किसान आंदोलन राजनीति की भेंट तो नहीं चढ़ेगी ?

 

नई दिल्ली: नए कृषि कानून को लेकर जिस प्रकार से पंजाब के किसान आंदोलित हैं, उसकी धमक पूरी तरह राजधानी दिल्ली ने महसूस किया। जब तक किसान पंजाब में रेल पटरियों पर प्रदर्शन करते रहे, देश का ध्यान नहीं गयां मगर जैसे ही किसानों ने दिल्ली कूच करने का आह्वान किया, वैसे ही पंजाब और हरियाणा सरकार के बीच तल्खियां भी आईं। अंबाला के शंभु बाॅर्डर और दिल्ली के सिंधु बाॅर्डर पर जिस प्रकार से उग्र आंदोलन हुआ, उसका गवाह पूरा देश रहा। काफी मशक्कत के बाद 27 नवंबर की दोपहर दिल्ली पुलिस ने आंदोलनरत किसानों को दिल्ली के बुराड़ी स्थित निरंकारी मैदान में शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने को कहा। आनन-फानन में दिल्ली सरकार की ओर से किसानों की सुविधा का एलान करके इसका राजनीतिक लाभ लेने की कोशिश शुरू हुई।
मगर यह क्या ? किसानों ने साफ मना कर दिया कि हमें जंतर-मंतर पर अथवा ऐतिहासिक रामलीला मैदान में प्रदर्शन करने की अनुमति दी जाए, नहीं तो हम दिल्ली-पंजाब राजमार्ग पर सिंधु बाॅर्डर पर ही जमे रहेंगे। यहीं से सवाल उठना शुरू हो गया कि क्या यह आंदोलन किसानों का स्वतःस्फूर्त आंदोलन है या इसमें राजनीति का जोरदार तड़का लग चुका है ? जिस प्रकार से पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के बीच बयानबाजी शुरू हुई। उसके बाद शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल कूदे। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विटर पर बयानों की बौछार लगा दी। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने लोगों को किसानों के बीच भेजने लगा।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी तथा महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा ने किसानों को दिल्ली आने से रोकने के लिए सैनिकों के इस्तेमाल की आलोचना करते हुए कहा है कि सरकार ने ‘जय जवान जय किसान’ नारे की धज्जियां उड़ाते हुए देश के किसान तथा जवान को आमने सामने खड़ा कर दिया है। राहुल गांधी ने दिल्ली आने की जिद कर रहे एक किसान की सेना के जवान द्वारा डंडे से पिटाई करने की फोटो ट्वीट की है और कहा है कि किसान के खिलाफ खड़े हुए सैनिक की यह तस्वीर अत्यंत दुखद है। राहुल गांधी ने ट्वीट किया, “ बड़ी ही दुखद फ़ोटो है। हमारा नारा तो ‘जय जवान जय किसान’ का था लेकिन आज प्रधानमंत्री मोदी के अहंकार ने जवान को किसान के ख़िलाफ खड़ा कर दिया। यह बहुत ख़तरनाक है।”
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि इस बार सरकार से वार्ता नहीं बल्कि समाधान मिलने से ही काम चलेगा। केंद्रीय कृषि कानून का भाकियू ने पहले से ही विरोध किया है। अन्नदाता के साथ लगातार अन्याय बर्दाश्त नहीं होगा। देशभर में किसानों की फसलों का एक ही दाम होना चाहिए। जब तक किसानों की समस्या का समाधान नहीं होगा, भाकियू कार्यकर्ता व किसान सड़क पर ऐसे ही आंदोलन करते रहेंगे। टिकैत ने कहा कि सात साल से वह सरकार को ढूंढ रहे हैं परंतु अब तक नहीं मिली। इस बार उन्हें सरकार के मिलने की उम्मीद है।
कृषि कानूनों के विरोध में पिछले किसान दिल्ली जाने के लिए निकले, जिससे नेशनल हाईवे 44 पूरी तरह से जाम है। इससे इन सभी जगहों पर करीब तीन हजार ट्रक जाम में फंस गए और उनकी लंबी लाइन लग गई। इससे दिल्ली समेत कई राज्यों में फल, सब्जी व अन्य जरूरी सामान की सप्लाई बाधित हो गई। फल व सब्जी के साथ ही दूध भी नेशनल हाईवे 44 से दिल्ली में पहुंचता है और इसका सबसे ज्यादा असर दिल्ली में पड़ता दिख रहा है। किसान आंदोलन के चलते कश्मीर, हिमाचल व पंजाब से फलों के साथ ही सब्जियां लेकर आने वाले ट्रक नेशनल हाईवे पर आगे नहीं बढ़ सके। कश्मीर से सेब लेकर दिल्ली की आजादपुर मंडी के लिए चले 600 ट्रक आठ दिन बाद भी मंडी नहीं पहुंच पाए हैं। ऐसे में बागान मालिकों से लेकर आढ़तियों तक को परेशानी हो गई है।

