सरकार ने थरूर को बनाया ऑल-पार्टी प्रतिनिधिमंडल का नेता, कांग्रेस की सूची में नहीं था नाम

चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: वरिष्ठ कांग्रेस नेता शशि थरूर को सरकार ने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद पर वैश्विक मंचों पर भारत का पक्ष रखने के लिए गठित ऑल-पार्टी प्रतिनिधिमंडल का नेता नियुक्त किया है। हैरानी की बात यह है कि कांग्रेस पार्टी की ओर से भेजी गई चार नामों की आधिकारिक सूची में थरूर का नाम शामिल ही नहीं था।
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने 16 मई की सुबह कांग्रेस से चार नामों की सिफारिश मांगी थी। दोपहर तक कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आनंद शर्मा, गौरव गोगोई, डॉ. सैयद नसीर हुसैन और राजा बराड़ के नाम सुझाए। थरूर का नाम इनमें नहीं था।
हालांकि, संसदीय कार्य मंत्रालय द्वारा घोषित प्रतिनिधिमंडल में थरूर को न केवल शामिल किया गया बल्कि उन्हें उसका नेतृत्व भी सौंपा गया। उनके साथ भाजपा के रवि शंकर प्रसाद, बैजयंत पांडा, जेडीयू के संजय झा, डीएमके की कनिमोळी, एनसीपी की सुप्रिया सुले और शिवसेना (शिंदे गुट) के श्रीकांत शिंदे भी होंगे।
प्रतिनिधिमंडल 23 मई से 10-दिवसीय दौरे पर वॉशिंगटन, लंदन, अबू धाबी, प्रिटोरिया और टोक्यो जाएगा। यह टीम ऑपरेशन सिंदूर के तहत भारत की आतंकवाद पर “जीरो टॉलरेंस” नीति को वैश्विक समुदाय के समक्ष रखेगी।
थरूर ने इस जिम्मेदारी पर कहा, “मुझे गर्व है कि सरकार ने मुझे यह जिम्मा सौंपा। जब बात राष्ट्रीय हित की हो, तो मैं कभी पीछे नहीं हटूंगा।”
थरूर की नियुक्ति कांग्रेस के लिए असहज स्थिति पैदा कर रही है, खासकर ऐसे समय में जब उन्होंने हाल ही में भारत की सैन्य कार्रवाई का समर्थन किया था और सरकार की रणनीति की सराहना की थी। यह कांग्रेस के आधिकारिक रुख से उलट था। जयराम रमेश ने उनके बयान से पार्टी को अलग करते हुए कहा, “यह उनकी व्यक्तिगत राय है, पार्टी की नहीं।”
गौरतलब है कि थरूर 2014 में मोदी की तारीफ करने पर पार्टी प्रवक्ता पद से हटाए जा चुके हैं। 2020 में वे G-23 समूह के हिस्सा थे और 2022 में उन्होंने मल्लिकार्जुन खड़गे के खिलाफ कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव भी लड़ा था।
थरूर की यह नई भूमिका कांग्रेस के भीतर उनकी स्थिति को फिर से चर्चा में ला रही है।