मोदी के धोनी व रैना को पत्र लिखने से उत्साहित खिलाड़ी

राकेश थपलियाल
भारत के पूर्व टेस्ट क्रिकेटर स्वर्गीय विजय मर्चेंट कहा करते थे कि ‘खिलाड़ी को रिटायरमेंट तब लेना चाहिए जब लोग पूछें की अभी क्यों? ना कि तब जब लोग पूछने लगें की कब रिटायर हो रहे हो?’ धोनी से एक साल से पूछा जाने लगा था कि क्या रिटायरमेंट ले रहे हो? इस पर धोनी का जवाब होता था कि जिस तरह की मेरी फिटनेस है उसे देखकर मुझे क्यूं संन्यास लेना चाहिए?’ लेकिन धोनी ने 15 अगस्त के दिन शाम 7.29 बजे अनूठे अंदाज में इंस्टाग्राम पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर सभी को चौंका दिया। दिलचस्प बात यह है कि कुछ देर बाद एक अन्य भारतीय क्रिकेटर सुरेश रैना ने भी संन्यास की घोषणा कर दी। भारतीय क्रिकेट के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ होगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने धोनी को संन्यास लेने के बाद पत्र लिखकर जो सराहना की है उसकी हर तरफ प्रशंसा हो रही है। धोनी के बाद संन्यास की घोषणा करने वाले क्रिकेटर सुरेश रैना को भी मोदी ने पत्र लिखकर एक ऐसी परंपरा की शुरुआत की है जिसकी जितनी तारीफ की जाए कम है। इससे सभी खिलाड़ियों में जोश तो आएगा ही साथ ही उनमें यह उम्मीद भी जग गई है कि जब वे खेल से संन्यास लेंगे तो प्रधानमंत्री उन्हें भी इसी तरह से पत्र लिखेेंगे।

मोदी  ने लिखा कि आप में नए भारत की रुह झलकती है, जहां युवाओं की किस्मत उनके परिवार का नाम तय नहीं करता है, बल्कि वे अपना खुद का मुकाम और नाम हासिल करते हैं।  15 अगस्त 2020 को आपने सादगी भरे अंदाज में एक छोटा वीडियो शेयर किया जो पूरे देश में एक लंबी और बड़ी बहस के लिए काफी था। 130 करोड़ भारतीय नागरिक निराश हैं लेकिन साथ ही आपने पिछले डेढ़ दशक में भारत के लिए जो किया उसके लिए आपके शुक्रगुजार भी हैं। आपकी तरक्की और उसके बाद के जीवन ने उन करोड़ो नौजवानों को प्रेरणा दी तो महंगे स्कूल या कॉलेजो में नहीं जा पाए और न ही वो किसी नामी गिरामी परिवार से आते हैं लेकिन उनके पास खुद को सबसे ऊंचे स्तर पर स्थापित करने की क्षमता है। हम कहां से आए हैं यह बहुत ज्यादा मायने नहीं रखता जब तक हमें यह पाता हो कि हम किस तरफ जा रहे हैं- आपने यही भावना पेश की और कई युवाओं को इससे प्रेरित किया। आपको सिर्फ एक प्लेयर के तौर पर देखना नाइंसाफी होगी।  आपको देखने का सही तरीका एक फिनॉमिना है।  एक छोटे शहर से उठकर आप नेशनल लेवल पर छा गए, आपने अपने लिए नाम बनाया और सबसे अहम ये है कि देश का गौरव बढ़ाया। ‘
धोनी ने लिखा, ‘एक कलाकार, सैनिक और खिलाड़ी को प्रशंसा की कामना होती है। वे चाहते हैं कि उनकी मेहनत और बलिदान को सभी पहचानें। शुक्रिया प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, आपकी ओर से मिली प्रशंसा और शुभकामनाओं के लिए।’

अंतररष्ट्रीय क्रिकेट में महेंद सिंह धोनी का करियर रन आउट से शुरू होकर रन आउट पर खत्म हुआ।ऐसा कम ही क्रिकेटर्स के साथ हुआ होगा। 2004 में बांग्लादेश के खिलाफ़ अपने पहले वनडे में वह रन आउट हुए थे। धोनी ने पिछले साल जुलाई में वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ खेले गए मुकाबले के बाद से एक भी मैच नहीं खेला था। इसमें भी वह रन आउट हुए थे। 2014 में टेस्ट क्रिकेट से संन्यास भी धोनी ने अचानक लिया था।

