हाथरस में दलित महिला के साथ सामूहिक बलात्कार और हत्या के खिलाफ महिला संगठनों ने जंतर-मंतर पर किया प्रदर्शन
चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: आज अलग-अलग महिला संगठनो द्वारा जंतर मंतर पर उत्तर प्रदेश के हाथरस के मामले को लेकर एक बड़ा विरोध प्रदर्शन किया गया। इस प्रदर्शन में 19 वर्षीय दलित महिला के बलात्कार और हत्या की घटना के विरोध में नारे लगाए गए| साथ ही इस मामले की जाँच में पुलिस की उदासीनता, दलित महिलाओं पर हो रही जाति-आधारित यौन हिंसा की बढ़ती घटनाएँ, देश भर में महिलाओं के खिलाफ बढ़ते अपराधो की प्रवृत्ति, जातिवादी लैंगिक-हिंसा के मामले मे राज्य की उदासीनता और महिलाओं की गरिमा और अधिकारों के बचाव को लेकर मौजूदा शासन के दावों के खोखलेपन के खिलाफ महिला संगठनो ने अपना विरोध दर्ज किया।
पिछले हफ्ते हाथरस में हुई घटना महिलाओं के खिलाफ यौन अपराधों का नया प्रतीक बन गयी, जब एक दलित लड़की के साथ क्रूरतापूर्वक सामूहिक बलात्कार किया गया और गला घोंट कर उसे मार दिया गया। इस जघन्य अपराध के चलते पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं।
दिल्ली मे महिला संगठनों ने भी अपना आक्रोश दर्ज किया है, खासकर पुलिस प्रशासन द्वारा लड़की के परिवार की अनुपस्थिति में पीड़ित के शरीर का अंतिम संस्कार किये जाने के मुद्दों के संदर्भ में अपना गुस्सा जाहिर किया। मीडिया से बात करने पर लड़की के परिवार को यूपी के अधिकारियों द्वारा दी जारही धमकियों के खिलाफ भी महिला संगठनो ने अपनी आवाज उठाई।
जंतर मंतर पर हुए इस विरोध प्रदर्शन में ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वुमन ऑर्गनाइजेशन (AIDWA), AIMSS, संघर्षशील महिला केंद्र (CSW), नेशनल फेडरेशन ऑफ़ इंडियन वुमेन (NFIW), प्रगति महिला संगठन (PMS), पुरुगामी महिला संगठन, स्वास्तिक महिला समिति (SMS) और सहेली आदि संगठनों के कार्यकर्ताओ ने हिस्सेदारी निभाई। विशेष रूप से, हाथरस की घटना से पहले ही दिल्ली के उपराज्यपाल और मुख्यंत्री को दिया गया महिलाओं के मांगपत्रों पर ध्यान आकर्षित कराने के लिए इन महिला सगठनो ने 2 अक्टूबर को विरोध प्रदर्शन का निर्णय
लिया था। महिलाओं के इस मागपत्र में जीवन-जीविका-जनवाद से जुड़े महत्वपूर्ण मांगो को शामिल है। जीवन, जीविका और जनवाद के इस संघर्ष में निश्चित रूप से महिलाओं के सम्मान की ज़िंदगी का अधिकार शामिल है, जब हमने 2012 की घटना को हाथरस में दोहराते हुए पाया, जहां एक और क्रूर सामूहिक-बलात्कार हुआ, जिसके परिणामस्वरूप पीड़िता की मौत हो गई। यूपी महिलाओं के खिलाफ अपराधों का सबसे बड़ा केंद्र रहा है, जिस तरह की राजनीति को सत्तारूढ़ ताकत अपनाती है – ऐसी राजनीति जो नृशंस बलात्कार की संस्कृति को मजबूत करती है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, महिलाओं के खिलाफ अपराधों की सूची में यूपी सबसे ऊपर है।
इसके अलावा, महिला संगठनों ने यह भी बताया कि बलात्कार की संस्कृति ग्रामीण भारत में भी व्याप्त है| लेकिन ये देश की राजधानी दिल्ली में भी व्यापक रूप से मौजूद है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामले में दिल्ली सरकार के साथ सभी सरकारों से सवाल करने की जरूरत है, जिन्होंने निर्भया फंड का उपयोग सही तरीके से नहीं किया है।
इस संदर्भ में महिला संगठन ने निम्नलिखित मांग की हैं:
- उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग करते है और अगर उन्होंने अपनी सारी संवेदनशीलता खो दी है, तो केद्र सरकार को इस मामले में आगे आना चाहिए।
- आईजी (पुलिस), पुलिस अधीक्षक, डिटरिट मजिस्ट्रेट, और संबंधित
एसएचओ को एससी एसटी अत्याचार अधिनियम के तहत उनके उच्च-पद से तत्काल निलंबन की मांग करते हैं, जिसमें 19 वर्षीय दलित महिला के शव का अंतिम संस्कार मनमाने तरीके से किया गया।
- उच्च न्यायलय की निगरानी में इस मुद्दे की त्वरित, निष्पक्ष, वैज्ञानिक जांच की मांग करते हैं। साथ ही हम माँग करते है कि मामले की सुनवाई दिल्ली में स्थानांतरित की जानी चाहिए।
- देश और खासकर यूपी में फैली बलात्कार संस्कृति को समाप्त करने की मांग करते हैं। इसके लिए हम देश भर में अधिक फास्ट ट्रैक कोर्ट की स्थापना की मांग के साथ निर्भया फंड के उचित उपयोग की माँग करते हैं, जिसका 90 प्रतिशथ धन अभी भी उपयोग नहीं किया गया है।