वक्फ बिल पर विपक्षी सांसदों का लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात, समिति प्रमुख जगदंबिका पाल पर लगाया ‘मनमानी’ का आरोप

Opposition MPs meet Lok Sabha Speaker Om Birla on Wakf Bill, accuse committee head Jagdambika Pal of 'arbitrariness'
File photo/Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: वक्फ (संशोधन) विधेयक पर संसद की संयुक्त समिति (JPC) में विपक्षी सांसदों ने मंगलवार को लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला से मुलाकात की और समिति के अध्यक्ष और बीजेपी सांसद जगदंबिका पाल द्वारा लिए गए ‘एकतरफा’ निर्णयों के खिलाफ विरोध दर्ज कराया। कांग्रेस, डीएमके, तृणमूल कांग्रेस (TMC), आम आदमी पार्टी (AAP) और समाजवादी पार्टी (SP) के विपक्षी सांसदों ने ओम बिड़ला से कहा कि समिति के अध्यक्ष ने मनमानी तरीके से बैठकें बुलाई हैं और उन व्यक्तियों और संगठनों को आमंत्रित किया है, जो इस मामले में हितधारक नहीं हैं।

विपक्षी सांसदों का आरोप है कि जगदंबिका पाल ने बिना उचित प्रक्रिया के बैठकें आयोजित कीं और केवल उन्हीं लोगों को अपनी राय रखने का मौका दिया, जो इस विषय से सीधे जुड़े नहीं हैं। इसके साथ ही, विपक्षी सांसदों का कहना है कि उन्हें अपने विचार रखने का उचित अवसर नहीं दिया जा रहा और उनकी राय को नजरअंदाज किया जा रहा है।

AAP के सांसद संजय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “हमने लोकसभा अध्यक्ष से मिलकर जेडीपीसी की बैठकों में हो रही समस्याओं और चुनौतियों को उनके सामने रखा।” उन्होंने यह भी बताया कि ओम बिड़ला ने विपक्षी सांसदों को आश्वासन दिया है कि वह इस मुद्दे पर जल्द ही समाधान निकालने की कोशिश करेंगे।

विपक्षी सांसदों ने ओम बिड़ला को एक पत्र भी सौंपा है, जिसमें उन्होंने वक्फ संशोधन विधेयक पर अपनी शिकायतें और आपत्तियां दर्ज की हैं। इस पत्र में विपक्षी सांसदों ने जेडीपीसी अध्यक्ष के खिलाफ कई आरोप लगाए हैं।

हालांकि, जेडीपीसी के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने सभी आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि जिन विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाए हैं, वे लगातार इन बैठकों में भाग ले रहे हैं और उन्हें वक्फ संशोधन विधेयक पर अपने विचार रखने का पूरा मौका मिल रहा है।

बता दें कि हाल के दिनों में जेडीपीसी की कार्यवाही विपक्षी सांसदों के लगातार विरोध और हंगामे से प्रभावित हुई है। बीजेपी के सदस्य विपक्ष पर आरोप लगा रहे हैं कि वे जेडीपीसी की बैठकों की प्रगति को बाधित कर रहे हैं।

संयुक्त समिति की रिपोर्ट संसद के शीतकालीन सत्र के पहले सप्ताह में प्रस्तुत किए जाने की संभावना है।

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