सोशल मीडिया वरदान या अभिशाप?

The central government has accelerated work on the new social media policy, and is preparing to take strict action against those who spread anti-India contentशिवानी रजवारिया

नई दिल्ली: दुनिया में सोशल मीडिया ने जो रोल अदा किया है उसे भी एक रिवॉर्ड तो मिलना ही चाहिए अब ये निश्चित करना होगा कि रिवॉर्ड उसके फायदे के लिए दिया जाना चाहिए या उससे हो रहे नुकसान के लिए? एक तरफ सोशल प्लेटफॉर्म्स ने लोगों को अपने विचारों, परामर्श, हुनर, मनोरंजन, मल्टीटास्किंग की प्रदर्शनी करने की आज़ादी दी है वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया आलोचनाओं और वल्गैरिटी का अड्डा बनकर भी उभरा है। यहां वल्गैरिटी से तात्पर्य आपत्तिजनक टिप्पणी और पोस्ट से है। सोशल मीडिया पर चलने वाले अड्डे एक अलग ही शक्ल इक्तियार करने में निपुण है। क्या इसके पीछे सोशल मीडिया पर मिली आज़ादी का बड़ा हाथ नहीं है?

कौन है इन अड्डों के मालिक?
सोशल मीडिया पर चलने वाले अड्डों के मालिक अपने-अपने एजेंडा के हिसाब से सोशल मीडिया पर साम्प्रदायिकता की उल्टियां करके आम जनता के दिमाग में जहर घोलने का काम बख़ूबी से करते हैं। मालिकों के नाम पर बहुत से प्रश्न चिन्ह है लेकिन इनको व्यापक रूप देने वाले मानसिक तनाव से ग्रसित सोच के शिकार है। यह एक कटु सत्य है।

इसमें कोई शक की गुंजाइश नहीं है कि आज सोशल मीडिया हमारे जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है। इतनी तेज़ी से सोशल मीडिया ने लोगों की भागमभाग जिंदगी में अपनी जगह बनाई, कि सोशल मीडिया लोगों पर नहीं बल्कि लोग आज सोशल मीडिया पर निर्भर हैं। देश में लगे लॉकडाउन ने तो सोशल प्लेटफॉर्म्स की रेटिंग को और भी अधिक बढ़ा दिया है। कोरोना वायरस ने भले ही ज़मीन पर अपना राज जमा कर सड़कों पर सन्नाटा कर दिया हो लेकिन सोशल मीडिया की सड़कों पर शोर, लोगों की भीड़ और उन्माद जमीनी सड़कों से भी ज्यादा दिखा है।

एक रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाला प्लेटफॉर्म सोशल मीडिया है। 2019 में 2।95 बिलियन लोग सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते थे और सर्वे के अनुसार 2023 तक ये संख्या बढ़कर 3।43 बिलियन तक पहुंच जाएगी। पूरी दुनिया में खास से आम सभी की जिंदगी सोशल मीडिया के इर्दगिर्द घूमती हैं। दुनिया की 60 फीसदी आबादी ऑनलाइन आ गई है और नये रुझानों के अनुसार आने वाले सालों में यह आंकड़ा और  बढ़ेगा, दुनिया की आधे से अधिक आबादी सोशल मीडिया का इस्तेमाल करेंगे।

इंटरनेट का उपयोग करने वाले दुनिया भर में लोगों की संख्या 4।54 बिलियन हो गई है, जनवरी 2019 की संख्या से तुलना की जाए तो इसमें 7 प्रतिशत (298 मिलियन) नए यूजर्स जुड़े हैं। दुनिया भर में, जनवरी 2020 में 3।80 बिलियन सोशल मीडिया यूजर्स हैं, पिछले साल की तुलना में इस बार इस संख्या में 9 प्रतिशत (321 मिलियन)नए यूजर्स की वृद्धि हुई है।  वैश्विक स्तर पर, 5।19 बिलियन से अधिक लोग अब मोबाइल फोन का उपयोग करते हैं, जिसमें पिछले वर्ष की तुलना में 124 मिलियन (2।4 प्रतिशत) की संख्या है।