धोनी ने 2004-5 के सीजन से वनडे में खेलना शुरू किया था। पहले तीन वनडे तक वह कुछ ना कर सके लेकिन पाकिस्तान के खिलाफ 5 अप्रैल 2005 को विशाखापट्टनम में अपने करियर के चौथे वनडे में धोनी को कप्तान सौरव गांगुली ने सचिन तेडुलकर के जल्दी आउट होने पर तीसरे नंबर पर बललेबाजी के लिए भेजा और धोनी ने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी कर 148 रनों की यादगार पारी खेल अपनी प्रतिभा और क्षमता का परिचय दिया। इस मैच को कवर करने के दौरान  मैने देखा कि पूरा स्टेडियम धोनी धोनी के उद्घोष से गूंज रहा था। इसके बाद पूरा भारत धोनी से परिचित हो गया था। यह धोनी के करियर का बड़ा पड़ाव था।
धोनी के कैरियर में दूसरा बड़ा पड़ाव 2007 में आया जब उन्हें पहले टी20 वर्ल्ड कप के लिए कप्तान बनाया गया और भारतीय टीम चैंपियन वन गई। इससे धोनी क्रिकेट जगत में चमकता सितारा बनकर छा गए। दुनिया के एकमात्र कप्तान हैं, जिन्होंने तीनों आईसीसी ट्रॉफी जीती हैं। 2007 में टी 20 वर्ल्ड कप जीता। 2011 में वनडे वर्ल्ड कप जीता। 2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीती, 16 अंतरराष्‍ट्रीय शतक और 108 अर्धशतक जमाए।
यह सितंबर 2007 में पहला टी20 वर्ल्ड कप शुरू होने से लगभग एक माह पहले की बात है। दिल्ली एवं जिला क्रिकेट संघ के खेल सचिव सुनील देव ने मुझे फोन कर कहा, ‘मुझे मुबारकबाद दो, बीसीसीआई ने मुझे दक्षिण अफ्रीका में होने जा रहे पहले टी20 वर्ल्ड कप के लिए मैनेजर बनाया है।’ यह सुनकर मुझे कुछ अटपटा सा लगा कि देव इस नियुक्ति से इतने खुश क्यों लग रहे हैं। इस टी20 वर्ल्ड कप को तो कोई पूछ ही नहीं है। भारत इसमें अपनी टीम भी नहीं उतारना चाहता था। फिर देव तो पूर्व में भारतीय टीम के टेस्ट और वनडे दौरे पर बतौर मैनेजर दक्षिण अफ्रीका जा चुके हैं। वो इससे कहीं बड़ी बात थी। खैर इस सोच-विचार के बीच मैंने उन्हें मुबारकबाद तो दी लेकिन यह न कह सका कि आपकी मैनेजरशिप में टीम चैम्पियन बने।
लेकिन देव की रवानगी से कुछ दिन पहले की बात है। पूर्व टेस्ट अंपायर एस के बंसल से बात हो रही थी। उन्होने कहा, कल डीडीसीए में सुनील देव से मुलाकात हुई थी वह टी20  वर्ल्ड कप में जा रहे हैं। मैंने कहा, ‘ईश्वर से यही प्रार्थना है कि आप टीम को जिताकर लौटो।’ यह सुनकर मुझे कोई जवाब नहीं सूझा क्योंकि दूर-दूर तक इस बात का अंदेशा नहीं था कि युवा धोनी के नेतृत्व में टीम इंडिया चैम्पियन बन जाएगी।

