नेपाल ने पूर्वी चंपारण में लालबकेया नदी पर बांध की मरम्मत कर रहे लोगों को रोका, कहा ये हमारा इलाका है
चिरौरी न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: अभी कुछ दिनों पहले नेपाल ने सीमा पर गोलीबारी करके एक भारतीय नागरिक की जान ले ली थी, आज नेपाल ने एक बार फिर बिहार के चंपारण क्षेत्र स्थित एक बांध की मरम्मत पर रोक लगाते हुए वहां के पांच सौ मीटर भूखंड पर अपना दावा किया है। नेपाल के विरोध के बाद बिहार के सिंचाई विभाग के अधिकारीयों ने भारतीय क्षेत्रों में बांध की मरम्मत का काम रोक दिया है। नेपाल की तरफ से भारतीयों को काम करने से रोक दिया गया और कहा गया कि यह बांध नेपाल से आने वाली लालबकेया नदी पर पहले से ही है। इस घटना से नेपाल व भारत में नया तनाव पैदा हो गया है।
इससे पहले लिपुलेख, कालापानी व लिंपियाधुरा के सीमा विवाद व अन्य मसलों पर नेपाल से भारत के साथ सीमा को लेकर तनाव है और अब इस नए विवाद ने तनाव और बढाने का काम किया है।
बिहार के सिंचाई विभाग के अधिकारी, पूर्वी चंपारण के ढाका अनुमंडल स्थित बलुआ गुआबारी पंचायत के निकट लालबकेया नदी पर बांध की मरम्मत के कार्य को अंजाम दे रहे थे। नेपाल का कहना है कि यह बांध उसकी जमीन पर बनाया जा रहा है। पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन ने घटना की जानकारी नेपाल में भारतीय महावाणिज्य दूतावास सहित केंद्रीय गृह मंत्रालय और राज्य सरकार को दे दी है।
बांध की मरम्मत करा रहे सिंचाई विभाग के इंजीनियर बबन सिंह ने बताया कि लालबकेया नदी का पश्चिमी बांध 2017 में आयी बाढ़ से टूट गया था। इसकी मरम्मत पर नेपाल ने आपत्ति जताई, जिसके बाद काम रोक दिया गया। बांध बन जाए तो पूर्वी चंपारण जिले के ढाका और पताही में बाढ़ की रोकथाम करना संभव होगा।
भारत के सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी) व पूर्वी चंपारण जिला प्रशासन के अनुसार यह विवाद भारत- नेपाल सीमा पर पीलर संख्या 345/5 और 345/7 के बीच के पांच सौ मीटर के भूखंड को लेकर है। नेपाल बांध को लेकर जब भी आपत्ति करता था, भारत व नेपाल के अधिकारी बातचीत से मामला सुलझा लेते थे, लेकिन इस बार दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव के बीच ऐसा संभव नहीं हो सका।