ऐसा नहीं है कि किसानों के साथ टकराव सिर्फ दिल्ली सीमा पर चलता रही। उधर हरियाणा में भी कई जगह पुलिस और किसानों के बीच लगातार दूसरे दिन टकराव हुआ। बड़ी तादाद में किसान बैरिकेडिंग तोड़ते हुए दिल्ली की तरफ आगे बढ़ गए। पीछे-पीछे पंजाब के किसान भी थे। इनकी हरियाणा पुलिस से झड़प होती रही। पानीपत के सेक्टर-29 के थाने के पास पुलिस ने जेसीबी मशीन बुला ली और सड़कों को खोद दिया। ऐसा पहली बार हुआ कि किसानों को रोकने के लिए पुलिस ने सड़कें खोद डालीं।
किसानों को शांतिपूर्ण आंदोलन करने से रोके जाने पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि केंद्र के कृषि कानून गलत हैं और किसान सच की लड़ाई लड़ रहे हैं। पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी केंद्र पर निशाना साधते हुए कहा कि उसे तुरंत किसानों से बात करनी चाहिए। उन्होंने बाद में किसानों को दिल्ली में घुसने देने के केंद्र के फैसले का स्वागत किया।
इस बीच दिल्ली पुलिस ने दिल्ली सरकार से कई स्टेडियम मांगे थे, जिन्हें अस्थायी जेल बनाना था। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे किसानों को उन स्टेडियम में रखने के लिए उसकी मंजूरी मांगी थी, पर दिल्ली सरकार ने इसकी इजाजत नहीं दी। बाद में दिल्ली के गृह मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि अहिंसक तरीके से आंदोलन करना हर भारतीय का अधिकार है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के स्टेडियम को जेल नहीं बनाने देंगे।
गौरतलब है कि किसान तीनों केंद्रीय कृषि बिलों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। इस बीच केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील करते हुए कहा कि तीन दिसंबर को उनसे बात की जाएगी, पर किसान अपनी बात पर अडे़ हैं। तोमर ने किसानों की भलाई का भरोसा देते हुए कहा कि सरकार का लक्ष्य है कि देश की जीडीपी में कृषि क्षेत्र का योगदान बढ़े। वर्ष 2022 तक किसानों की आय दोगुनी हो और इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में रोजगार के अवसर बढ़ें, इसके लिए सरकार प्रतिबद्ध है। कृषि के विकास के लिए कानूनों से भी सारे रास्ते खोले गए हैं, जिनका लाभ उठाते हुए किसानों की आय दोगुनी ही नहीं, बल्कि इससे भी ज्यादा करने का प्रयास होना चाहिए। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, आईसीएमआर की जलवायुवीय समिति की एक की बैठक में उन्‍होंने किसानों को 2022 तक उनकी आय दोगुनी करने का भरोसा दिलाया।

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