भारत माँ के वीर सपूतों को पूरा देश दे रहा है अंतिम विदाई…
चिरौरी न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: भारत चीन सीमा के गलवान घाटी में चीनी सैनिको के साथ हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए २० भारतीय वीर जवानों के पार्थिव शरीर जब उनके घरों को पहुंचा तो देशभर में शोक की लहर दौर गयी। ग़मगीन माहौल को देखकर एकबार फिर पुलवामा हमले की यादें आने लगी जब ऐसे ही देश के विभिन्न राज्यों में वीर जवानों का शव पहुँचाया जा रहा था। सभी शहीदों के परिवारजनों ने कहा कि उन्हें अपने खोने का गम तो है लेकिन बलिदानों पर गर्व भी है। सभी शहीदों के परिवार अपनों के चले जाने से दुख के सागर में डूबे हुए हैं।
कर्नल बी संतोष बाबू के पार्थिव शरीर को विशेष विमान से बुधवार को हैदराबाद लाया गया। बाद में उनका पार्थिव शरीर एम्बुलेंस से उनके गृह नगर सूर्यापेट ले जाया गया। वायु सेना स्टेशन हाकिमपेट पर विमान रात आठ बजे के आसपास उतरा। हाथ में तिरंगा झंडा लिए लोगों ने एम्बुलेंस के मार्ग में फूल बरसाए। तेलंगाना की राज्यपाल टी सुंदरराजन और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के टी रामा राव समेत अन्य लोगों ने शहीद सैन्य अधिकारी को श्रद्धा सुमन अर्पित किए। तेलंगाना में कई स्थानों पर लोगों और राजनीतिक दलों के सदस्यों ने शहीद कर्नल को श्रद्धांजलि दी। वहीँ हिमाचल प्रदेश के करोहटा गांव के जवान अंकुश ठाकुर के शहीद होने की खबर से पूरे गांव में उदासी छा गई है।
करीब डेढ़ साल पहले विवाह के बंधन में बंधने वाले कुंदन कुमार ओझा तो अपनी नवजात बेटी का चेहरा तक नहीं देख सके। उनके घर में 17 दिन पहले बेटी ने जन्म लिया था। ओझा ने अपनी मां से आखिरी बातचीत में वादा किया था कि जैसे ही उन्हें छुट्टी मिलेगी वह घर आएंगे।
झारखंड के साहिबगंज जिले के दिहारी के गांव के रहने वाले ओझा के पिता रवि शंकर ओझा पेशे से किसान हैं। चार भाई बहनों में ओझा दूसरे नंबर पर थे और वह 2011 में दानापुर में सेना में शामिल हुये थे।
इसी तरह का हाल तक़रीबन सभी शहीदों के परिवारों में है। सभी की अपनी कहानी है, लेकिन उस कहानी का एक किरदार भारत माँ की रक्षा करते हुए अपने प्राणों को न्योछावर कर गया। पूरा देश ग़मगीन है। सब अपनी अपनी तरह से श्रधांजलि दे रहे है।
20 जवानों के बलिदान पर प्रधानमंत्री मोदी ने दिलाया देश को भरोसा, कहा- हमारे जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। बुधवार को पीएम मोदी ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया में कहा कि, ‘‘जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा। देश की संप्रभुता सर्वोच्च है। देश की सुरक्षा करने से हमें कोई भी रोक नहीं सकता। इस बारे में किसी को भी जरा भी भ्रम या संदेह नहीं होना चाहिए।’’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ‘‘भारत शांति चाहता है, लेकिन भारत उकसाने पर हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम में है। हमारे दिवंगत शहीद वीर जवानों के विषय में देश को इस बात का गर्व होगा कि वे मारते-मारते मरे हैं। मेरा आप सभी से, सभी मुख्यमंत्रियों से आग्रह है कि हम खड़े होकर दो मिनट मौन रखकर इन वीर सपूतों को पहले श्रद्धांजलि देंगे। फिर मीटिंग को आगे बढ़ाएंगे।’’प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 जून को इस मुद्दे पर सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
भारत माँ के वीर सपूतों के नाम–
कर्नल संतोष बाबू- तेलंगाना की राजधानी हैदराबाद स्थित उनके घर पार्थिव शरीर भेजा जाएगा। अंतिम संस्कार आज होगा
हवलदार के पलनी- तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले के रहने वाले थे। अंतिम संस्कार आज होगा
हवलदार सुनील कुमार- बिहार के पटना जिले के बिहटा के पास तारानगर गांव में परिवार रहता है। अंतिम संस्कार आज होगा
सिपाही चंदन कुमार- बिहार के भोजपुर जिले के ज्ञानपुरा गांव के रहने वाले थे।
सिपाही अमन कुमार- बिहार के समस्तीपुर के सुल्तानपुरपुरब गांव के रहने वाले थे।
सिपाही जयकिशोर सिंह- बिहार के वैशाली जिले के चाकाफाथ गांव के रहने वाले थे।
सिपाही कुंदन कुमार- बिहार के सहरसा जिले के आरन गांव के रहने वाले थे।
नायब सूबेदार/AIG मनदीप सिंह- पंजाब के पटियाला जिले के सील गांव के रहने वाले थे।
नायब सूबेदार (ड्राइवर)– पंजाब के गुरदासपुर के भोज- राज के रहने वाले थे।
सिपाही गुरबिंदर- पंजाब के संगरुर जिले के तोतावाल गांव के रहने वाले थे।
सिपाही गुरतेज- पंजाब के मानसा जिले के वीरेवाला दागाँव के रहने वाले थे।
सिपाही राजेश ओरांग- पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले के बेलगोरिया गांव के रहने वाले थे।
हवलदार बिपुल रॉय- पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी के बिंदीपाडा गांव के रहने वाले थे। पत्नी और 5 साल की बेटी मेरठ में रहते हैं
सिपाही कुंदन कुमार ओझा- झारखंड के साहिबगंज जिले के दिहारी गांव के रहने वाले थे।
सिपाही गणेश हांदसा- झारखंड के पूर्वी सिंघभूम जिले के कशाफलिया गांव के रहने वाले थे।
सिपाही चंद्रकांत प्रधान- ओडिशा के कंधमाल जिले के रहने वाल थे।
नायब सूबेदार नुंदुराम सोरेन- ओडिशा के मयूरभंज जिले के रहने वाले थे।
सिपाही गणेश राम- छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले के गिडहाली गांव के रहने वाले थे।
सिपाही अंकुश- हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर जिले के करोहटा गांव के रहने वाले थे।
नायक दीपक सिंह- मध्य प्रदेश के रीवा जिले के फरांदा गांव के रहने वाले थे।