नेताजी माफ करना, गलती म्हारे से हो गई!

Vinesh Phogat said, unsure about retirement decision; People of the whole country gave her courage to come backराजेंद्र सजवान

यह सही है कि पहलवान विनेश फोगाट टोक्यो ओलंम्पिक में न सिर्फ पदक की अपितु स्वर्ण पदक की दावेदार के रूप में भाग लेने गई थी। जिन खिलाड़ियों को खेल शुरू होने से पहले ही पदक विजेता मान लिया गया था, उनमें पहलवान बजरंग पूनिया, विनेश , आधा दर्जन निशानेबाज, चंद तीरंदाज, मेरी काम और और कुछ अन्य मुक्केबाज भी शामिल थे। लेकिन ज्यादातर ने निराश किया।

पता नहीं पदक जीतने की हुंकार भरने वाले खिलाड़ियों, उनके कोचों और फेडरेशनों पर क्या कार्यवाही हो रही है लेकिन विनेश फोगाट को फेडरेशन ने बाकायदा फरमान जारी कर दिया है और उससे सफाई मांगी जा रही है। मेरी काम अपना रोना रोते हुए चुप हो गई हैं। नाकाम रहे मुककेबाजों से भी कोई पूछताछ शायद ही हो।

इसी प्रकार तीरंदाजी और निशानेबाजी के फ्लाप खिलाड़ियों और फेडरेशन के नालायकों पर भी किसी एक्शन की उम्मीद कम ही है।लेकिन विनेश और उसका हंगेरियन कोच सीधे सीधे फेडरेशन के टारगेट पर है। होना भी चाहिए। दोनों की अनुशासन हीनता और गलत रणनीति ने देश का करोड़ों बर्बाद किया है।

यह सही है कि नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक ने भारतीय खेलों के ठगों को बचा लिया। आईओए और तमाम खेल फेडरेशन नीरज की परछाईं के पीछे खुद को सुरक्षित पा रहे हैं। बस, विनेश अकेली भंवर में फंसी है। लेकिन क्यों?

यह सही है कि कुश्ती फेडरेशन भी विनेश से खफा है। फेडरेशन अध्यक्ष सांसद ब्रज भूषण शरण सिंह के तेवरों से पता चल रहा है कि वह अपनी सबसे बड़ी और ख्याति प्राप्त पहलवान को यूं ही नहीं छोड़ने वाले। विनेश के पास कुश्ती का हर बड़ा पदक और खिताब है। विश्व नंबर एक रैंकिंग पर विराजमान रही है। लेकिन ओलंम्पिक पदक नहीं जीत पाई इसलिए हर कोई उसका दुश्मन बना है और नेताजी बहुत खफा हैं।

चूंकि फेडरेशन को कोच और अन्य महिला पहलवानों से भी शिकायतें मिली हैं इसलिए विनेश का मामला पेचीदा हो गया है। तारीफ की बात यह है कि विनेश के पक्ष विपक्ष में राजनीति शुरू हो गई है। इस खेमेबाजी में कई द्रोणाचार्य और अर्जुन अवार्डी लुक छिप कर अपनी अपनी राय देरहे हैं और सोशल मीडिया पर बवाल काट रहे हैं।

विनेश के ताऊ द्रोणाचार्य महावीर फोगाट विनेश को दंड दिए जाने के पक्षधर हैं और बयान दे चुके हैं कि अनुशासन हीनता बर्दाश्त नहीं कि जानी चाहिए। उनके इस बयान के विरोध में शायद विनेश भी नहीं बोलना चाहेगी।

बेशक, विनेश फोगाट बहनों में सबसे कामयाब रही है। उसकी उपलब्धियों के सामने गीता, बबीता कहीं नहीं ठहरतीं। सही मायने में वह साक्षी मालिक से भी बड़े कद की है। कमी है तो बस एक ओलंम्पिक पदक की, जोकि उसने विवादों में फंस कर गंवा दिया।

अधिकांश कुश्ती प्रेमी, जानकार , पूर्व ओलंपियन और गुरु खलीफा चाहते हैं कि विनेश को एक और मौका दिया जाए। ब्रज भूषण भी शायद यही चाहेंगे, लेकिन कड़ी शर्तों के साथ। उन्हें पता है कि विनेश में ओलंम्पिक स्वर्ण जीतने का दम खम है। वह नई ऊर्जा और नये तेवरों के साथ फिर ओलंम्पिक अखाड़े में उतरेगी, अपनी भूल सुधारेगी और देश की उम्मीदों पर खरा उतरेगी। शायद यही ठीक रहेगा।

Indian Football: Clubs, coaches and referees included in 'Khela'!(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं)

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *