क्यों मनाते हैं मजदूर दिवस, जानें
शिवानी रजवारिया
नई दिल्ली: अंतराष्ट्रीय स्तर पर 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाता है भारत में इस साल यह दिवस और भी खास हो जाता है। लॉकडाउन के बीच आए इस दिन ने मजदूरों के घाव को हरा कर दिया है। पूरे देश में इस वक़्त जो हालात बने हुए हैं उनकी सबसे ज्यादा मार अगर किसी पर पड़ी हैं तो वो देश का मजदूर वर्ग ही है। श्रमिकों की उपलब्धियों का जश्न मनाने के लिए श्रमिक दिवस एक वार्षिक अवकाश के रूप में हर साल मनाया जाता है, जिसे लेबर डे, मई दिवस, कामगार दिन, इंटरनेशनल वर्कर डे, या मजदूर दिवस भी कहते हैं। मजदूर दिवस की शुरुआत श्रमिक संघ आंदोलन से हुई है।
आम शब्दों में कहा जाए तो मजदूर यानी वह लोग जो सुबह काम पर जाते हैं और शाम को अपनी मेहनत का पैसा लेकर वापस आते हैं, जिनके घर का चूल्हा उनके 1 दिन की दिहाड़ी से ही जलता है। लॉकडॉन के बीच कोरोना के बाद कोई शब्द अगर सबकी जुबान पर है तो वह है मजदूर. यह मजदूर ही वह वर्ग है जो लॉकडाउन की असली तस्वीर को देख पा रहा है उसे महसूस कर रहा है और उसकी जिंदगी में यह तस्वीर हमेशा बनी रहेगी।
मजदूर दिवस की शुरुआत
अंतर्राष्ट्रीय मजदूर दिवस मजदूरों पर होने वाले शोषण से जुड़ा है। 1886 ईस्वी. से पूर्व मजदूरों के काम करने की कोई भी समय सीमा नहीं हुआ करती थी। मजदूर 15-15 घंटे तक लगातार काम किया करते थे। सबसे पहले अमेरिका में मजदूरों ने इसके खिलाफ आवाज उठाई। आंदोलन करने के लिए सड़कों पर उतर आए उनकी मांग थी कि उनके काम करने की समय सीमा को निर्धारित किया जाए। उनके इस आंदोलन को भारी खामियाजा भी चुकाना पड़ा। विरोध की आग में लगभग 100 मजदूरों को गंभीर चोट आई, और कई मजदूर पुलिस की गोलियों का शिकार हो गए। उनकी मांगों को पूरा करने में 3 साल लग गए। सालों तक मजदूरों को ऐसे ही संघर्ष करना पड़ा। अंत में 1889 में अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की दूसरी बैठक में ऐलान किया गया कि 1 मई को मजदूर दिवस के रूप में मनाया जाएगा और इस दिन हर साल मजदूरों की छुट्टी रहा करेगी और इसी के साथ मजदूरों का काम करने का टाइम 8 घंटे निर्धारित किया गया।
भारत में कई संघ मजदूरों के हकों के लिए काम करते आए है,, पर भारतीय मजदूर संघ का कार्य भारत के 32 राज्यों तथा 44 उद्योगों में है। यह 1989 की सदस्यता सत्यापन के आधार पर पहली बार 1996 में देश का नम्बर एक मजदूर संगठन घोषित हुआ। वर्ष 2002 की सदस्यता सत्यापन के अन्तरिम परिणाम की घोषणा के अनुसार भारतीय मजदूर संघ 62 लाख से भी अधिक संख्या के साथ अब भी देश का सबसे अधिक सदस्यों वाला मजदूर संगठन है।
भारत में मजदूर संघ की स्थापना 23 जुलाई 1955 को भोपाल में हुई थी। भारत का सबसे बड़ा केंद्रीय श्रमिक संगठन है। महान विचारक स्व. दत्तोपन्त ठेंगड़ी द्वारा प्रख्यात स्वतंत्रता सेनानी लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के जन्मदिवस पर की गई थी। इस संघ की स्थापना मजदूरों द्वारा ही की गई थी इसमें किसी भी राजनीतिक पार्टी का कोई हाथ नहीं था। मजदूरों की विचारधारा, उनकी कार्यशैली को ध्यान में रखते हुए इस संघ को स्थापित किया गया था।