प्रवासियों के आने से बढ़ सकती है बिहार में कोरोना मरीजों की संख्या
न्यूज़ डेस्क
नई दिल्ली: कोरोना वायरस का कहर देश भर में लगातार बढ़ता जा रहा है, आये दिन इसका संक्रमण रिकॉर्ड तोड़ रहा है, ऐसे में केंद्र सरकार द्वारा ट्रेनों के आवागमन की सीमित सुविधाएँ प्रदान करने का निर्णय शायद बारूद में आग लगाने वाला न हो जाय। जिस राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति थोड़ी अच्छी है, वहां के हालत जब दयनीय हैं तो बिहार जैसे राज्यों की स्थिति की कल्पना से ही डर लगता है।
रविवार को एक ही दिन में रिकॉर्ड 85 पॉजिटिव केस सामने आने के बाद बिहार में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 700 के पार पहुंच गई है। बताया जा रहा है कि आंकड़ों में ये वृद्धि प्रवासी लोगों के आने के बाद और ज्यादा नंबर में टेस्टिंग होने के बाद हुई है। कोरोना संक्रमित मरीजों के आंकड़ों में वृद्धि ने सीमित स्वास्थ्य सेवाओं वाले प्रदेश बिहार की चिंता और चुनौती बढ़ा दी है।
बिहार में अब तक करीब एक लाख से ज्यादा प्रवासी लोगों की वापसी हुई है और केंद्र सरकार के ट्रेनों को चलाने की अनुमति देने से अगले कुछ दिनों में करीब 85 हजार और लोगों की वापसी का अनुमान है। ये संख्या निश्चितरूप से बिहार सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण होगा। इतनी बड़ी संख्या में लोगों की टेस्टिंग सरकार के लिए बड़ा चैलेंज होगा।
शनिवार को जानकारी देते हुए बिहार सरकार ने बताया था कि नंदुरबार, दिल्ली, मुंबई, और अहमदाबाद से ट्रेनों में यात्रियों में 1,100 के रैंडम टेस्ट किए गए, जिनमें 44 के रिपोर्ट पॉजिटिव आए। पिछले एक हफ्ते से प्रदेश में रोजाना लगभग 1,000 प्रवासियों की रैंडम सैंपलिंग की जा रही है, और इसमें कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
बिहार सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अनुसार छह सरकारी अस्पतालों और राजेंद्र मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरएमआरआई) में प्रतिदिन औसतन 1,500 लोगों का कोरोना टेस्ट किया जाता है। बिहार सरकार ने दो निजी लैब को भी टेस्ट की अनुमति दी है। बिहार स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, रोजाना लगभग 1,800 टेस्ट करने की क्षमता है। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि बिहार में आ रहे प्रवासियों के टेस्ट रिपोर्ट चौंकाने वाले हैं। 1100 की रैंडम सैंपल में 4 फीसदी के टेस्ट पॉजिटिव आए हैं, और जैसे जैसे प्रवासियों के आने की रफ़्तार बढ़ेगी, कोरोना मरीजों की संख्या भी बढ़ने की संभावना है।
बिहार सरकार की मज़बूरी का अहसास इस बात से लगाया जा सकता है कि स्वास्थ्य सचिव संजय कुमार ने कहा कि हम क्वारंटीन सेंटर में रह रहे सभी प्रवासियों का टेस्ट नहीं कर सकते क्योंकि उनकी संख्या एक लाख से ज्यादा पहुंच चुकी है।
उन्होंने कहा कि, हम चुनौतियों को समझ रहे और इसके लिए जरूरी व्यवस्था को लेकर और अपनी सुविधाओं को बढ़ाने के लिए 9 मई को भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद को लिखा है। अब हम रोजाना 1811 टेस्ट कर सकते हैं। अगर उम्मीद के मुताबिक व्यवस्था हुई तो हम प्रतिदिन 8,622 नमूनों का परीक्षण करने में सफल रहेंगे।