क्या है एनडीपीएस एक्ट 1985, इसके तहत सजा का क्या है प्रावधान?

शिवानी रज़वारिया

कुछ दिनों से आप अखबारों व टीवी चैनल्स पर एनडीपीएस एक्ट(NDPS Act) का नाम बहुत सुन रहे होंगे। एनडीपीएस एक्ट के तहत रिया चक्रवर्ती को गिरफ्तार कर लिया गया। एनडीपीएस एक्ट के तहत ड्रग्स मामले में रिया चक्रवर्ती के भाई को हिरासत में लिया गया आदि आदि और बहुत बार आपने अखबारों में भी इस तरह की हेडलाइंस पढ़ी होंगी कि इतने ग्राम एक व्यक्ति के बैग से हीरोइन पकड़ी गई। एक घर में इतने ग्राम कोकीन मिला, ड्रग्स मिलने पर पुलिस ने की छापामारी। यह सब हेडलाइंस किस एक्ट के तहत काम करती हैं और एनडीपीएस एक्ट क्या है और इसका क्या प्रावधान है, चलिए स्टेप बाय स्टेप समझते हैं।

नशीले पदार्थों व दवाओं के आयात निर्यात, वितरण, तस्करी, निर्माण, भंडारण, सेवन इत्यादि पर नियंत्रण रखने व प्रतिबंध लगाने के लिए भारत की संसद में नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकॉट्रॉपिक सब्सटेंसस एक्ट,1985 पारित किया गया जिसे हम एनडीपीएस (NDPS) एक्ट 1985 के नाम से जानते हैं।

नारकोटिक और साइकॉट्रॉपिक 2 दवाओं के नाम हैं। नारकोटिक यानी नींद लाने वाले ड्रग्स साइकॉट्रॉपिक यानी दिमाग पर असर डालने वाली ड्रेस। नारकोटिक दवाएं जिन पदार्थ से बनती है, वह प्राकृतिक होते हैं; जैसे-चरस,गांजा,कुकिन आदि।

साइकॉट्रॉपिक दवाएं केमिकल बेस्ट बनाई जाती है। इन दवाओं को दो या तीन तरह के केमिकल्स को मिलाकर बनाया जाता है; जैसे-एलएसडी (LSD) ,एमएमडीए (MMDA), अल्प्राजोलम इत्यादि। इनमें से कुछ दवाओं को नींद आने के लिए दिया जाता है लेकिन अधिक मात्रा होने पर यह जानलेवा भी हो सकती हैं।

इसे आप सरल तरीके से ऐसे भी समझ सकते हैं कि दवाओं पर नियंत्रण करने के लिए एक कानून बनाया गया जिसे संक्षिप्त में एनडीपीएस एक्ट कहते हैं। हिंदी में इसका पूरा नाम स्वापक औषधि और मन: प्रभावी अधिनियम, 1985 है। इस कानून को नशीली दवा और मादक पदार्थ अधिनियम,1985 के नाम से भी जाना जाता है।

सन 1985 में इस कानून को बनाया गया था और तब से इसमें तीन बार संशोधन भी किया जा चुका है, पहला संशोधन 1988, दूसरा संशोधन 2001, और तीसरा संशोधन 2014 में किया गया। एनडीपीएस एक्ट के तहत केंद्र सरकार प्रतिबंधित दवाओं की एक लिस्ट जारी करती है और यह लिस्ट समय के अनुसार बदलती रहती है। इस मामले में राज्य सरकारें भी अपनी सलाह या सिफारिश रख सकती हैं।

एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के तहत कार्रवाई

इस एक्ट के तहत पुलिस भी कार्रवाई कर सकती है इसके अलावा केंद्र और राज्य में नारकोटिक्स विभाग भी बने हुए हैं जो अवैध तरीकों से या गैरकानूनी तौर से हो रहे इस्तेमाल पर नजर रखते हैं। नशीले पदार्थों से जुड़े मामलों की जांच करने के लिए सबसे बड़ी संस्था स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (Narcotics Control Bureau) है। यह एक केंद्रीय एजेंसी है जिसकी स्थापना 17 मार्च 1986 को की गई थी।

