एएडी, ईसी और फाइनैंस कमेटी के सदस्यों ने वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट में कोविड अस्पताल बनाने की डीयू के कुलपति से की माँग

चिरौरी न्यूज़

नई दिल्ली: एएडी के ऐसी, ईसी और फाइनैंस कमेटी के सदस्यों ने डीयू के कुलपति प्रो. पी सी जोशी से विश्वविद्यालय द्वारा संचालित वल्लभभाई पटेल चेस्ट इंस्टिट्यूट (ऑर्डिनेंस XX) में कोविड अस्पताल बनाने की माँग की है। सदस्यों ने कहा कि पहले से ही इसमें कोविड अस्पताल बनाने की माँग निरंतर करते रहे है, जिस पर कुलपति महोदय अपने स्तर पर निर्णय नहीं करके इधर उधर सिर्फ चिट्ठी लिखकर  अपनी जिम्मेदारी टालने की कला का प्रदर्शन कर रहे हैं।

इस मामले में एएडी के ऐसी, ईसी और फाइनैंस कमेटी के सदस्यों ने डीयू के कुलपति को एक पत्र भी लिखा है। पत्र लिखनेवालों में ईसी सदस्य सीमा दास, राजपाल सिंह पवार, एफसी सदस्य जेएल गुप्ता और एसी सदस्य कपिला मल्लाह, सुधांशु कुमार, आलोक पांडेय और चंदर मोहन नेगी शामिल हैं।

पत्र में सदस्यों ने कहा कि पटेल चेस्ट के बारे में पिछले दो सालों के भारत के लेखा नियंत्रक के रिपोर्ट से पता चलता है कि वहां दोनों सालो में पैसा बचा हुआ है। 2017 में करीब 460 लाख और 2019 में 20 करोड़ रुपये बच गए थे। इस राशि का उपयोग यहाँ कोविड अस्पताल को शुरू करने के लिए किया जा सकता है।

साथ ही ऑर्डिनेंस XX -2 (1) पटेल चेस्ट के गवर्निंग बॉडी का प्रावधान है जिसके अध्यक्ष स्वयम कुलपति है और ज्यादातर सदस्य विश्विद्यालय के ही हैं। ये गवर्निंग बॉडी इसके प्रशासन और प्रबंधन के लिए जिम्मेदार है। ये बजट बनाने के लिए और इसके कार्यो के नियमन के भी अधिकृत है।

एएडी के ऐसी, ईसी और फाइनैंस कमेटी के सदस्यों ने सवाल उठाते हुए कहा कि, जब समुचित राशि है और प्रशानिक अधिकार कुलपति के स्तर पर है तो फिर यहां किसके आदेश की जरूरत है? आखिर अड़चन क्या है? जबकि इस बीच मे डीन, विभागाध्यक्ष, कई फैकल्टी, कर्मचारी और छात्र कोरोना की बलि चढ़ गए हैं। अब मूक दर्शक बन कर निर्णय में विलम्ब करते रहने से कोरोना का खूनी पंजा विश्वविद्यालय पर और पसरता जाएगा। अत: आवश्यक है कि कुलपति महोदय मानवीयता का परिचय देते हुए यथाशीघ्र पटेल चेस्ट इंस्टीट्यूट में कोविड अस्पताल की व्यवस्था करें।

एएडी के ऐसी, ईसी और फाइनैंस कमेटी के सदस्यों ने पत्र में कहा कि हम निम्नलिखित तथ्य आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहे हैं, जो बताते हैं कि आपके स्तर पर कार्रवाई की जा सकती है और आपका  इधर उधर लिख कर जिम्मेदारी से मुंह मोड़ने से कोई लाभ नहीं है –

  1. 1. VPCI के पास करोड़ों की संख्या में अव्ययित फंड मौजूद है जिसका उपयोग इसे कोविड अस्पताल के रूप में विकसित करने के लिए किया जा सकता है। दिल्ली विश्वविद्यालय और इसके 13 अनुरक्षित संस्थानों के खातों पर भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक की 31 मार्च 2019 और मार्च 2017 की अलग-अलग ऑडिट रिपोर्ट दर्शाती है कि संस्थान में ₹ 20।01 करोड़ और ₹ 459।63 लाख की शेष राशि इन वित्तीय वर्षों के अंत में बनी रही। (वार्षिक लेखा और लेखा परीक्षा रिपोर्ट 2018-2019 का पृष्ठ 67 और वार्षिक लेखा और लेखा परीक्षा रिपोर्ट 2016-2017 का पृष्ठ 72)।  अत: शेष राशि के साथ वीपीसीआई के परिवर्तन की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ की जा सकती है।
  2. 2. Ord XX विश्वविद्यालय द्वारा संचालित कॉलेजों और संस्थानों को निजीकृत करता है और VPCI उनमें से एक है।

Ord XX -2 (1) के अनुसार कुलपति की अध्यक्षता में एक निकाय का गठन किया जाना प्रस्तावित है जिसके अधिकांश सदस्य विश्वविद्यालय से हों। इसलिए वीपीसीआई के प्रबंधन और प्रशासन के लिए शासी निकाय का गठन किया गया है। इसके अलावा आदेश XX-2 (2(सी) और (जी)) शासी निकाय को ‘बजट तैयार करने’ और ‘संस्थान के व्यवसाय के विनियमन’ के लिए अधिकृत करता है।

एएडी के ऐसी, ईसी और फाइनैंस कमेटी के सदस्यों ने पूछा कि वित्तीय और प्रशासनिक संसाधन होने के बावजूद आपके आदेश और आवश्यक कार्रवाई की अनुपस्थिति विश्वविद्यालय समुदाय की पीड़ा को और बढ़ा रही है। इस विश्वविद्यालय ने पिछले कुछ दिनों के भीतर एक डीन, एक एचओडी, कई संकाय, कर्मचारी और छात्रों को खो दिया है। यहां तक ​​कि स्कूल भी कोविड केयर फैसिलिटी लेकर आ चुके हैं, ऐसे में प्रशासन का पूर्व निर्धारित एजेंसी को थोड़ी सी जगह दे देना और उसे कोविड केयर फैसिलिटी मान लेना पर्याप्त नहीं है। संस्थागत समर्थन का अभाव पीड़ादायक है।

एएडी के ऐसी, ईसी और फाइनैंस कमेटी के सदस्यों ने डीयू के कुलपति से इस पर तत्काल आधार पर निर्णय लेने का अनुरोध किया और कहा कि कमिटी के सदस्य अपने आस-पास होने वाली मौतों के लिए मूक दर्शक बने नहीं रह सकते हैं।

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