छठ पूजा के पहले दिन दिल्ली में यमुना नदी में घातक झाग का दृश्य, श्रद्धालुओं में गहरी चिंता
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: दिल्ली में चार दिवसीय छठ पूजा का शुभारंभ मंगलवार को पारंपरिक ‘नहाय खाय’ के साथ हुआ, लेकिन इस धार्मिक उत्सव की आस्था को यमुना में कालिंदी कुंज के पास नदी के सतह पर तैरते विषैला झाग ने धूमिल कर दिया।
जहां एक ओर भक्त बड़ी संख्या में पूजा अर्चना और पवित्र स्नान के लिए एकत्र हुए, वहीं दूसरी ओर नदी की सतह पर झाग का ये दृश्य, दिल्ली के बढ़ते प्रदूषण संकट की गंभीर स्थिति को उजागर करता है।
यमुना नदी के आसपास की स्थिति, खासकर कालिंदी कुंज के इलाके में, झाग से ढकी हुई थी, जिससे पर्यावरण विशेषज्ञों और श्रद्धालुओं में गहरी चिंता व्यक्त की गई। यह झाग रासायनिक प्रदूषण का खतरनाक परिणाम है, जो नदी में लगातार बढ़ते गंदगी और अवशिष्ट पदार्थों का स्पष्ट संकेत है।
हर साल छठ पूजा के दौरान, श्रद्धालु यमुना नदी के किनारे पवित्र स्नान करते हैं, लेकिन इस बार नदी के पानी में झाग ने प्रशासन की ओर से किए गए प्रदूषण नियंत्रण उपायों की प्रभावशीलता पर सवाल उठाए हैं।
झाग का यह दृश्य, जो कि बिना उपचारित गंदे पानी और औद्योगिक कचरे के नदी में फेंके जाने का परिणाम है, एक सालाना समस्या बन चुका है। बावजूद इसके, इस समस्या का कोई स्थायी समाधान नजर नहीं आता।
दीप्ति सिंहा जो छठ व्रत के तहत नदी में स्नान करने आई थीं, ने कहा, “मैं यमुना नदी को बहुत प्यार करती हूं और छठ व्रत पर यहां स्नान करने आई हूं, लेकिन नदी की स्थिति बहुत खराब है। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।” उन्होंने सरकार से अपील की, “सरकार को उस नदी की हालत पर सोचना चाहिए जिसे हम सम्मान और पूजा करते हैं। यह शर्मनाक है कि जिस पानी में हमें स्नान करना है, वही प्रदूषित है।”
एक अन्य श्रद्धालु ने भी इसी चिंता को व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “आज नहाय खाय है, छठ पूजा का पहला दिन है। मैं सिर्फ सरकार से अनुरोध करती हूं कि यमुना नदी को साफ करें।”
विषैला झाग, जो खासकर छठ पूजा जैसे धार्मिक आयोजनों के दौरान बार-बार समस्या बनता है, जल की गुणवत्ता और सार्वजनिक स्वास्थ्य पर गंभीर सवाल खड़े करता है। यह झाग रासायनिक तत्वों, डिटर्जेंट्स और औद्योगिक तथा घरेलू अपशिष्टों का मिश्रण है, जो प्रदूषित पानी के संपर्क में आने से त्वचा में जलन और अन्य स्वास्थ्य समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।
यमुना नदी के प्रदूषण की समस्या, जिसमें उपचारित सीवेज और औद्योगिक कचरे का लगातार बहाव होता है, वर्षों से जारी है। इस प्रदूषण का प्रभाव न केवल श्रद्धालुओं पर पड़ता है, बल्कि इससे पारिस्थितिकी तंत्र भी प्रभावित हो रहा है।
दिल्ली सरकार ने बार-बार यमुना नदी के प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उपायों की बात की है, लेकिन वास्तविक स्थिति समय के साथ और खराब होती जा रही है। छठ पूजा जैसे महत्वपूर्ण धार्मिक आयोजनों के दौरान नदी की स्थिति में सुधार न होने से यह सवाल उठता है कि क्या प्रशासन की ओर से किए गए प्रयास प्रभावी हैं।
अब यह सवाल उठता है कि सरकार और स्थानीय प्रशासन इस संकट से निपटने के लिए कब और कैसे प्रभावी कदम उठाएंगे।