आदिवासियों की कला, संस्कृति के बचाव के लिए खोले गए सात क्षेत्रीय केंद्र

(प्रतीकात्मक तस्वीर)
  • साहित्य अकादमी विशेष रूप से गैर-मान्यता प्राप्त और आदिवासी भाषाओं के संरक्षण और प्रचार को प्रोत्साहित करती है
  • ‘जनजातीय अनुसंधान संस्थानों को सहायता योजना’ के तहत राज्य सरकारों को इनके सरंक्षण और समर्थन के लिए धनराशि प्रदान की गई है

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: भारत सरकार ने देश में आदिवासियों के लोक नृत्य, कला और संस्कृति के विभिन्न रूपों की रक्षा, संरक्षण और प्रचार करने के लिए सात क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र स्थापित किए हैं। ये केंद्र देश भर में नियमित रूप से विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों और कार्यक्रमों का आयोजन करते हैं।

साहित्य अकादमी, संस्कृति मंत्रालय के तहत एक स्वायत्त संगठन है जो भाषाओं, विशेष रूप से गैर-मान्यता प्राप्त और आदिवासी भाषाओं के संरक्षण और उनके प्रचार को प्रोत्साहित करती है।

जनजातीय मामलों का मंत्रालय ‘जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को समर्थन’ नामक एक योजना का संचालन कर रहा है। इस योजना के माध्यम से राज्य सरकारों को जनजातीय अनुसंधान संस्थानों (टीआरआई) को उनकी बुनियादी ढांचे की जरूरतों, अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण गतिविधियों, साक्ष्य आधारित कार्रवाई और अनुप्रयुक्त अनुसंधान में समाधान खोजने आदि कार्यों के लिए धन प्रदान किया जाता है।

इसके अलावा विकास, निर्माण और रखरखाव के मॉडल बनाने के लिए भी इस संस्था द्वारा समर्थन प्रदान किया जाता है। जनजातीय संग्रहालयों, जनजातीय उत्सवों का आयोजन, नृत्य, संगीत और चित्रकला आदि में जनजातीय सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए कार्यक्रम, प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। यह जानकारी संस्कृति मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी।

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