गाजियाबाद के करहेड़ा गाँव के 200 लोगों ने हाथरस की घटना से व्यथित होकर अपनाया बौद्ध धर्म

(चित्र का उपयोग केवल प्रतीक के लिए किया गया है. )

चिरौरी न्यूज़

गाजियाबाद: कुछ दिनों पहले हाथरस में एक दलित लड़की के साथ हुए अमानवीय अत्याचार से व्यथित वाल्मीकि समुदाय में बहुत नाराजगी है। वहीँ इस घटना से उत्तर प्रदेश में राजनीति भी गर्म हो गयी है। सताधारी पार्टी बीजेपी विपक्ष के निशाने पर है। कांग्रेस के नेता राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी ने तो हाथरस की घटना के विरोध में रैली भी की ये थे।

हालांकि घटना की पहले एसआईटी से और बाद में सीबीआई से जांच कराने का आदेश उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दे दिया है, लेकिन अभी भी विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा है। अब इसी सिलसिले में गाजियाबाद में हाथरस घटना के विरोध में दलित समुदाय के तकरीबन 200 से ज्यादा लोगों ने धर्म परिवर्तन कर बौद्ध धर्म अपना लिया।

एक हफ्ते पहले यानी 14 अक्टूबर को साहिबाबाद इलाके के करहेड़ा गांव में एक सभा हुई थी, जिसमें ये फैसला किया गया कि हाथरस काण्ड के विरोध में तक़रीबन 200 लोग धर्म परिवर्तन कर बौद्ध हो जायेंगे। आज उस फैसले के तहत वाल्मीकि समाज के तक़रीबन 200 लोगों ने धर्म परिवर्तन कर लिया है। ये धर्म परिवर्तन बाबा साहब भीम राव आंबेडकर के परपोते राजरत्न अंबेडकर की उपस्थिति में हुआ है।

करहेड़ा गांव में बस्तियों में रहने वाले 50 वाल्मीकि परिवार के 236 लोगों ने धर्म परिवर्तन करते हुए बौद्ध धर्म अपना लिया। धर्म परिवर्तन करने वाले परिवारों का कहना है कि वाल्मीकि समाज की उपेक्षा की जा रही है और हाथरस में हुई घटना इसी का नतीजा है। गांववालों ने सरकार पर आरोप लगाया कि उनकी समस्याओं का भी कोई समाधान नहीं किया गया। गांववालों को बौद्ध धर्म की दीक्षा का प्रमाण पत्र भी दिया गया है। गाँव वालों का कहना है कि हाथरस की घटना के बाद से वाल्मीकि समाज के लोगों में रोष है।

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