सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट पर की सख्त टिप्पणी, कहा अर्णब गोस्वामी को जमानत नहीं देकर हाईकोर्ट ने की गलती
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में मामले में आज सुप्रीम कोर्ट ने बॉम्बे हाई कोर्ट पर सख्त टिप्पणी की है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने विस्तृत आदेश में कहा है कि महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी का प्रथम दृष्टया मूल्यांकन उनके खिलाफ आरोप स्थापित नहीं करता है। ऐसे में बॉम्बे हाई कोर्ट को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी जमानत दे देनी चाहिए थी।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि यहा मामला एक नागरिक के स्वतंत्रता का है, और बॉम्बे हाईकोर्ट एक नागरिक सी स्वतंत्रता की रक्षा करने का अपना कर्त्वय निभाने में नाकाम रहा। क्योंकि जिस व्यक्ति ने शिकायत की है वह टीवी चैनल में अपने विचारों को व्यक्त करने के लिए महाराष्ट्र सरकार के निशाने पर हैं। न्यायमूर्ति धनन्जय वाई चंद्रचूड़ सिंह और न्यायमूर्ति इन्दिरा बनर्जी की अवकाशकालीन पीठ ने कहा कि अगर राज्य सरकारें लोगों को निशाना बनाती हैं तो उन्हें इस बात का अहसास होना चाहिए कि नागरिकों की स्वतंत्रता की रक्षा के लिये उच्चतम न्यायालय है।
बता दें कि इस से पहले 11 नवंबर को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट से अंतरिम जमानत मिली थी।
सुप्रीम कोर्ट ने अर्णब को जमानत देने का कारण बताते हुए कहा कि मुंबई हाईकोर्ट मे एफआईआर पर प्रथ्म दृष्ट्या विचार नहीं किया। इसके अलावा कोर्ट ने आरोप की प्रकृति और अर्णब के खिलाफ आरोप के स्तर पर भी ध्यान नहीं दिया।
मामले पर बोलते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ सिंह ने कहा कि यह देखने की खास तौर से जरूरत है कि क्या आरोपी भाग सकता है या फिर सबूतों के साथ छेड़ छाड़ कर सकता है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी भी नागरिक के खिलाफ कोई भी राज्य अपराधिक कानूनों का इस्तेमाल करके परेशान नहीं करें यह सभी अदालतों को सुनिश्चित करना होगा।