उपराष्ट्रपति नायडू ने भारत को एक अग्रणी समुद्री राष्ट्र बनाने का आह्वान किया
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने आज भारत को एक अग्रणी समुद्री राष्ट्र बनाने का आह्वान किया और इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में बंदरगाहों की महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया। विशाखापत्तनम में उनके साथ बातचीत के दौरान विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट (वीपीटी) के अध्यक्ष के. राम मोहन राव और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने उपराष्ट्रपति के सामने एक प्रस्तुति दी। उन्होंने उपराष्ट्रपति को बंदरगाह की विस्तार योजनाओं सहित इसकी विभिन्न गतिविधियों के बारे में भी बताया।
इस अवसर पर बोलते हुए, नायडू ने कहा कि “लगभग 7,517 किलोमीटर की तटरेखा और 200 से अधिक बड़े और छोटे बंदरगाहों के साथ, भारत दुनिया की प्रमुख शिपिंग लेन में से एक है और ये बंदरगाह भारतीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।“
यह याद करते हुए कि प्राचीन भारत एक महान समुद्री शक्ति थी, उपराष्ट्रपति ने कहा कि “चोल और कलिंग राजाओं ने महासागरों पर शासन किया और हमें फिर से ऐसी स्थिति में पहुंचना चाहिए।”
देश में बंदरगाह के बुनियादी ढांचे के विकास के बारे में उन्होंने कहा कि महत्वाकांक्षी सागरमाला परियोजना के हिस्से के रूप में बंदरगाह के नेतृत्व वाले विकास के अवसरों को खोलने के लिए 504 से अधिक परियोजनाओं की पहचान की गई है और इन पहलों से अवसंरचना में निवेश के रूप में 3.57 लाख करोड़ रुपये से अधिक प्राप्त होने की उम्मीद है।
2015-16 और 2019-20 के बीच तेजी के बाद महामारी की वजह से 2020-21 के दौरान विशाखापत्तनम बंदरगाह पर कार्गो व्यापार में गिरावट का उल्लेख करते हुए, उप राष्ट्रपति ने उम्मीद व्यक्त की कि स्थिति सामान्य होने पर बंदरगाह अपने वृद्धि की उछाल को फिर से प्राप्त कर लेगा। उन्होंने आगे कहा, “इसका उल्लेख करना महत्वपूर्ण है कि कोविड के बाद के आर्थिक सुधार में सभी बंदरगाह महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।”
कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर और चक्रवात तौकते और यास दौरान ऑक्सीजन की आपूर्ति और मानवीय राहत कार्यों को संभालने में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए बंदरगाहों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, “मैं इसके लिए आप सभी की सराहना करता हूं।”
मैरिटाइम इंडिया विजन 2030 का उल्लेख करते हुए उपराष्ट्रपति ने कामना की कि बंदरगाह परिचालन और विकास में विश्व स्तर पर सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाया जाए। उन्होंने आगे कहा कि विजन-2030 प्राप्त करना असंभव नहीं है, क्योंकि भारत में ज्ञान की अंतर्निहित मजबूती है और सभी चाहते हैं कि टीम इंडिया की भावना से एक साथ मिलकर काम करें।
वार्ता के दौरान उपराष्ट्रपति ने प्रदूषण को नियंत्रित करने और पर्यावरण की रक्षा के लिए विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट द्वारा उठाए जा रहे कदमों के बारे में जानना चाहा। इस बंदरगाह की हरित पहल की प्रशंसा करते हुए, उन्होंने नवीकरणीय ऊर्जा और ऊर्जा संरक्षण पर अधिक ध्यान देने का भी आह्वान किया।
उन्होंने औद्योगिकीकरण, डिजिटलीकरण और बंदरगाह संचालन के स्थिरीकरण के लिए विभिन्न हरित पहल को ले कर विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट की भी सराहना की। नायडू ने कहा, “मैं आने वाले वर्षों में विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट की विस्तार योजनाओं के बारे में जानकर खुश हूं।”
इससे पहले उप राष्ट्रपति को विशाखापत्तनम बंदरगाह की विस्तार योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। इनमें 103 एकड़ के क्षेत्र में 406 करोड़ रुपये के मुक्त व्यापार और भंडारण क्षेत्र (एफटीडब्ल्यूजेड) की प्रस्तावित स्थापना शामिल है।
इस प्रस्तावित एफटीडब्ल्यूजेड को सागरमाला के तहत वित्त पोषित किया जाएगा और सड़क, बिजली, रेल और सड़क संपर्क जैसे बुनियादी ढांचे को विकसित करने के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) स्थापित किया जाएगा।
इस बातचीत के दौरान आंध्र प्रदेश सरकार के पर्यटन व युवा विकास मंत्री एम. श्रीनिवास राव, विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट (वीपीटी) के अध्यक्ष के. राम मोहन राव, विशाखापत्तनम पोर्ट ट्रस्ट (वीपीटी) के उप अध्यक्ष दुर्गेश कुमार दुबे और बंदरगाह के अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।