सीधा मुद्दे की बात करते है भले ही सोशल मीडिया से लाख़ फायदे गिन लिए जाए लेकिन आप इस बात से कदापि मुंह नहीं मोड़ सकते हैं कि विज्ञान मनुष्य के लिए वरदान है तो अभिशाप भी!
ऐसे तमाम उदहारण है जिन पर बहस की जा सकती है। सुबह बैड से शुरू होकर आधी रात तक सोशल प्लेटफॉर्म्स पर स्क्रॉल होती हमारी अंगुलिया गवाह हैं इस बात की। इसको हम कामकाजी विभाग की दुनिया से भी जोड़ कर देखें तो आज यह एक वरदान की तरह लोगों के सपनों को पंख दे रहा हैं। सोशल मीडिया आज कारोबार का दुसरा सुलभ साधन नज़र आता है जिसको अनदेखा नहीं किया जा सकता लेकिन नज़र अंदाज़ तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर चल रही उन गतिविधियों को भी नहीं किया जा सकता जिसने सोशल मीडिया को अभिशाप बनाने का ठान लिया है।

राजनीतिक गलियारों में असर

राजनेताओं की बात करे तो उनका एक ट्वीट रातो-रात राजनीति गलियारों में हलचल मचा देता हैं चाहे देश के प्रधानमंत्री हो या मंत्रालयों के मंत्री, सत्ताधारी ,विपक्ष छोटे बड़े सभी नेता सोशल मीडिया पर एक्टिव रहते है एक्शन के बाद रिएक्शन तुरंत,विपक्ष के पलट वार और मीडिया हाउसों की चटपटी हेडलाइंस की बौछार अपना काम लगातार करती रहती हैं। सोशल मीडिया आज राजनीतिकरण का सबसे बड़ा साधन बन चुका है। राजगलियारों से पहले सोशल मीडिया पर मुद्दे बनने लगते है।

लोगों को अपने विचार व्यक्त करने की आजादी है लेकिन अभिव्यक्ति के नाम पर यूजर्स अपने मंसूबों के इर्द गिर्द घूमते हैं जो देश को धार्मिक भागों में बाटने का काम करते है। अपनी बेतुके बयानों और प्रतिक्रियाओं से समाज में नफ़रत की हवा फैलाते हैं। हाल फिलहाल ही देश में सीएए और एनआरसी पर भड़के दंगो में सोशल मीडिया ने अहम भूमिका निभाई। लोगों के बीच अफवाओं को फैलाने में और दंगो को भड़काने में सोशल यूजर्स का बहुत बड़ा योगदान रहा।

सोशल मीडिया की ताक़त

सोशल मीडिया में इतनी ताकत है कि किसी भी नामचीन व्यक्ति की बात का असर राजनीतिक गलियारों के साथ साथ ज़मीनी स्तर तक दिखता हैं। ये नामचीन हस्तियां किसी भी विभाग से हो सकती हैं राजनैतिक, प्रशासनिक,फिल्मी सितारें आदि नामचीन से एक बात ओर यहां जोड़ेंगे कि सोशल मीडिया में रातोरात एक आम इंसान को खास बनाने की जबरदस्त ताकत है। इसमें चाहे स्वीडन की 17 साल की ग्रेटा थनबर्ग हो या पीछे देखो पीछे डायलॉग बोलने वाला छोटा सा बच्चा या रेलवे स्टेशन पर गाना गाती रानू मंडल। अगर आप सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते है तो आपको विपिन साहू भी याद होगा ये वहीं शख्स है जिसने पैराग्लाइडिंग के दौरान कहा था कि भाई 100 200 ज्यादा ले ले लेकिन जल्दी से लैंड करवा दे। उसके एक सेंटेंस ने उसे रातों रात स्टार बना दिया। ऐसे तमाम लोगों से भरी लिस्ट है जिनकी जिंदगी रातोरात सोशल मीडिया की वजह से चमक गई।

खुद को मशहूर करने के लिए आज आपके पास सिर्फ हुनर की ही जरूरत महसूस नहीं होती, सोशल मीडिया पर आपकी वो जहालियत भी ट्रेंड करती है जो कभी गली कूचों तक सिमट कर रहती थीं।

आज से पहले मीडिया में वो ताकत थी कि वो किसी  व्यक्ति को हीरो से विलेन और विलेन से हीरो बनाने का हुनर रखती थी लेकिन सोशल मीडिया की दस्तक के बाद मीडिया हाउसेस भी पीछे रह गए है। आज आम से खास होने के लिए सोशल मीडिया पर पोस्ट की गई एक  फोटो मात्र ही काफी होता है। एक फोटो आपको रातो रात पब्लिक डिमांड पर ले आती है। सोशल मीडिया एक व्यापक साधन है जिसके रंग रूप भी कई रंगों में रंगे है इसका विकास और विस्तार डिजिटल इंडिया के लिए जितना लाभकारी है उतना ही इससे होने वाले नुकसान के साइड इफेक्ट्स !
क्या आपको भी लगता है सोशल मीडिया पर मिलने वाली आज़ादी को नियमों और कानूनों में बांधा जाना चाहिए?

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