एनडीपीएस एक्ट के तहत कानून का उल्लंघन करने पर सजा व जुर्माने का प्रावधान है।एनडीपीएस एक्ट में दी गई धाराओं के तहत सजा का प्रावधान निर्धारित किया गया है। इसके अनुसार मुख्य रूप से तीन प्रकार से सजा दी जा सकती है।

प्रतिबंधित पदार्थों की मात्रा के आधार पर सजा का प्रावधान इस प्रकार है

अल्प मात्रा या कम मात्रा होने पर 1 साल की सजा या ₹10000 का जुर्माना भरना पड़ता है या फिर सजा और जुर्माना दोनों देने पड़ सकते हैं ऐसे अपराधों में जमानत मिल जाती है लेकिन अगर अपराधी बार बार पकड़ा जाता है तो जमानत मिलना मुश्किल हो जाता है।

वाणिज्यिक मात्रा या कमर्शियल क्वांटिटी 10 से 20 साल की सजा का प्रावधान है इसी के साथ 1 से 2 लाख तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है। यह गैर जमानती अपराध है यानी इन अपराधों में जमानत नहीं मिलती और अगर कोर्ट द्वारा मामला संगीन पाया जाता है तो सजा व जुर्माना बढ़ाया भी जा सकता है। अल्प मात्रा और वाणिज्यिक मात्रा के बीच की मात्रा में अगर कोई अपराधी पकड़ा जाता है तो उसे 10 साल की सजा और 100000 का जुर्माना या फिर दोनों लगाए जा सकते हैं। ऐसे मामलों में जमानत पकड़े गए नशीले पदार्थ और पुलिस की धाराओं पर निर्भर करती है। नीचे दी गई

सूची को देखें –

ड्रग्स                       अल्प मात्रा         कमर्शियल मात्रा

चरस/हशीश             100 gm                    1 kg

कोकैन                           2gm               100gm

गांजा                             1kg                     20kg

हेरोइन                            5gm               250gm

मार्फिन                           5gm               250gm

अफीम                          25gm                2.5kg

कोडिन                           10gm                  1kg

MDMA या

Meow meow             0.5gm              10gm

 

एनडीपीएस के तहत सजा की धाराएं

अफीम की खेती करने पर सेक्शन-19 के तहत 10 से 20 साल की सजा और 1 से 2 लाख़ का जुर्माना लगाया जा सकता है। नारकोटिक या साइकॉट्रॉपिक दवाओं के आयात निर्यात करने पर धारा -23 के तहत 6 महीने से लेकर 20 साल तक की सजा हो सकती है। भारत से बाहर के व्यक्ति को नशीले पदार्थ देने या उसे नशीला पदार्थ लेने के जुर्म में धारा 24 के तहत 10 से 20 साल की सजा और एक से दो लाख तक का जुर्माना लगाया जा सकता है।

किसी के घर में या मकान में नशीले पदार्थ को जानबूझकर इस्तेमाल करना या कराने पर धारा 25 के तहत 10 से 20 साल की सजा और एक से दो लाख का जुर्माना लगाया जाएगा। नशीले कारोबार में पैसा लगाने या अपराधियों को अपने घर में शरण देने के जुर्म में धारा 27 ए के तहत 10 से 20 साल की सजा और एक से दो लाख का जुर्माना लगाया जाएगा।

ड्रग्स लेने पर धारा 27 के तहत कोकैन, मार्फिन, हेरोइन पर 1 साल तक की सजा ₹20000 जुर्माना या दोनों ही लगाए जा सकते हैं बाकी के वृक्ष में 6 महीने की जेल और ₹10000 जुर्माना या दोनों ही भुगतना पड़ सकता है। अगर कोई व्यक्ति बार-बार एक ही अपराध में पकड़ा जाता है तो पहले की तुलना में 2 गुना ज्यादा सजा मिल सकती है।

इस कानून के तहत अपराधी को राहत देने का प्रावधान भी है अगर कोई अपराधी ड्रग्स का आदी है यदि सच बोलना चाहता है तो सरकार धारा 64 ए के तहत राहत दे सकती है। सरकार द्वारा उसका इलाज भी कराया जाता है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 36 के तहत नशीले पदार्थों की सुनवाई के लिए स्पेशल कोर्ट का गठन किया जाता है जिसमें ऐसे मामलों को विशेष तौर से सुना जाता है।

 

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