्गनाइजेशन (डब्‍लूयएमओ) की ओर से संचालित किया जाता है। यही संस्‍था है जो दुनिया भर में आने वाले तूफानों के नामों को मंजूरी देती है। दुनिया के अलग-अलग हिस्‍सों में अलग-अलग तरह के चक्रवात आते हैं। डब्‍लूयएमओ इस लिस्‍ट को संचालित जरूर करती है लेकिन हर देश या क्षेत्र के मीटीऑरलाजिकल ऑर्गनाइजेशन से अलग है। साल 1979 से तूफान के लिए महिलाओं का नाम प्रयोग करने के ट्रेंड की शुरुआत हुई। इससे पहले सिर्फ पुरुषों के नाम का ही प्रयोग हो रहा था।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *