मणिपुर में ये क्या हो रहा है ?
इंफाल। मणिपुर में चार मंत्रियों सहित नौ सदस्यों के इस्तीफे के बाद भाजपा नेतृत्व वाली सरकार पर संकट मंडरा रहा है। कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए राज्यपाल नजमा हेपतुल्ला से विधानसभा का विशेष सत्र आहूत करने का अनुरोध किया है। कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से भेंट की और जल्द से जल्द विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया ।
राज्यपाल से मुलाकात के बाद एनपीपी प्रमुख थांगमिलेन किपगेन ने पत्रकारों से कहा, ‘‘एन बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के लिए हमने राज्यपाल से विधानसभा का विशेष सत्र बुलाने का अनुरोध किया है।’’किपगेन ने कहा कि प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल से राज्य में इबोबी सिंह के नेतृत्व में सरकार गठन के लिए नवगठित ‘‘सेक्युलर प्रोग्रेसिव फ्रंट’’ (एसपीएफ) को आमंत्रित करने का भी अनुरोध किया।
ज्ञापन में कांग्रेस, एनपीपी, तृणमूल कांग्रेस और निर्दलीय विधायकों समेत एसपीएफ के सभी सदस्यों के समर्थन पत्र का भी जिक्र किया गया है। राजभवन की तरफ से इस मुद्दे पर फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है । उपमुख्यमंत्री वाई जॉयकुमार सिंह, आदिवासी एवं पर्वतीय क्षेत्र विकास मंत्री एन कायिशी, युवा मामलों और खेल मंत्री लेतपाओ हाओकिप और स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री एल जयंत कुमार सिंह ने बुधवार को मंत्री पदों से इस्तीफा दे दिया था। इसके अलावा, भाजपा विधायक एस सुभाषचंद्र सिंह, टीटी हाओकिप और सैमुअल जेंदई ने विधानसभा तथा पार्टी से इस्तीफा दे दिया, जिसका बाद विपक्षी कांग्रेस ने सरकार बनाने की कवायद तेज कर दी।
समर्थन वापस लेने वाले बाकी सदस्यों में तृणमूल कांग्रेस के विधायक टी रबिंद्र सिंह और निर्दलीय विधायक शहाबुद्दीन शामिल हैं। बहरहाल, इबोबी सिंह ने कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन में दरार के लिए कांग्रेस जिम्मदार नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाए जाने पर पार्टी बहुमत साबित कर सकती है । उन्होंने कहा, ‘‘पार्टी ने समान सोच वाले विधायकों के साथ मिलकर चलने का फैसला किया है।’’ नए राजनीतिक घटनाक्रम के बाद मुख्यमंत्री के खिलाफ विधायकों की संख्या अब 29 हो गयी है । बिरेन सिंह के समर्थन में 23 विधायक हैं जिनमें भाजपा के 18, नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के चार और एलजेपी के एक विधायक हैं ।
उधर, मणिपुर उच्च न्यायालय ने विधानसभाध्यक्ष को निर्देश दिया कि वह दलबदल करने वाले सात कांग्रेस विधायकों को अयोग्य ठहराने संबंधी लंबित मामलों पर शुक्रवार तक कोई आदेश नहीं सुनाएं। कांग्रेस के ये विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे। उच्च न्यायालय के आदेश में कहा गया है, “यह स्पष्ट है कि माननीय विधानसभाध्यक्ष द्वारा आज जो आदेश सुरक्षित रखा गया है, वह कल तक उनके द्वारा नहीं सुनाया जाएगा।’’