कोरोना की दूसरी लहर से है बचना, तो पहनना होगा मास्क

चिरौरी न्यूज़
नई दिल्ली: बीते कुछ दिनों से जिस प्रकार कोरोना संक्रमण में तेजी देखी जा रही है, वह चिंताजनक है। तमाम विशेषज्ञ लोगों से मास्क पहनने और कोरोना के लिए उचित व्यवहार करने की बात कर रहे हैं। केन्द्रीय स्वास्थ्य सचिव भी लोगों से कोरोना से बचाव केििलए जरूरी व्यवहार का पालन करने की बात पर जोर दे रहे हैं। कोरोना वैक्सीन लगवाने वालों को सलाह दी जा रही है कि वह पहली और दूसरी दोनों डोज के बाद टीकाकरण का प्रमाणपत्र लेना न भूले, यह उनका अधिकार है।
दरअसल, भारत के कई राज्यों में में कोविड19 की दूसरी लहर देखी जा रही है। जिसका असर अन्य राज्यों पर देखा जा रहा है। पिछले साल अक्टूबर के बाद से यह पहला मौका है जब बीते सात दिनों से कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या में वृद्धि हुई है। एक दिन में बीते 24 घंटे में कोरोना के 50,000 से अधिक संक्रमित मरीज देखे गए।
कोरोना के अब तक के आंकड़े देखें तो यह बीमारी अब तक लगभग 12 मिलियन लोगों को प्रभावित कर चुकी है और 1,60,000 से अधिक लोगों की संक्रमण की वजह से मौत हो चुकी है।
महाराष्ट्र में एक बार फिर कोरोना के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी देखी जा रही है। 20 फरवरी के बाद से यहां कोरोना के नए मामलों में बेतहाशा वृद्धि हो रही है। विशेषज्ञों के अनुसार महाराष्ट्र एकमात्र राज्य हैं, जहां कोरोना के तीनों स्ट्रेन पाए गए हैं। राज्य में यूके स्ट्रेन के 56, दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के पांच और ब्राजीली स्ट्रेन का एक केस पाया गया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने महाराष्ट्र में ही नया डबल म्यूटेंट वैरिएंट मिलने की भी पुष्टि की है। पंजाब में भी एक डबल म्यूटेंट वायरस केस का पता चला है, जिसका अर्थ है कि दो उत्परिवर्तन जो महत्वपूर्ण दिखते हैं।
कोरोना एक्सपर्टस कहते हैं कि लगता है कि लोग भूल गए हैं कि वायरस अभी भी हमारे आसपास ही है। उन्होंने मास्क पहनना बंद कर दिया, उन्हें पहनने वालों ने उन्हें ठीक से नहीं पहना। वे बड़े सामाजिक समारोहों, जन्मदिन पार्टियों, शादियों, छुट्टियों के लिए यात्रा का आयोजन करने लगे। इसने वायरस को फैलने में मदद मिली।
जनवरी से बीस फरवरी के बीच देशभर में कोरोना के नये पॉजिटिव मरीजों की संख्या में काफी कमी देखी जा रही थी। फरवरी के पहले सप्ताह में एक दिन में केवल 8500 मामले देखे गए। पिछले साल के मध्य में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) द्वारा एक लोगों की एंटी बॉडी का पता लगाने के लिए सीरो-सर्वेक्षण किया गया। जिसमें सीएसआईआर के कर्मचारियों और उनके परिवारों-छात्रों, सुरक्षा गार्डों, स्वच्छता कर्मचारियों, हाउसकीपिंग स्टाफ – ने अपने 37 प्रयोगशालाओं और केन्द्रों का परीक्षण किया था। इस समूह में न केवल सभी सामाजिक-आर्थिक वर्गों के प्रतिनिधि थे, बल्कि विभिन्न संस्कृतियों और जनसांख्यिकी के लोग भी शामिल थे।
सर्वेक्षण में सामने आए निष्कर्षों से पता चला है कि देश में कुल मामलों की संख्या संभवत: 100 मिलियन की रेंज में थी, जो कि रिपोर्ट किए गए मामलों से लगभग 30 गुना अधिक थी। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि 70 प्रतिशत से अधिक लोग जिनके पास एंटीबॉडी थे, उनमें कोरोना संक्रमण के किसी भी लक्षण को नहीं देखा गया और बेहद कम लक्षण वाले ए सिम्पमेटिक बीस प्रतिशत कोरोना पॉजिटिव लोगों में एंटीबॉडी नहीं पाई गई। प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी नहीं हो सकते हैं। कोरोना संक्रमित न होने के कई अन्य सिद्धांत भी काम कर सकते हैं जिसमें आनुवांशिक कारण, बीसीजी टीकाकरण और पहले अन्य तरह के कोरोना वायरस का संपर्क भी भारतीयों को वायरस से बचाव में मदद कर सकता है।
आईजीआईबी, नई दिल्ली के निदेशक डॉ अनुराग अग्रवाल कहते हैं कि जिन देशों ने कोरोना की दूसरी लहर देखी है, उन्हें नियंत्रित करना मुश्किल हो गया। ब्राजील के एक शहर मनौस में इस साल जनवरी महीने में संक्रमण का तेजी से प्रसार हुआ, जिसके कुछ ही महीने बाद 76 प्रतिशत आबादी में एंटीबॉडी देखी गई। डॉ अनुराग अग्रवाल कहते हैं कि इसके कई कारण हो सकते हैं, शरीर में एंटीबॉडीज का स्तर समय के साथ कम होता जाता है वह यही स्थिति संक्रमण की वजह बन जाती है।
भारत में जिस प्रकार कोरोना का विकराल देखा जा रहा है, उसमें क्या किया जाए? अधिकांश लोगों के मन में यही सवाल है। इस संबंध में एईएफआई कमेटी के डॉ एनके अरोड़ा कहते हैं कि यह चिंताजनक है। हमारे पास यह जानकारी आई है कि नया म्यूटेंट आया है। तमाम संस्थाएं इसका अध्ययन कर रही है। इसकी संख्या का पता लगाया जा रहा है। डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि जब एक वायरस किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश करता है, तो वह खुद की लाखों प्रतियां बनाता है। यह म्यूटेंट कम गंभीर या अधिक गंभीर, कम संक्रामक या अधिक संक्रामक हो सकते हैं। इतने सारे उत्परिवर्तन बीमारी को और गंभीर बना सकते हैं। वायरस का म्यूटेंट भी टीकों को कम प्रभावी बना सकते हैं। डॉ एनके अरोड़ा ने कहा कि इन परिस्थितियों के लिए जरूरी है कि हर कोई मास्क पहनने। कोरोना से बचाव के लिए मास्क सबसे अधिक कारगर हथियार है। इसके साथ ही अन्य कोरोना अनुरूपी व्यवहार जैसे नियमित रूप से हाथ धोना, निर्धारित दूरी का पालन करना आदि अपनाकर आप कोरोना संक्रमण डबल म्यूटेंट के खतरे से भी बच सकते हैं।

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