मोर को लेकर इतना हल्ला क्यों है?
अनंत अमित
आजकल जहां देखिए, वहां मोर को लेकर बहस हो रही है। मोर हमारा राष्ट्रीय पक्षी है। उम्मीद करता हूं यह सभी को ज्ञात होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्राकृति से बहुत लगाव रखते हैं इसका अहसास वह पहले भी कई मौकों पर करा चुके हैं और इसी कड़ी में उनकी नयी बानगी दिल को भाव विभोर करती है। मोदी ने रविवार को अपने इंस्टाग्राम एकाउंट पर एक मिनट 47 सेकेंड का एक वीडियो पोस्ट किया है जिसमें वह एक प्लेट में दाना लेकर बैठे हुए हैं और राष्ट्रीय पक्षी मोर उस प्लेट में बेखौफ बार-बार दाना चुग रहा है। यह वीडियो प्रधानमंत्री आवास सात लोक कल्याण मार्ग का है। यही नहीं वीडियो में मोदी के ईद गिर्द मोर नाचता भी नजर आ रहा है।
प्रधानमंत्री आवास की इन तस्वीरों में नीले मोर दिख रहे हैं जो भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। मोदी मॉर्निंग वॉक पर निकलते हैं तो मोर भी रास्ते में टहलते रहते हैं। शाम को टहलते हुए भी मोर से सामना हो जाता है। बाहर मन मन नहीं भरता मोर भीतर चले आते हैं। अंदर भी मोदी उनकी भूख का पूरा ख्याल रखते हैं। पीएम ने अपने तमाम संवादों में प्रकृति और पक्षियों के साथ लगाव को सामने रखा है। आम चुनाव से ठीक पहले वह डिस्कवरी चैनल के लोकप्रिय कार्यक्रम मैन वर्सेज वाइल्ड में बेयर ग्रिल्स के साथ दिखे थे। उनकी एक किताब ‘आंख आ धन्य छे’ में प्रकृति पर कई कविताएं हैं।
प्रधानमंत्री आवास में मोर की तस्वीर देखकर कई लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर प्रधानमंत्री आवास में मोर कैसे पहुंचा ? कुछ लोग इसे बिहार में लालू यादव के आवास में मोर को लाए जाने की ही तरह देख रहे हैं। ऐसे लोगों से मेरा कहना है कि आप लोग दिल्ली की देखिए। समझिए। दिल्ली के कई इलाकों में सहज भी मोर के दर्शन होंगे। नॉर्थ एवेन्यू और साउथ एवेन्यू की सडकों पर मोर नजर आ जाएगा। रायसीना हिल्स के आसपास गुजरेंगे, तो मानसून के मौसम में कभी भी मोर की आवाज सुनाई पड जाएगी। ऐसे में प्रधानमंत्री आवास में मोर का होना मुझे अचंभित नहीं करता है।
हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के साथ मोर की तस्वीर और वीडियो को गौर से देखें। मोर और प्रधानमंत्री मोदी जी का साहचर्य कितना नैसर्गिक लग रहा है। वे सरकारी फाइलों को गौर से पढ रहे हैं वहीं मोर पूरी तन्मयता के साथ दाना चुग रहा है। दोनों अपने अपने कामों में व्यस्त। जो लोग इस वीडियो को लेकर कुतर्क गढ रहे हैं, क्या उन्होंने कभी मोर को देखा है या ऐसा साहचर्य महसूस किया है ? एक अन्य तस्वीर में प्रधानमंत्री जी हाथों में स्टिक लेकर सुबह में सैर कर रहे हैं। वहीं, मोर पूरे मनोयोग से पंख फैलाए नृत्य कर रहा है। यह भी तो स्वाभाविक वात्सल्यपूर्ण साहचर्य को ही दर्शाता है।
हालांकि, कुछ लोगों ने इस पर पीएम की आलोचना भी की। स्वीडन की एक यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर ने लिखा, “पीएम खुले आम देश के कानून का मजाक बनाते हैं! मोर देश का राष्ट्रीय पक्षी है और यह वाइल्ड लाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट के तहत शेड्यूल्ड स्पीशीज के तहत आता है। ऐसे में इसे पेट (पालतू) के तौर पर रखना अवैध है।”
