इंडिया आर्ट फेस्टिवल: दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में 450 कलाकारों की 3,500 से अधिक कृतियों का दीदार कर सकेंगे दर्शक

India Art Festival: Audience will be able to see more than 3500 works of 450 artists in the event organized in Delhiदिलीप गुहा

नई दिल्ली: दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बृहस्पतिवार को चार दिवसीय 14th इंडिया आर्ट फेस्टिवल का आगाज हुआ। देशभर के करीब 450 कलाकारों की 3,500 से अधिक अनूठी कृतियों का लोग दीदार कर सकेंगे। इसमें 12 हजार सालों से चली आ रही भारतीय कला की यात्रा को समेटा गया है।

इसका उ‌द्घाटन कलाकारों और कला आलोचकों को मौजूदगी में बृहस्पतिवार को किया गया। इनमें प्रयाग शुक्ला, जतिन दास, यूसुफ, तीर्थकर विश्वास और पेस्टिवल के निदेशक राजेंद्र पाटिल शामिल रहे। इस मौके पर निदेशक राजेंद्र ने बताया कि देश-भर के कलाकारों कांस्टीट्‌यूशन क्लब में बृहस्पतिवार से शुरु हुए चार दिवसीय इंडिया आर्ट की अनूठी कृतियों का लोग रविवार तक लुत्फ उठा सकेंगे। इसमें मूर्तियां भी हैं, पेंटिंग समेत देश भर की दूसरी तकरीबन हर तरह की कलाकृतियां भी। पहले ही दिन लोगों ने दिलचस्पी दिखाई है।

 कोमल ताम्बेकर, जो पुणे से आईएएफ ’24 की प्रतिभागी हैं, 2009 से कला दृष्टि को सृजित करने और भविष्य के रचनाकारों का मार्गदर्शन करने में जुटी हुई हैं। वह एक समर्पित कलाकार और कला शिक्षिका हैं, जिन्होंने पुणे के भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय से कला शिक्षा में डिग्री प्राप्त की है। उन्होंने अपनी कला कार्यशाला का संचालन किया है, जो उनके कला और शिक्षा के प्रति समर्पण का प्रतीक है। उनके कार्य में बारीकी से ध्यान और रेखाओं तथा बनावटों के प्रवाह के प्रति प्रेम झलकता है। रूपों पर इस विशेष ध्यान के माध्यम से, वह अपनी एक विशिष्ट आवाज़ ढूंढती हैं, जो उनके कैनवस में गहराई और गतिशीलता जोड़ती है। उनका कला सफर निरंतर खोज का है, क्योंकि वह अपने शैली को परिष्कृत करने और अपनी रचनात्मक प्रक्रिया में असीमित संभावनाओं को अनावरण करने की कोशिश करती हैं।

उन्होंने कहा, “हर ब्रशस्ट्रोक के साथ, मैं अपनी दृष्टि को जीवंत करने की कोशिश करती हूं, ताकि रूपों की सुंदरता को इस तरह कैप्चर कर सकूं कि वह केवल कैनवस को ही नहीं, बल्कि मेरी आंतरिक अभिव्यक्ति, ऊर्जा और गति को भी व्यक्त करे। मेरी कला एक शैली की खोज है, एक ऐसा प्रयास जिसमें प्रत्येक कृति रूप और गति का अद्वितीय रूपांतरण बन जाती है।”

अपने काम के अलावा, कोमल अगली पीढ़ी में जीवंत कला संस्कृति को बढ़ावा देने में भी गहरी रुचि रखती हैं।

कोमल का कार्यशाला एक ऐसा स्थान बन गया है जहां उभरते कलाकारों को अन्वेषण, प्रयोग और विकास के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। एक कला शिक्षिका के रूप में उनका काम केवल शिक्षण तक सीमित नहीं है; यह छात्रों को उनकी अद्वितीय कला आवाज़ खोजने के लिए सशक्त बनाने का काम भी है।

अपनी कला और शिक्षा दोनों के प्रति समर्पण के माध्यम से, वह एक ऐसी धरोहर बना रही हैं जो कला की सुंदरता का उत्सव मनाती है, उभरते हुए प्रतिभाओं को समर्थन देती है, और कला की दुनिया में महत्वपूर्ण योगदान करती है।

“युवा कलाकारों को मार्गदर्शन देना मेरे लिए प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत है, और इससे मुझे कला समुदाय में सार्थक तरीके से योगदान करने का अवसर मिलता है। मुझे कला दृश्य को पोषित करने और नए टैलेंट को विकसित करने में विश्वास है, ताकि रचनात्मकता निरंतर बढ़ती और विकसित होती रहे।”

वह आईएएफ ’24 में भागीदारी को लेकर बहुत उत्साहित थीं। उन्होंने कहा, “इंडिया आर्ट फेस्टिवल मेरे लिए कला प्रेमियों, क्यूरेटर्स, और खरीदारों से जुड़ने का सही स्थान है। यह एक जीवंत मंच है जो कला जगत की विविध आवाज़ों को एक साथ लाता है, और नेटवर्किंग तथा रचनात्मक विचार-विमर्श के लिए अद्वितीय अवसर प्रदान करता है। चाहे वह कला तकनीकों पर चर्चा हो, विशिष्ट शैलियों का प्रदर्शन हो, या संभावित सहयोगियों और कलेक्टर्स से मिलना हो, यह महोत्सव मुझे एक गतिशील समुदाय में डुबो देता है जहां हर बातचीत एक प्रेरणा है।”

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