नीति आयोग ने भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र लांच किया

NITI Aayog launches Geospatial Energy Map of Indiaचिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार, नीति आयोग के सदस्य डॉ. वी के सारस्वत और नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र लांच किया। इसरो के अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव डॉ. के. सिवन ने इस  कार्यक्रम में भाग लिया।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के सहयोग से नीति आयोग ने भारत सरकार के ऊर्जा मंत्रालयों के साथ भारत का एक व्यापक भौगोलिक सूचना प्रणाली (जीआईएस) ऊर्जा मानचित्र विकसित किया है। यह जीआईएस मानचित्र देश के सभी ऊर्जा संसाधनों की एक समग्र तस्वीर प्रदान करता है जो पारंपरिक बिजली संयंत्रों, तेल और गैस के कुओं, पेट्रोलियम रिफाइनरियों, कोयला क्षेत्रों और कोयला ब्लॉकों जैसे ऊर्जा प्रतिष्ठानों का चित्रण करता है तथा 27 विषयगत श्रेणियों के माध्यम से अक्षय ऊर्जा बिजली संयंत्रों और अक्षय ऊर्जा संसाधन क्षमता आदि पर जिले-वार डेटा प्रस्तुत करता है।

यह मानचित्र देश में ऊर्जा उत्पादन और वितरण का एक व्यापक दृष्टिकोण प्रदान करने के लिए ऊर्जा के सभी प्राथमिक और माध्यमिक स्रोतों और उनके परिवहन/प्रेषण नेटवर्क की पहचान करने तथा उनका पता लगाने का प्रयास करता है। यह एक अनूठा प्रयास है जिसका उद्देश्य कई संगठनों में बिखरे हुए ऊर्जा डेटा को एकीकृत करना और इसे समेकित, आकर्षक चित्रात्मक ढंग से प्रस्तुत करना है। इसमें वेब-जीआईएस प्रौद्योगिकी और ओपन-सोर्स सॉफ्टवेयर में नवीनतम प्रगति का लाभ उठाया गया है ताकि इसे प्रभावी और उपयोगकर्ता के अनुकूल बनाया जा सके। भारत का भू-स्थानिक ऊर्जा मानचित्र योजना बनाने और निवेश संबंधी निर्णय लेने में उपयोगी होगा। यह उपलब्ध ऊर्जा परिसंपत्तियों का उपयोग करके आपदा प्रबंधन में भी सहायता करेगा।

नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव कुमार ने भारत के जीआईएस-आधारित ऊर्जा मानचित्र का लोकार्पण करते हुए कहा कि ऊर्जा परिसंपत्तियों का जीआईएस-मानचित्रण भारत के ऊर्जा क्षेत्र के वास्तविक समय और एकीकृत योजना को सुनिश्चित करने के लिए उपयोगी होगा। इसके बड़े भौगोलिक विस्तार और परस्पर निर्भरता को देखते हुए, ऊर्जा बाजारों में दक्षता हासिल करने की अपार संभावनाएं हैं। आगे चलकर, जीआईएस-आधारित ऊर्जा परिसंपत्तियों की मैपिंग सभी संबंधित हितधारकों के लिए फायदेमंद होगी और नीति-निर्माण प्रक्रिया को तेज करने में मदद करेगी। बिखरे हुए डेटा को एक साथ लाया गया है; यह एक बहुत बड़ा शोध उपकरण होगा।”

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