बांग्लादेश में छात्र विद्रोह का नेता निकला पश्चिम बंगाल का वोटर, चुनाव आयोग ने दिए जांच के आदेश
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: भारत के चुनाव आयोग (ECI) ने पश्चिम बंगाल के मुख्य चुनाव अधिकारी (CEO) को काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र, दक्षिण 24 परगना जिले में एक ऐसे व्यक्ति के मामले की जांच करने का निर्देश दिया है, जो गत वर्ष बांग्लादेश में छात्र आंदोलन में सक्रिय था और यहां का पंजीकृत मतदाता भी है।
यह विवाद तब surfaced हुआ जब कुछ सूचना प्रदाताओं ने सोशल मीडिया पर न्यूटन दास की तस्वीर साझा की, जिसमें वह पिछले साल बांग्लादेश के छात्र आंदोलन में भाग लेते दिखे। साथ ही आरोप लगे कि दास के पास भारत और बांग्लादेश दोनों की नागरिकता है।
न्यूटन दास ने बांग्लादेशी नागरिकता के आरोपों से इनकार किया है, लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया कि वे उस देश गए थे और वहां छात्र आंदोलन में शामिल हुए थे। उन्होंने बताया कि वे 2014 से काकद्वीप विधानसभा क्षेत्र के मतदाता हैं और उस वर्ष लोकसभा चुनाव में भी वोट दिया था।
दास ने बताया कि वे 2024 में अपने पुश्तैनी संपत्ति के संबंध में कुछ मुद्दों को सुलझाने के लिए बांग्लादेश गए थे, जहां वे छात्र आंदोलन से जुड़ गए। उन्होंने यह भी कहा कि 2017 में उनका EPIC कार्ड खो गया था और 2018 में उन्हें नया कार्ड मिला, जिसमें तृणमूल कांग्रेस के काकद्वीप विधायक मंतूराम पाखीड़ा की मदद शामिल थी।
हालांकि मामला तब और उलझ गया जब दास के एक कजिन ने दावा किया कि न्यूटन के पास भारत और बांग्लादेश दोनों देशों के वोटर कार्ड हैं।
इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल बीजेपी ने हंगामा खड़ा कर दिया और कहा कि यह मामला उनके लंबे समय से लगाए जा रहे आरोपों को सही ठहराता है कि तृणमूल कांग्रेस और राज्य प्रशासन बांग्लादेशी नागरिकों को मतदाता सूची में शामिल कर रहा है।
बड़े विवाद के बीच, चुनाव आयोग ने अंततः पश्चिम बंगाल के CEO कार्यालय को इस मामले की गहन जांच करने के निर्देश दिए हैं।