एक टीवी पत्रकार ने तंज कसते हुए ट्वीट किया, “सुना है आज सुबह से हमारे पत्रकार-प्रचारक मोर बनके नाच रहे हैं।” एक अन्य ने कहा कि 80 फीसदी भारतीय अपने बच्चों और नर्स अपने मरीजों को खिलाने के लिए जूझ इस पृथ्वी पर जूझ रही हैं। वहीं, स्वर्ग में भगवान इंद्र मोर के साथ अपने बगीचे में खेल रहे हैं, जबकि इस दौरान उनके कुक खाना पकाने में व्यस्त हैं।
अब इन लोगों को कौन समझाए कि पर्यावरण पर अपनी दृष्टि का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने जिन दो किताबों की रचना की है वे ‘‘कनवीनिएंट एक्शन गुजरात्स रिस्पांस टू चैलेंजेस ऑफ क्लाइमेट चेंज’’ और ‘‘कनवीनिएंट एक्शन-कंटीन्यूटी फॉर चेंज’’ हैं। उनकी एक अन्य पुस्तक का नाम है ‘‘आंख आ धन्य छे’’। यह पुस्तक प्रकृति पर लिखी गई कविताओं का संकलन है। जब दुनिया जलवायु परिवर्तन की बात कर रही थी तब मोदी ने ‘‘जलवायु न्याय’’ की चर्चा की। उन्होंने जलवायु परिवर्तन के खिलाफ लड़ाई को मानवीय मूल्यों से जोड़ा। गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में मोदी ने जलवायु परिवर्तन के अभिनव समाधान तैयार करने के लिए अलग जलवायु परिवर्तन विभाग बनाया। इस भावना को पेरिस में 2015 के सीओपी 21 शिखर सम्मेलन में भी देखा गया था जहां मोदी ने पर्यावरण से जुड़े मुद्दों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।यह सर्वविदित है कि मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही भारत सरकार ने 26 जनवरी, 1963 को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। भारतीय जनमानस के मन में बसा और आस्थाओं से रचाबसा पक्षी मोर, (पैवो क्रिस्टेटस) भारत का राष्ट्रीय पक्षी है। इसकी दो प्रजातियाँ हैं- नीला या भारतीय मोर (पैवो क्रिस्टेटस), जो भारत और श्रीलंका (भूतपूर्व सीलोन) में पाया जाता है। हरा या जावा का मोर (पैवो म्यूटिकस), जो म्यांमार (भूतपूर्व बर्मा) से जावा तक पाया जाता है। भारत का राष्ट्रीय पक्षी रंगीन, हंस के आकार का पक्षी, पंखे की आकृति जैसी पंखों की कलगी, आँख के नीचे सफ़ेद रंग और लंबी पतली गर्दन वाला होता है। इसकी आवाज़ अति प्रिय होती है। इस प्रजाति का नर मादा से अधिक रंगों से भरा होता है जिसका चमकीला नीला सीना और गर्दन होती है और अत्यधिक मनमोहक कांस्य गहरे हरे रंग के 200 लम्बे पंखों का गुच्छा होता है। मोर के इन पंखों की संख्या 150 के लगभग होती है। मादा (मोरनी) भूरे रंग की होती है, नर से थोड़ा छोटा और इसके पास रंग भरे पंखों का गुच्छा नहीं होता है।
भगवान कृष्ण के मुकुट में लगा मोर का पंख इस पक्षी के महत्त्व को दर्शाता है। महाकवि कालिदास ने महाकाव्य ‘मेघदूत’ में मोर को राष्ट्रीय पक्षी से भी अधिक ऊँचा स्थान दिया है। राजा-महाराजाओं को भी मोर बहुत पसंद रहा है। प्रसिद्ध सम्राट चंद्रगुप्त मौर्य के राज्य में जो सिक्के चलते थे, उनमें एक तरफ मोर बना होता था। मुग़ल बादशाह शाहजहाँ जिस तख्त पर बैठता था, उसकी शक्ल मोर की थी। दो मोरों के मध्य बादशाह की गद्दी थी तथा पीछे पंख फैलाए मोर। हीरों-पन्नों से जड़े इस तख्त का नाम ‘तख्त-ए-ताऊस’ रखा गया। जनमानस में अनेक कहावतें और लोकोक्तियाँ मोर को लेकर प्रचलित हैं।
(लेखक भाजपा किसान मोर्चा में राष्ट्रीय मीडिया समन्वयक हैं। लेखक के विचारों से चिरौरी न्यूज़ का सहमत होना अनिवार्य नहीं है.)