महिला पहलवानों का दर्द: प्रधानमंत्री क्यों खामोश हैं?

The pain of women wrestlers, why is the Prime Minister silent?राजेन्द्र सजवान

  • देश के खिलाड़ियों को हर छोटी बड़ी उपलब्धि पर बधाई देने वाले और खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री तक शायद महिला पहलवानों के शारीरिक शोषण की खबर नहीं पहुंची है
  • धरना दे रही इन पहलवानों ने यहां तक कहा है कि एक नहीं सात लड़कियों के साथ ब्रजभूषण ने दुराचार किया है, जिनमें एक नाबालिग बच्ची भी है
  • तीन महीने बीत जाने के बाद भी देश की नामी पहलवान अपने फेडरेशन अध्यक्ष के विरुद्ध डटी हुई हैं
  • फिलहाल निचले स्तर के अधिकारियों की विफलता, खेल मंत्रालय की विवशता और पहलवानों के आरोपों की जांच करने वाली कमेटी के टालू रवैये ने पहलवानों की पीड़ा को बढ़ाया है
  • हर मामले की सच्चाई जानने के लिए यदि सर्वोच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाना पड़े तो यह मानना पड़ेगा कि देश में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा
  • हैरानी वाली बात यह है कि यौन शोषण के मामले नए नहीं हैं लेकिन गंभीरता की कमी के चलते ज़्यदातर मामलों को दबाया जाता रहा है
  • हरियाणा के खेल मंत्री और पूर्व ओलम्पियन हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह पर आरोप लगे, मीडिया ने कुछ दिन हाय तौबा मचाई और फिर हर कोई मौन हो गया

बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ, महिला सशक्तिकरण और न जाने कैसे-कैसे लुभावने नारे परोसने वाली भारत सरकार महिला पहलवानों और अन्य शोषित महिला खिलाड़ियों के मामले में कितनी गंभीर हैं? देश की माता-बहनों और महिला खिलाड़ियों के लिए वे किस कदर संवेदनशील हैं? यह ताजा प्रकरण से साफ हो जाता है। एक तरफ तो सरकार कह रही है कि सच सामने आना चाहिए और दोषियों को दण्डित किया जाना चाहिए लेकिन हर मामले की सच्चाई जानने के लिए यदि सर्वोच्च न्यायलय का दरवाजा खटखटाना पड़े तो यह मानना पड़ेगा कि देश में सबकुछ ठीक-ठाक नहीं चल रहा।

कुछ शोषित और पड़ताड़ित महिला खिलाड़ी कह रही हैं कि देश के खिलाड़ियों को हर छोटी बड़ी उपलब्धि पर बधाई देने वाले और खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ाने वाले प्रधानमंत्री  तक शायद महिला पहलवानों के शारीरिक शोषण की खबर नहीं पहुंची है। वरना क्या कारण है कि तीन महीने बीत जाने के बाद भी देश की नामी पहलवान अपने फेडरेशन अध्यक्ष के विरुद्ध डटी हुई हैं। हालांकि फिलहाल निचले स्तर के अधिकारियों की विफलता, खेल मंत्रालय की विवशता और पहलवानों के आरोपों की जांच करने वाली कमेटी के टालू रवैये ने पहलवानों की पीड़ा को बढ़ाया है और उनके सब्र का बाँध टूट गया है|

महिला पहलवान धरना स्थल पर रोती बिलखती हुई अपनी पीड़ा सुनाती रही हैं और उन्होंने यहां तक कहा है कि एक नहीं सात लड़कियों के साथ ब्रजभूषण ने दुराचार किया है, जिनमें एक नाबालिग बच्ची भी है। हैरानी वाली बात यह है कि इस मामले की गूंज देश के शीर्ष नेताओं तक नहीं पहुँच पाई है। हां, मौका तलाश रहे विपक्ष ने इस मुद्दे को कैच जरूर कर लिया है और अब देश की चैम्पियन लड़कियों के प्रति सहानुभूति दिखा कर राजनीतिक रोटियां सेंकने लगे हैं।

हैरानी वाली बात यह है कि यौन शोषण के मामले नए नहीं हैं। खेल मंत्रालय और जिम्मेदार खेल संघों को पहले भी चेताया गया  लेकिन गंभीरता की कमी के चलते ज़्यदातर मामलों को दबाया जाता रहा है। हरियाणा के खेल मंत्री और पूर्व ओलम्पियन हॉकी खिलाड़ी संदीप सिंह पर आरोप लगे, मीडिया ने कुछ दिन हाय तौबा मचाई और फिर हर कोई मौन हो गया। साइकिलिंग, टेबल टेनिस, तैराकी और तमाम खेलों में महिला खिलाड़ियों ने कोचों और फेडरेशन अधिकारियों पर आरोप लगाए लेकिन महिलाओं के प्रति झूठी आस्था और सद्भावना दिखाने वाली सरकारों ने एक भी मामले को गंभीरता से नहीं लिया। नतीजा सामने है। अब तो सात लड़कियां एक साथ आरोप लगा रही हैं।

खिलाड़ियों को खोखली लोकप्रियता का सामान समझने वाली सरकारें यह भूल रही हैं कि दुनिया के इतिहास को बनाने और बदलने में इस प्रकार की क्रन्तिकारी बहन-बेटियों की बड़ी भूमिका रही है। यदि ब्रज भूषण निर्दोष हैं तो आरोप लगाने वाली महिला खिलाड़ियों को कड़ी से कड़ी सजा मिलनी चाहिए। लेकिन यदि उनकी आवाज को दबाया जा रहा है तो राजनीति करने वालों को जनता सजा दे सकती है, सरकारों से तो कोई उम्मीद रही नहीं।

The pain of women wrestlers, why is the Prime Minister silent?

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं। लेख में व्यक्त किए गए विचार से चिरौरी न्यूज का सहमत होना अनिवार्य नहीं है।)

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *