थम गया एटलस का सफरनामा

शिवानी रजवारिया

नई दिल्ली: 1951 में एटलस साइकिल कंपनी की शुरुआत श्री जानकी दास कपूर ने की थी जिनका सपना था कि वह भारत के हर एक आम इंसान तक एटलस साइकिल को पहुंचा सकें। मुनासिब दाम और अच्छी गुणवत्ता एटलस साइकिल की खासियत थी। अपने सपने को पूरा करने के लिए जानकीदास कपूर ने हरियाणा के सोनीपत में 25 एकड़ जमीन पर एटलस साइकिल की फैक्ट्री लगाई जहां पर एटलस साईकिलों का निर्माण कार्य शुरू हुआ और पहले ही माह में 12000 साइकिल बनाने का रिकॉर्ड तोड़ दिया। वहीं 1 साल में 40 लाख साइकिल बनाने का रिकॉर्ड अपने नाम कर लिया। एटलस साइकिल कंपनी का बहुत तेज़ी से नाम और पहचान बढ़ने लगी और जल्द ही अपनी अच्छी गुणवत्ता के कारण एटलस साईकिल कंपनी ने देश में अपनी पहचान बना ली।

इतना ही नहीं जब 1958 में एटलस साइकिल की पहली खेप विदेशों में भेजी गई तो वहां लोगों ने इसे बहुत पसंद किया। एटलस साइकिल कंपनी का नाम देश-विदेश में जाना जाने लगा और कंपनी का काम और तेज़ी से बढ़ने लगा। 1965 तक आते-आते एटलस साइकिल कंपनी सबसे बड़ी साइकिल निर्माता कंपनी के रूप में उभर के सामने आई। जगह की भी कमी होने लगी जिसके कारण भारत के कई और जगह पर इसके कई कारखाने खोले गए। देश से विदेशों तक का विश्वास जीतने वाली एटलस कंपनी ने 1978 में पहली रेसिंग साइकिल का निर्माण किया।

यह समय एटलस कंपनी के लिए स्वर्णिम समय था एटलस अपने अच्छे व्यापार के लिए दुनिया भर में अपनी पकड़ बना चुकी थी जिसके लिए एटलस को सर्वश्रेष्ठ औद्योगिक संबंध के लिए विकी पुरस्कार से सम्मानित भी किया गया। सन 1982 में एटलस को गोल्ड मरकरी इंटरनेशनल अवार्ड से सम्मानित किया गया और निर्यात उत्कृष्टता के लिए आईपीसी पुरस्कार से सम्मानित होने के बाद एटलस कंपनी को दिल्ली में खेले जाने वाले एशियाई खेलों में साइकिल आपूर्ति के लिए जिम्मेदारी दी गई जिससे एटलस साइकिल की मांग और भी अधिक बढ़ गई।

साइकिल निर्माण में हीरो ट्यूब की आवश्यकता को पूरा करने के लिए कंपनी ने गुड़गांव में एडलस्ट्यूब मिल स्थापित की। अब सभी साइकिल घटकों का निर्माण करने में एड्रेस कंपनी आत्मनिर्भर बन गई इसके बाद इसका खूब प्रचार-प्रसार किया गया।

जब किसी नामी-गिरामी ब्रांड से जुड़ी कोई खबर मार्केट में आती है तो उसे आग की तरह फैलने में देर नहीं लगती और यह हादसा तो एटलस के मालिक संजय कपूर की जिंदगी से जुड़ा था जब उनकी पत्नी ने खुदकुशी कर ली थी। सन 2006 की बात है जब संजय कपूर की पत्नी नताशा कपूर के आत्महत्या करने की खबर खूब चर्चा में आई थी उनके पास से मिले सुसाइड नोट के आधार पर इसके पीछे आर्थिक तंगी का कारण बताया जा रहा था।

एटलस साइकिल कंपनी का नाम साइकिल निर्माता कंपनियों में सबसे ऊपर लिया जाता है और आगे भी लिया जाता रहेगा। कहते हैं जब दिन गर्दिश में आते हैं तो बड़े से बड़ा धनी व्यक्ति भी घुटनों के बल गिर जाता है। एटलस कंपनी के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ 68 साल साईकिलों के उद्योग की दुनिया में पहचानी जाने वाली कंपनी आर्थिक संकटों के बीच उलझती चली गई। इस आर्थिक तंगी ने उसे ऐसे मुकाम पर लाकर खड़ा कर दिया जहां से उसको वापस लौटना मुश्किल लगने लगा और उसने इस सफ़र को एक किनारा देना उचित समझा।

आज एटलस साइकिल कंपनी पर ताला पड़ चुका है कंपनी अपने हाथ खड़े कर चुकी है कि आगे इस कंपनी को नहीं चला पाएगी। जिस दिन साइकिल डे सेलिब्रेशन किया जा रहा था इत्तेफाक की बात है उसी दिन देश की सबसे बड़ी निर्माता साइकिल कंपनी पर ताला लग  गया और इस खबर ने सबको आश्चर्यचकित कर दिया।

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