सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने किया उमर खालिद की जमानत याचिका का विरोध
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस ने 2020 के उत्तर-पूर्वी दिल्ली दंगों से जुड़े मामले में उमर खालिद और अन्य आरोपियों की जमानत याचिका का सुप्रीम कोर्ट में कड़ा विरोध किया है। पुलिस ने अपनी 389 पन्नों की विस्तृत हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि ये दंगे किसी “आकस्मिक हिंसा” का परिणाम नहीं थे, बल्कि एक “पूर्व नियोजित साजिश (Planned Operation for Regime Change)” थी, जिसका उद्देश्य देश की स्थिरता को हिलाना था।
दिल्ली पुलिस का आरोप: “यह एक सुनियोजित सत्ता परिवर्तन अभियान था”
पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि उमर खालिद और अन्य आरोपियों ने देशव्यापी दंगे भड़काने की साजिश रची थी।
“अंतरराष्ट्रीय सिद्धांतों के अनुसार, इस तरह की संगठित या प्रायोजित गतिविधियों को ‘Regime Change Operations’ कहा जाता है,” पुलिस ने कहा।
पुलिस ने दावा किया कि उनके पास प्रत्यक्षदर्शी, दस्तावेजी और तकनीकी साक्ष्य मौजूद हैं जो यह साबित करते हैं कि याचिकाकर्ताओं की भूमिका गहरी और योजनाबद्ध थी।
हलफनामे में कहा गया, “यह साजिश देश की संप्रभुता और अखंडता पर हमला करने के उद्देश्य से रची गई थी। इसका मकसद साम्प्रदायिक सद्भावना को नष्ट करना और भीड़ को इतना भड़काना था कि वह सशस्त्र विद्रोह तक पहुँच जाए।”
दिल्ली पुलिस ने स्पष्ट कहा कि UAPA (गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम) के तहत दर्ज अपराध “देश की जड़ों को हिलाने वाले” हैं, इसलिए इसमें “जेल और न कि बेल” का सिद्धांत लागू होता है।
पुलिस ने लिखा, “याचिकाकर्ताओं पर लगे आरोप prima facie सत्य हैं। उन्हें इन आरोपों को खारिज करने की जिम्मेदारी थी, जिसमें वे विफल रहे हैं। इसलिए केवल सुनवाई में देरी के आधार पर जमानत नहीं दी जा सकती।”
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती और पुलिस का जवाब
इससे पहले सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को फटकार लगाई थी कि उन्होंने जवाब देर से दाखिल किया। अदालत ने पूछा था कि क्या पांच साल से जेल में बंद आरोपियों को लंबी हिरासत के आधार पर जमानत दी जा सकती है।
इसके बाद पुलिस ने गुरुवार को अपना विस्तृत जवाब दाखिल किया।
अब यह मामला न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एन.वी. अंजारिया की पीठ के समक्ष शुक्रवार (31 अक्टूबर 2025) को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है।
“CAA विरोध केवल एक बहाना था”
दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में कहा कि नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) को इस साजिश का केंद्र बनाया गया ताकि इसे “मानवाधिकारों के उल्लंघन” के नाम पर वैश्विक स्तर पर प्रचारित किया जा सके।
“रिकॉर्ड पर मौजूद चैट्स में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का उल्लेख है, जो यह साबित करता है कि दंगे उनकी भारत यात्रा के दौरान ही कराने की योजना थी, ताकि अंतरराष्ट्रीय मीडिया का ध्यान खींचा जा सके,” हलफनामे में कहा गया।
देशभर में हिंसा के उदाहरण गिनाए
दिल्ली पुलिस ने अपने हलफनामे में दावा किया कि यह साजिश केवल दिल्ली तक सीमित नहीं थी, बल्कि इसे देशभर में दोहराने की योजना थी।
उत्तर प्रदेश: 20 से अधिक जिलों में हिंसा, 19-23 लोगों की मौत, 1100 से ज़्यादा गिरफ्तारियाँ।
असम: गुवाहाटी, डिब्रूगढ़ और कामरूप में हिंसा, 5 मौतें, 175 गिरफ्तार।
पश्चिम बंगाल: मुर्शिदाबाद, हावड़ा, मालदा आदि जिलों में दंगे, रेलवे संपत्ति को ₹70 करोड़ का नुकसान।
केरल: कई जिलों में KSRTC बसों पर पथराव, 233 लोग हिरासत में।
कर्नाटक: पुलिस फायरिंग में 2 मौतें, कई एफआईआर दर्ज।
महाराष्ट्र: हिंडोली जिले में 130 लोगों पर मुकदमा।
बिहार: पटना, दरभंगा, औरंगाबाद आदि में हिंसा, 1550 एहतियाती गिरफ्तारियाँ।
