राष्ट्रीय खेल: गोवा से छिन सकती है मेजबानी
राजेंद्र सजवान
गोवा को अलाट किए गए राष्ट्रीय खेल एक बार फिर टल गए हैं। इस टाल मटोल ने अपने पीछे ऐसा विवाद छोड़ा है जिसके चलते भारतीय ओलंपिक समिति के अधिकारियों के बीच कटुता पैदा हो गई है। हालाँकि आईओए में विवाद के और भी कई कारण हैं, जिनको आईओए के शीर्ष अधिकारियों को मिल बैठ कर निपटना है। जहां तक राष्ट्रीय खेलों की बात है तो आईओए का एक वर्ग चाह रहा था कि गोवा के राष्ट्रीय खेलों का आयोजन अक्टूबर में कर दिया जाए, क्योंकि तत्पश्चात कार्यक्रम बहुत व्यस्त हो जाएगा।
कोविद 19 ने तमाम खेल आयोजनों को बुरी तरह प्रभावित किया है और किसी भी खेल के आयोजन की कोई गारंटी नहीं ली जा सकती। फिरभी एक वर्ग खेलों को अक्टूबर में आयोजित करने के लिए अड़ा रहा। लेकिन आईओए अध्यक्ष डाक्टर नरेंद्र बत्रा पहले ही भाँप गए थे कि गोवा खेल आयोजन समिति तैयारियों में पिछड़ गई है और अपनी नाकामी का ठीकरा आईओए के सिर फोड़ना चाहती है। उन्हें और अन्य अधिकारियों को लगा कि तीन महीने खेलों की तैयारी के लिए नाकाफ़ी हैं। वैसे भी महामारी का चरित्र किसी की भी समझ नहीं आ रहा। तो फिर आनन फानन में खिलाड़ियों को तैयारी करने के लिए कहना और खेल शुरू करना जल्दबाज़ी माना गया।
यह कहना पूरी तरह सही नहें होगा कि आईओए की अंदुरूनी खींचतान के चलते राष्ट्रीय खेल स्थगित हुए हैं। दरअसल, गोवा भी आयोजन के लिए पूरी तरह तैयार नहीं है। पता चला है कि कई आयोजन स्थल अक्तूबर तक खेल आयोजन करने की स्थिति में नहीं हैं। यह हाल तब है जबकि राज्य सरकार नें 2017 में सभी स्टेडियम तैयार हो जाने काआश्वासन दिया था, क्योंकि अगले साल राष्ट्रीय खेल तय थे। अब चूँकि 2021 में ओलंपिक खेलों का आयोजन होना है इसलिए राष्ट्रीय खेल और आगे सरक सकते हैं। अर्थात वही सब होने जा रहा है जैसा कि इन खेलों के साथ अब तक होता आया है। आशंका व्यक्त की जा रही है कि गोवा से आयोजन छिन भी सकता है। डाक्टर बत्रा के अनुसार गोवा के आयोजकों ने पिछले तीन सालों सेदेश के खिलाड़ियों और आईओए को धोखे में रखा।
पहले राष्ट्रीय खेलों का आयोजन 1924 में किया गया था। कभी दो, कभी चार और कभी कभार तो कई साल बाद इन खेलों को आयोजित किया गया। 35वें राष्ट्रीय खेल 2015 में आयोजित हुए और अगले पता नहीं कब होंगे कुछ भी नहीं कहा जा सकता। लेकिन इन खेलों के आयोजन के पीछे क्या तर्क है आज तक किसी को समझ नहीं आया। कौन खिलाड़ी इन खेलों का हिस्सा होंगे इस बारे में भी गाइड लाइन्स तय नहीं हैं। आईओए और आयोजक राज्य इकाई के तालमेल से इन खेलों का आयोजन किया जाता है लेकिन हमेशा से तालमेल की कमी आड़े आई है।
हालाँकि खेलो इंडिया के आयोजन के बाद से राष्ट्रीय खेलों का आयोजन तर्क संगत नहीं लगता लेकिन कहा यह जाता है कि राष्ट्रीय खेल आयोजन से मेजबान राज्य में स्टेडियम और खेल मैदान बन कर तैयार होने से खिलाड़ियों को अपने घर पर तमाम मूलभूत सुविधाएँ मिल जाती हैं और सरकारों की सोच में बदलाव आता है। लेकिन इन खेलों को लेकर हमेशा से राजनीति होती आई है। जब खेल नियत समय पर नहीं होते तो उनके आयोजन का कोई औचित्य भी नहीं रह जाता। आईओए सूत्रों की माने तो गोवा को मेजबानी से बेदखल किया जा सकता है और अन्य किसी राज्य को आयोजन सौंपा जा सकता है। यह भी पता चला है कि ओड़ीसा, उतराखंड, बंगाल, केरल आदि प्रदेश भी मेजबानी की कतार में खड़े हैं।