टीम इंडिया के चैम्पियन बनने के कयास के पीछे कट्टर समर्थन की दुआ और बेहद धूमिल सी आस के अलावा कुछ नहीं था। उसी साल वेस्टइंडीज में वनडे के वर्ल्ड कप में टीम इंडिया पहले ही दौर में बाहर हो गई थी और कप्तान राहुल द्रविड़, सौरव गांगुली और सचिन तेंदुलकर जैसे महान क्रिकेटरों ने बीसीसीआई को टी20  वर्ल्ड कप  से पूर्व ही सूचित कर दिया था कि वे इसमेंं खेलने के लिए उपलब्ध नहीं रहेंगे उनके नाम पर विचार न किया जाए। इस फैसले के बाद तो थोड़ी बहुत उम्मीद भी खत्म हो गई थी।इसके बाद जो हुआ वो न केवल सुनहरा इतिहास बना बल्कि भारतीय क्रिकेट ही नही काफी हद तक अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट, में क्रांतिकारी परिवर्तन करने वाला साबित हुआ। युवा महेन्द्र सिंह की कप्तानी में यंग इंडिया ने दुनिया फतह कर ली।  वर्ल्ड कप पर विजेता के रूप मेंं दूसरी बार भारत का नाम लिखा गया था। 1983 में भारतीय क्रिकेटरों ने कपिल देव की कप्तानी में वनडे का वर्ल्ड कप जीता था और उसके 24 साल बाद धोनी की कप्तानी में क्रिकेट के उससे भी छोटे फॉर्मेट में यंगिस्तान ने बाजी मारी थी। धोनी के रूप में एक ऐसा कप्तान देश को मिला जो क्रिकेट जगत में छा गाया। इस खिताबी जीत से धोनी का आत्मविश्वास ऐसा बढ़ा कि फाइनल के बाद कमेंटेटर की भूमिका निभा रहे पूर्व भारतीय कप्तान रवि शास्त्री जब मैदान में उनकी प्रतिक्रिया लेने पहुंचे तो पहले सवाल के जवाब में धोनी ने जो कहा, वह क्रिकेट पंडितों को हैरान करने के साथ यह भरोसा भी दिला गया था कि माही के उपनाम वाला लंबी झुल्फें लहराता यह लड़का लंबी रेस का घोड़ा है। धोनी का शास्त्री को यह जवाब था, मैं पहले आपको यह कहना चाहता हूं कि आपने अपने कॉलम में लिखा था कि भारत जीत नहीं सकता। हमने आपको गलत साबित कर दिया। शास्त्री के पास खिसियाने के सिवा कोई चारा नहीं था। माही की जुबान से निकली यह बात टेलीविजन प्रसारण के जरिए क्रिकेट जगत में खासी चर्चा का विषय बनी। शायद इससे पहले किसी भारतीय कप्तान ने पूर्व क्रिकेटर से कमेंटेटर बनने वाले किसी व्यक्ति को ऐसा करारज जवाब नहीं दिया था। यह आम जवाब नहीं बल्कि ऐसा करारा जवाब था जिसने माही के आत्मविश्वास के दर्शन करा दिए थे। इसके बाद सभी जानते हैं कि माही ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और टी20 से वनडे और टेस्ट के कप्तान बन नित नई बुलंदियों को छूते चले गए। हां, ऐसा दौर भी आया जब इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया की धरती पर टीम इंडिया की किरकिरी हुई और धोनी की कप्तानी की जमकर आलोचना भी की गई। लेकिन  धोनी हर बार आलोचना की आग में तपकर कुंदन बनकर निकले।

भारतीय सेना ने वर्ष 2011 में धोनी को लेफ्टिनेंट कर्नल का मानद पद दिया था।  वह कई बार कह चुके हैं कि मौका मिले तो मैं सेना को अपनी सेवा देना चाहूंगा।
वह जो दिल में है वही बोलने के लिए जाने जाते रहे है। मुझे याद है 2008 में प्रथम आईपीएल का फाइनल हारने के बाद उन्होंने नवी मुंबई के डी वाई पाटील स्टेडियम में कहा था, बहुत दिनों से ठीक से सोया नहीं हूं, आज जमकर सोऊंगा। एक बार प्रेस कान्फ्रेंस में श्रीसंत के बर्ताव पर धोनी ने कहा था, मेरी सारी सलाह उस पर खत्म हो चकी हैं। दो चार मैच का बैन लगेगा तो अपने आप समझ जाएगा। धोनी ने बतौर बल्लेबाज, विकेट कीपर, और कप्तान अपनी अमिट छाप छोड़ी है। वह बड़े फिनिशर बने। छक्के से वर्ल्ड कप फाइनल के अलावा अनेक मैच जितवाए। वह आक्रामक कप्तान, बल्लेबाज और विकेट कीपर थे और भारतीय टीम को नई ऊंचाई पर  ले गए। जो जिम्मेवारी दी गई उसे बखूबी निभाया। भविष्य में वह चयनकर्ता, कोच, प्रशासक बने जिससे भारत को फायदा मिले।अभी तो आईपीएल में उनका जलवा देखने की मिलेगा।

(लेखक खेल टुडे पत्रिका के संपादक हैं)

 

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