राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की राफेल उड़ान: भारत की शक्ति और नई रक्षा नीति का प्रतीक
चिरौरी न्यूज
अंबाला: भारत की राष्ट्रपति और सशस्त्र बलों की सर्वोच्च कमांडर द्रौपदी मुर्मू ने आज हरियाणा के अंबाला एयर फोर्स स्टेशन से अत्याधुनिक राफेल लड़ाकू विमान में उड़ान भरकर इतिहास रच दिया। यह उड़ान मात्र एक प्रतीकात्मक कार्यक्रम नहीं, बल्कि भारत की बदलती सैन्य नीति, आत्मनिर्भरता और रणनीतिक आत्मविश्वास का सशक्त प्रदर्शन है।
राफेल: भारत की आकाशीय ढाल
राफेल को चौथी और पांचवीं पीढ़ी के बीच का 4.5-जनरेशन लड़ाकू विमान कहा जाता है। इसे फ्रांस की डसॉल्ट एविएशन (Dassault Aviation) ने बनाया है और यह मल्टी-रोल प्लेटफॉर्म के रूप में काम करता है।
इसकी प्रमुख विशेषताएँ —
- गति: 2,223 किमी/घंटा (Mach 1.8)
- सीमा: 3,700 किमी तक
- हथियार प्रणाली: हवा से हवा, हवा से जमीन मिसाइलें, और नाभिकीय बम ले जाने में सक्षम
- अत्याधुनिक सेंसर और एवियोनिक्स: “SPECTRA” इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और Active Electronically Scanned Array (AESA) रडार
- नेटवर्क-सेंट्रिक वॉरफेयर क्षमता: यह विमान किसी भी आधुनिक युद्ध क्षेत्र में एकीकृत कमांड और कंट्रोल नेटवर्क से जुड़ा रह सकता है।
राफेल की यही क्षमताएँ इसे केवल एक लड़ाकू विमान नहीं, बल्कि संपूर्ण युद्ध प्रणाली (Combat Ecosystem) का हिस्सा बनाती हैं।
ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तान को रणनीतिक संदेश
अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। यह एक सीमित लेकिन अत्यंत सटीक एयर और मिसाइल स्ट्राइक अभियान था।
मिशन की प्रमुख झलकियाँ —
- लक्ष्य: पाकिस्तान अधिकृत क्षेत्र (PoK) में आतंकवादी ठिकाने, प्रशिक्षण कैंप, लॉजिस्टिक हब और कमांड-एंड-कंट्रोल सेंटर।
- प्रमुख हथियार: राफेल, सुखोई-30 MKI, और इज़रायली हरॉप ड्रोन।
- सफलता: 11 प्रमुख एयरबेस व फॉरवर्ड कमांड पॉइंट्स निष्क्रिय हुए।
- समयसीमा: 7 से 10 मई के बीच अभियान सम्पन्न हुआ।
- परिणाम: रक्षा मंत्रालय के अनुसार 100 से अधिक आतंकी और सहयोगी तत्व मारे गए, जबकि पाकिस्तानी वायु सेना ने 10 मई के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
रक्षा सचिव के अनुसार, “ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित कर दिया कि भारत किसी भी खतरे का जवाब देने के लिए तैयार है — जब, जहाँ और जैसे भी आवश्यक हो।”
रणनीतिक बदलाव: संयम से जवाबदेही तक
1999 के कारगिल युद्ध के दौरान भारत ने अपने हवाई अभियानों को LoC के इस पार तक सीमित रखा था। उस समय अंतरराष्ट्रीय दबाव और रणनीतिक संयम प्राथमिकता थे।
लेकिन 2025 में भारत का रुख स्पष्ट रूप से बदल चुका है:
- अब भारत रक्षात्मक संयम के बजाय सक्रिय प्रत्युत्तर (Active Response) की नीति पर है।
- राफेल जैसे हथियार इस नई सोच के प्रतीक हैं — जहाँ तकनीकी श्रेष्ठता, गति, और सटीक वार एक साथ काम करते हैं।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की “नई भारत सुरक्षा नीति” में कहा गया है कि “हम युद्ध नहीं चाहते, लेकिन अगर युद्ध हम पर थोपा गया तो जवाब पहले से तय होगा।”
राष्ट्रपति मुर्मू की उड़ान का सामरिक संदेश
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राफेल में उड़ान भरकर तीन महत्वपूर्ण संकेत दिए —
- सशस्त्र बलों के प्रति एकजुटता:
यह राष्ट्रपति द्वारा सैनिकों के मनोबल को ऊँचा करने का प्रयास था, जिससे यह संदेश गया कि राष्ट्र अपने वीरों के साथ खड़ा है।
- रणनीतिक आत्मविश्वास का प्रदर्शन:
यह sortie ऐसे समय में हुई जब भारत ने ऑपरेशन सिंदूर जैसी कार्रवाई के बाद दक्षिण एशिया में स्पष्ट रूप से सामरिक बढ़त हासिल की है।
- पाकिस्तान और विरोधी देशों को चेतावनी:
यह प्रतीक है कि भारत अब किसी भी खतरे को “प्रतीक्षा नीति” से नहीं, बल्कि पूर्व-सक्रिय कदमों से जवाब देगा।
भारत की बढ़ती रक्षा क्षमता
- राफेल स्क्वाड्रन: अंबाला और हाशिमारा बेस पर पूरी तरह तैनात।
- मल्टी-डोमेन ऑपरेशन्स: वायु, साइबर और अंतरिक्ष क्षेत्रों का समन्वित उपयोग।
- न्यूक्लियर ट्रायड सुदृढ़: भारत भूमि, जल और वायु — तीनों माध्यमों में परमाणु प्रतिरोधक क्षमता रखता है।
- मेक इन इंडिया रक्षा परियोजनाएँ: तेजस MK2, AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft), और स्वदेशी मिसाइल प्रणालियाँ।
भारत की उड़ान: नई दिशा, नया आत्मविश्वास
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की राफेल उड़ान केवल एक फोटो-ऑप नहीं, बल्कि एक रणनीतिक घोषणा है —
“भारत अब सीमाओं की सुरक्षा तक सीमित नहीं रहेगा; वह अपने हितों की रक्षा हर दिशा और हर आयाम में करने के लिए तैयार है।”
ऑपरेशन सिंदूर और राफेल की उड़ान, दोनों मिलकर एक नए भारत की छवि प्रस्तुत करते हैं, आत्मनिर्भर, सशक्त और निर्णायक भारत।
