अफगान विदेश मंत्री के प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को एंट्री नहीं दिए जाने पर भारत की सफाई, “हमारा कोई रोल नहीं”

India's clarification on women journalists not being allowed entry into Afghan Foreign Minister's press conference, "We have no role"चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्ताकी की हालिया भारत यात्रा के दौरान आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की अनुपस्थिति को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। इस पर भारत सरकार ने स्पष्ट किया है कि इस कार्यक्रम में भारत की कोई भूमिका नहीं थी।

विदेश मंत्रालय ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए निमंत्रण अफगान वाणिज्य दूतावास, मुंबई की ओर से चुनिंदा पत्रकारों को भेजा गया था। चूंकि यह प्रेस वार्ता अफगान दूतावास के परिसर में आयोजित हुई थी, जो भारत सरकार के अधिकार क्षेत्र से बाहर है, इसलिए भारत का इसमें कोई दखल नहीं था।

क्या हुआ प्रेस कॉन्फ्रेंस में?

यह प्रेस कॉन्फ्रेंस शुक्रवार दोपहर 3:30 बजे दिल्ली स्थित अफगान दूतावास में आयोजित की गई थी। रिपोर्टों के मुताबिक, महिला पत्रकारों को न सिर्फ आमंत्रित नहीं किया गया, बल्कि कुछ को रोक भी दिया गया। सोशल मीडिया पर कई पत्रकारों ने नाराजगी जताई और बताया कि जो महिलाएं वहां मौजूद थीं, वे निर्धारित ड्रेस कोड का पूरी तरह पालन कर रही थीं।

प्रेस वार्ता में मात्र 15–16 पत्रकारों को ही आमंत्रित किया गया था, जिनमें कोई भी महिला पत्रकार शामिल नहीं थी। सूत्रों के अनुसार, अफगान वाणिज्य दूतावास (मुंबई) के प्रमुख इकरामुद्दीन कमील ने इन पत्रकारों को व्यक्तिगत रूप से फोन कर आमंत्रित किया था।

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस पूरे घटनाक्रम पर विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार से जवाब मांगा है। कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इस मुद्दे पर अपना स्पष्ट रुख बताने की मांग की है। उन्होंने महिला पत्रकारों के साथ हुए व्यवहार को देश की महिलाओं के लिए अपमानजनक बताया और कहा कि भारत में महिलाएं गर्व और रीढ़ हैं।

गौरतलब है कि मुत्ताकी की भारत यात्रा के दौरान उन्होंने विदेश मंत्री एस. जयशंकर से मुलाकात की, जिसमें भारत-अफगानिस्तान के विकास सहयोग, व्यापार, क्षेत्रीय अखंडता, और जनसंपर्क कार्यक्रमों जैसे विषयों पर चर्चा हुई। इसके बाद जयशंकर ने भारत के काबुल स्थित तकनीकी मिशन को एंबेसी का दर्जा देने की भी घोषणा की।

हालांकि, इतना महत्वपूर्ण राजनयिक घटनाक्रम होने के बावजूद अधिकांश मीडिया को प्रेस कॉन्फ्रेंस की कोई जानकारी नहीं दी गई, जिससे पारदर्शिता और मीडिया की स्वतंत्रता पर सवाल उठने लगे हैं।

तालिबान और महिलाओं पर प्रतिबंध

तालिबान सरकार पर पहले से ही महिलाओं पर कठोर प्रतिबंध लगाने के आरोप लगते रहे हैं। हाल ही में अफगान विश्वविद्यालयों में महिलाओं द्वारा लिखी गई किताबों को प्रतिबंधित कर दिया गया है और ‘जेंडर एंड डेवलपमेंट’, ‘वीमेंस सोशियोलॉजी’, ‘ह्यूमन राइट्स’, ‘अफगान कांस्टीट्यूशनल लॉ’ जैसे 18 कोर्सेस को पाठ्यक्रम से हटा दिया गया है।

प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों को न बुलाने और मीडिया तक सीमित पहुंच को लेकर उठे सवाल भारत-अफगान संबंधों में नए कूटनीतिक तनाव की ओर इशारा कर सकते हैं। जबकि भारत ने अपनी भूमिका से इनकार कर दिया है, इस घटना ने महिला अधिकारों और मीडिया स्वतंत्रता को लेकर बड़ी बहस को जन्म दे दिया है।

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