सैमी से माफी मांगने से प्यार बढ़ेगा,दोस्ती होगी पक्की
राजेन्द्र सजवान
प्रिय सैमी,
आठ जून को ‘chirauri.com’ ने हैदराबाद सनराइजर्स के साथी खिलाड़ियों द्वारा आप पर की गई नस्ली टिप्पणी को लेकर आम भारतीय के दोस्ताना व्यवहार को स्पष्ट करने का प्रयास किया था। लेकिन आप शायद अमेरिका की घटना से बहुत ज्यादा आहत हैं और होना भी चाहिए। आखिर, काले-गोरे का भेद किसलिए! खेल जगत जानता है कि अश्वेत खिलाड़ी हमेशा से श्रेष्ठ रहे हैं और आगे भी रहेंगे।
जहां तक सैमी के गुस्से की बात है तो उनके जैसे नामी खिलाडियों को चुप्प नहीं बैठना चाहिए। देखते ही देखते वेस्टइंडीज के कई बड़े क्रिकेट खिलाड़ियों ने सैमी की आवाज में आवाज मिलाई है। दुनियाभर के दिग्गज खिलाड़ी उसे सपोर्ट कर रहे हैं , जिनमें श्वेत अश्वेत सभी शामिल हैं।
जार्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद पूरा अमेरिका घुटनों पर आ गया है। पुलिस के साथ साथ पार्लियामेंट भी झुक कर माफी मांग चुकी है। अब सैमी कह रहे हैं कि उनका उपहास उड़ाने वाले साथी खिलाड़ी भी माफी मांगें। सैमी के अनुसार उन्हें ‘कालू’ कहने वाले खिलाड़ी यदि सोशल मीडिया या फोन द्वारा अपनी गलती स्वीकार लेते हैं तो माफ कर देंगे। वरना सबके नाम उजागर कर सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो वेस्ट इंडीज को दो बार टी 20 वर्ल्ड कप जिताने वाले कप्तान के बारे में इशांत शर्मा की पाँच साल पुरानी पोस्ट से सच्चाई सामने आ सकती है। आशंका यह भी है कि टीम के तत्कालीन संरक्षक वीवीएस लक्ष्मण पर भी उंगली उठ सकती है।
चिरौरी न्यूज़ का मानना है कि भले ही कुछ खिलाड़ियों ने सैमी के प्रति नस्ली लगने वाली टिप्पणी की हो लेकिन शायद ही किसी का इरादा उन्हें चोट पहुंचाने का रहा होगा। उन्हें पता है कि आम भारतीय खिलाड़ी और खेल प्रेमी कैरेबियन खिलाड़ियों की तरह फ़्रेंडली और बिंदास होते हैं। पाकिस्तानी या ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ियों पर फबती कस सकते हैं पर वेस्ट इंडीज पर कदापि नहीं।
शायद सैमी यह भी नहीं जानते होंगे कि भारत में कालू, कल्लू, काला, काली, कालिया, कल्लन जैसे नाम आम हैं और बड़े फक्र के साथ लिए जाते हैं। लेकिन यदि कोई ब्राउन या एशियाई मूल का खिलाड़ी किसी अश्वेत खिलाड़ी के प्रति मज़ाक या स्नेहवश ऐसे शब्दों का प्रयोग करता है तो ऐसे संबोधन की भत्सर्ना ज़रूरी है। ऐसे में आम भारतीय नागरिक, क्रिकेट प्रेमी और खिलाड़ी का मानना है कि इशांत और उनके टीम साथियों को बिना विलंब किये सैमी से उस मज़ाक केलिए माफी मांग लेनी चाहिए,जिसमें नस्लभेद की बू आती है। ऐसा करने से इशांत और अन्य को एक अच्छा दोस्त खोना नहीं पड़ेगा और उनकी दुनियां भर में प्रशंसा भी होगी। आम भारतीय को यह नहीं भूलना चाहिए भातीय मूल के लोगों के लिए सबसे करीबी अश्वेत हैं, जिनकी तरह भारत ने भी वर्षों तक गोरों के अत्याचार सहे।
(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और विश्लेषक हैं। ये उनका निजी विचार है, चिरौरी न्यूज का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं है।आप राजेंद्र सजवान जी के लेखों को www.sajwansports.com पर पढ़ सकते हैं।)