प्रिटोरिया से बीजिंग तक: एनएसडीसी के एआई-पावर्ड स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध) मास्टरक्लास में अनेक देश शामिल हुए
चिरौरी न्यूज
नई दिल्ली: पिछले सप्ताह आयोजित एआई-पावर्ड स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध) मास्टरक्लास में उल्लेखनीय वैश्विक भागीदारी देखने को मिली। इसमें दक्षिण अफ्रीकी देशों की उल्लेखनीय भागीदारी हुई। दिलचस्प बात यह है कि भारत के मुख्य स्किलिंग प्लेटफार्म “सिद्ध” के अन्तर्गत पाकिस्तान और चीन जैसे कुछ देशों ने भी भाग लिया।
4 जुलाई को आयोजित इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में डिजिटल स्किल डेवलपमेन्ट में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के इंटीग्रेशन पर फोकस किया गया, जिसमें विभिन्न महाद्वीपों से पर्याप्त संख्या में लोगों की भागीदारी हुई। यह एआई और डिजिटल एजुकेशन में बढ़ती हुई अंतर्राष्ट्रीय रुचि को दर्शाता है।
राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) द्वारा इंटरनेशनल लेबर ऑर्गनाइजेशन (आईएलओ), वर्ल्ड बैंक और यूनेस्को के सहयोग से आयोजित इस मास्टरक्लास में ग्लोबल एक्सपर्ट्स और अनेक उत्साही लोग ने एक साथ भाग लिया।
वेबिनार में कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय (एमएसडीई) के माननीय राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयन्त चौधरी, सिएरा लियोन सरकार के टेक्निकल एंड हायर एजुकेशन मिनिस्टर डॉ. हाजा रामातुलई वुरी, आर्मेनिया सरकार के लेबर एंड सोशल अफेयर मामलों के डिप्टी मिनिस्टर श्री रूबेन सार्गस्यान, कौशल विकास और उद्यमशीलता मंत्रालय के सचिव श्री अतुल कुमार तिवारी, एनएसडीसी के सीईओ और एनएसडीसी इंटरनेशनल के एमडी श्री वेद मणि तिवारी, एनएसडीसी और एनएसडीसी इंटरनेशनल की सीटीओ सुश्री श्रेष्ठ गुप्ता, साउथ एशिया के लिए डिसेंट वर्क टीम के आईएलओ और इंडिया के लिए कंट्री ऑफिस के इन-चार्ज श्री रवि पीरिस, यूनेस्को के पॉलिसी एंड लाइफलॉन्ग लर्निंग सिस्टम के डायरेक्टर श्री बोरहेन चाकरून, भारत में नैसकॉम की अध्यक्ष सुश्री देबजानी घोष, वर्ल्ड बैंक की लीड एजुकेशन स्पेशलिस्ट सुश्री शबनम सिन्हा, डॉ. अश्विनी अग्रवाल, वर्कग्रुप लीडर (स्किल एंड लाइफलॉन्ग लर्निंग पॉलिसी, सिस्टम एंड डिजिटलाइजेशन), आईएलओ जिनेवा सहित प्रमुख गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया।
128 देशों से 3,672 व्यक्तियों के कुल रजिस्ट्रेशन के साथ, इस आयोजन ने वास्तव में अंतर्राष्ट्रीय स्कोप को एक मूर्त रूप दिया।
दक्षिण अफ्रीकी देशों ने अच्छा प्रदर्शन किया, जिसमें साउथ अफ़्रीका 55 पंजीकरणकर्ताओं के साथ सबसे आगे रहा, उसके बाद नाइजीरिया 66, केन्या 61 और घाना 27 प्रतिभागियों के साथ अन्य स्थानों पर रहा। इथियोपिया (23), तंजानिया (18) और युगांडा (12) जैसे अन्य अफ़्रीकी देशों का भी महत्वपूर्ण प्रतिनिधित्व रहा।
एशियाई देशों से भी उल्लेखनीय भागीदारी हुई। पाकिस्तान ने 18 पंजीकरणकर्ताओं के साथ पर्याप्त उपस्थिति दर्ज कराई, जबकि चीन से 5 प्रतिभागी थे, दोनों ही भारत में स्किलिंग ईकोसिस्टम को बेहतर बनाने का प्रयास कर रहे थे।
विविध अंतर्राष्ट्रीय भागीदारी में बांग्लादेश (138), त्रिनिदाद और टोबैगो (83), फिलीपींस (53), और संयुक्त राज्य अमेरिका (20) सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए।
प्रतिभागियों ने पैनल डिस्कशन, वर्कशॉप और नेटवर्किंग अवसरों सहित विभिन्न सेशन में सक्रिय रूप से भाग लिया। उनके विविध दृष्टिकोण और अनुभवों ने कार्यक्रम को सफल बनाया, जिससे सहयोगात्मक और समावेशी लर्निंग के माहौल को बढ़ावा मिला।
पैनलिस्टों ने अपने क्षेत्रों में शिक्षा पर एआई के ट्रान्सफार्मेटिव इम्पेक्ट पर इनसाइट साझा की। इसके साथ ही वैश्विक स्तर पर डिजिटल स्किल डेवलपमेन्ट को बढ़ावा देने वाले सफल एआई एप्लीकेशन्स और पहलों पर प्रकाश डाला।
इंटरैक्टिव वर्कशॉप्स ने उपस्थित लोगों को एजुकेशनल सेटिंग में एआई को लागू करने के बारे में व्यावहारिक अनुभव और व्यावहारिक ज्ञान प्रदान किया। सभी देशों के प्रतिभागियों ने गहरी रुचि और उत्साह दिखाया, सक्रिय रूप से भाग लिया और अपने अनुभव और चुनौतियों को साझा किया।
मास्टरक्लास ने सीमाओं के पार नेटवर्किंग और कनेक्शन बनाने के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में भी काम किया। इसमें उपस्थित लोगों ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों के साथियों के साथ साझेदारी स्थापित करने और कोलैबरेटिव प्रोजेक्ट्स का पता लगाने के लिए इस अवसर का लाभ उठाया।
कार्यक्रम के समापन पर, एआई-पावर्ड एजुकेशन को आगे बढ़ाने में निरंतर वैश्विक सहयोग के महत्व पर ज़ोर दिया गया। प्रतिभागियों से मिली सकारात्मक प्रतिक्रिया ने इस क्षेत्र में इनोवेशन और प्रगति को आगे बढ़ाने में ऐसे अंतर्राष्ट्रीय जुड़ावों के महत्व को रेखांकित किया।
एआई-पावर्ड स्किल इंडिया डिजिटल हब (सिद्ध) मास्टरक्लास ने एआई और डिजिटल एजुकेशन के परिदृश्य में दुनिया भर के देशों की सक्रिय और प्रभावशाली भागीदारी को सफलतापूर्वक उजागर किया। दक्षिण अफ्रीकी देशों, पाकिस्तान, चीन और अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों की मजबूत भागीदारी ने न केवल कार्यक्रम को सफल बनाया, बल्कि शिक्षा के भविष्य को आकार देने में अंतर-महाद्वीपीय सहयोग की क्षमता को भी प्रदर्शित किया।