महिलाओं के लिए बनाई जाने वाली नीतियां महिलाओं द्वारा ही बनाई जानी चाहिए: मेलिंडा फ्रेंच गेट्स
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: “वीमेन लीडिंग चेंज इन हेल्थ एंड साइंस इन इंडिया” शीर्षक से नई दिल्लीमे आयोजित एक सम्मेलन मेलिंडा फ्रेंच गेट्स ने कहा कि महिलाओं के लिए बनाई जाने वाली नीतियां महिलाओं द्वारा स्वयं ही बनाई जानी चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतिम सफलता के लिए निर्णय लेने की प्रक्रिया में महिलाओं की भूमिका अधिक होनी चाहिए।
मेलिंडा गेट्स को यह जानकर प्रसन्नता हुई कि पिछले दो वर्षों में भारत सरकार ने देश में लैंगिक रूप से समानता लाने के लिए आमूल – चूल परिवर्तनकारी दृष्टिकोण के माध्यम से कदम उठाए हैं। उन्होंने कोविड-19 के दौरान भारत सरकार की प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण योजना के उभरने की भी सराहना की। उन्होंने कहा कि लगभग 20 करोड़ लोगों को प्रत्यक्ष नकद लाभ प्राप्त हुआ, जिससे उनका सशक्तिकरण और अधिक सामाजिक लाभ हुआ है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि भारतीय महिलाएं धीरे-धीरे भागीदारी से नेतृत्व की भूमिका में विकसित हो रही हैं और अब वे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा परिकल्पित राष्ट्र के समावेशी विकास का एक आवश्यक घटक हैं।
बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन की सह-अध्यक्ष और न्यासी (ट्रस्टी) सुश्री मेलिंडा फ्रेंच गेट्स की उपस्थिति में आज नई दिल्ली में “वीमेन लीडिंग चेंज इन हेल्थ एंड साइंस इन इंडिया” शीर्षक से एक सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि महिला नेतृत्व अब एक नए भारत की विकास गाथा का महत्वपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि परियोजनाएं, कार्यक्रम और नीतियां अब महिला-केंद्रित से महिला- नेतृत्व की ओर बढ़ रही हैं, या हम कह सकते हैं कि महिलाओं की भागीदारी के युग से महिला नेतृत्व के युग की ओर बढ़ रहे हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नारी शक्ति का आगमन हो चुका है लेकिन अब आवश्यकता मानसिकता में बदलाव की है। उन्होंने कहा कि समय आ गया है कि अब महिलाओं के नेतृत्व में हो रहे बदलाव का लाभ उठाया जाए, क्योंकि वे सरकारी पहलों की निष्क्रिय लाभार्थी रहने के बजाय तेजी से नीतियों की आरंभकर्ता बन रही हैं।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री के हाल के वक्तव्य का उल्लेख किया कि यदि महिलाओं के रूप में 50 प्रतिशत आबादी घर में बंद है तो भारत सफलता हासिल नहीं कर सकता है। उन्होंने मोदी जी को यह कहते हुए उद्धृत किया, “वित्तीय समावेशन से लेकर सामाजिक सुरक्षा, गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा से लेकर आवास, शिक्षा से लेकर उद्यमिता तक, हमारी नारी शक्ति को भारत की विकास यात्रा में सबसे आगे रखने के लिए कई प्रयास किए गए हैं और ये प्रयास आने वाले समय में और भी अधिक जोश के साथ जारी रहेंगे।”
वुमनलिफ्ट हेल्थ की कार्यकारी निदेशक सुश्री एमी बैट्सन ने कहा कि जब भारत और दुनिया जलवायु संकट, कोविड-19 अथवा भविष्य की स्वास्थ्य चुनौतियों जैसी अभूतपूर्व चुनौतियों का सामना कर रही है, तब तो उन चुनौतियों का समाधान करने में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण होगी ही। उन्होंने कहा कि तकनीकी समाधानों में निवेश पर्याप्त नहीं है, लेकिन परिवर्तन करने में सक्षम नेताओं, विशेष रूप से महिला परिवर्तन नेताओं को तैयार करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय, भारत सरकार के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी) और उसके लोक उपक्रम (पीएसयू) जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (बाईरैक– बीआईआरएसी) द्वारा वीमेनलिफ्ट हेल्थ एंड ग्रैंड चैलेंजेज इंडिया के सहयोग से आयोजित इस सम्मेलन का उद्देश्य महत्व को उजागर करना और बढ़ावा देने के साथ–साथ स्वास्थ्य और विज्ञान में महिलाओं के नेतृत्व और भारत और वैश्विक स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र में नेतृत्व की स्थिति में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के लिए प्राप्य मार्गों और लक्ष्यों की पहचान करना है।