बदलूराम और टेनिस कोर्ट मे लड़ा गया दूसरा विश्वयुद्ध

शिवानी सिंह ठाकुर

बदलूराम का बदन जमीन के नीचे है तो हमें उसका राशन मिलता है…
यह गाना असम रेजीमेंट की मार्चिंग सॉन्ग है। असम  रेजीमेंट की पासिंग आउट परेड  (कसम परेड) में हर साल पूरे जोशों- खरोश के साथ नाचते झूमते गाते पाया जाता है।  लगभग 70 से भी ज्यादा  सालों से गाया जा रहा यह गाना दूसरे विश्वयुद्ध  की एक राइफलमैन की कहानी बताता है जिसनें युद्ध में  मौजूद ना रहकर भी   युद्ध जिताया। यह पूरा गाना कुछ इस तरह है:-
एक खूबसूरत लड़की थी..
उसको देखकर राइफलमैन…
चिंदी खींचना भूल गया।
हवलदार मेजर देख लिया
उसको पिट्ठू लगाया
बदलूराम एक सिपाही था
जापान वॉर में मर गया
क्वार्टर मास्टर स्मार्ट था
उसने राशन निकाला..
बदलूराम का बदन जमीन के नीचे है
तो हमें उसका राशन मिलता है
शाबाश…. हाल्लेलुयाह…
तो हमें उसका राशन मिलता है….

एक ऐसा गाना है जिसे अगर हम कसम परेड में सुन लें तो यह हमारे पूरे दिलो दिमाग में छप जाएगी, नाचती गाती पलटन को देखकर हमारा मन झूम उठेगा। यह गाना 1946 में मेजर एम.टी. प्रोक्टोर ने  राइफलमैन बदलूराम के किस्से पर ‘जॉन  ब्राउंस बॉडी’- बैटल हम्म  ऑफ दि रिपब्लिक  की तर्ज पर उसी ट्यून में लिखा। यह गाना सिर्फ अपनी ही रोचकता के लिए ही मशहूर नहीं है, बल्कि ये भारतीय सिपाहियों का दूसरे विश्वयुद्ध  भागीदारी की बातें बताता है।
15 जून 1941 को जापानियों के आने वाले युद्ध के खतरे को देखते हुए नागा, कुकी और भी  ऐसी पहाड़ी  योद्धा जनजातियों को लेकर आसाम रेजीमेंट को बनाया गया। 1942 में जापानियों ने रंगून पर कब्जा कर लिया। वहां से वह  तत्कालीन  ब्रिटिश बर्मा की ओर  बढे। तब उनका अगला लक्ष्य  ब्रिटिश भारत था।  1944 में एलाईड फोर्स ने  3 महीने चला बैटल ऑफ़ को कोहिमा और  बैटल ऑफ इंफाल  का आक्रमक युद्ध लड़ा जिसे ब्रिटेन के नेशनल वार  म्यूजियम ने ब्रिटेन का द्वितीय विश्वयुद्ध का  ग्रेटेस्ट बैटल कहा. कहा जाता है कि  बैटल ऑफ़ को कोहिमा और  बैटल ऑफ इंफाल  का युद्ध वाटरलू और नौरमंडे बैटल से भी ज्यादा भीषण था। एलाइड  फोर्स के  साउथ ईस्ट एशिया के सुप्रीम कोर्ट एलाइड कमांडर  आईल माउंटबेटन ने इसे ब्रिटिश-इंडियन थर्मोपैलै की संज्ञा दी। इस युद्ध की  भयावहता और इसमें हुए खूनखराबा को देखते हुए ही इस  युद्ध को ब्रिटिश-इंडियन थर्मोपैलै कहा गया है।
बदलू राम ज्यादा दिन तक  जिवित नहीं रहा इन भीषणता को देखने के लिए,  युद्ध मैदान में आने के कुछ ही दिन बाद उसकी मौत हो गई।   पर फिर भी उन्होंने अपने बटालियन की मदद की एक खास तरह से।  कहते हैं बदलू राम की मौत के बाद  क्वार्टर मास्टर  उसकी मौत की खबर अपने सुपीरियर को देना भूल गया  और उसका  राशन  बटालियन को मिलता रहा। जब जापानियों ने इनकी  सप्लाई लाइन ब्लॉक कर दी तब इसी  सरप्लस राशन ने बटालियन  को भूखे मरने से बचाया।  बदलू  राम ने  बिना रहे  अपनी बटालियन  की मदद की या कह सकते हैं क्वार्टर मास्टर की स्मार्टनेस ने उनकी जान बचाई।
द्वितीय विश्व युद्ध की लड़ाई पूरी तरह से ग्लोबल थी। नेपाली, अफ्रीकन और इंडियन सिपाहियों ने, ब्रिटिश अफसरों ने और अमेरिकी  वायु सेना ने मिलकर यह युद्ध लड़ा और जीता। द्वितीय विश्वयुद्ध की यह सबसे भीषण और आक्रामक लड़ाई मानी जाती है।

यह लड़ाई  एक समय में सिमटकर डिप्टी कमिश्नर के बंगले की टेनिस कोर्ट तक आ गई थी, जहां कोर्ट के एक तरफ जापानी और एक तरफ एलाईड  सेना थी।  दोनों सेनाएं कई दिनों तक  सिर्फ एक  यार्ड की दूरी पर थे। दोनों के मेडिकल कैंप खुले आसमानों के नीचे एक दूसरे के नजर के सामने थे। स्थानीय नागा वासियों का इस मे युद्ध बहुत बड़ा योगदान है चाहे वह इच्छा से हो या बिना इच्छा से, गांव के गांव पहले जापानी सैनिकों के बंधक बने जिन्हें ब्रिटिश सिपाही ने दोबारा कब्जा किया और इन मे से कुछ  अनुवादक बने, कुछ  सिपाही बनें तो कुछ मैसेंजर बने ये नागा ।

विशेषज्ञों ने युद्ध  को जरूर  ग्रेट माना  पर, फिर भी  द्वितीय विश्व युद्ध के इतिहास में  इतना महत्वपूर्ण होने के बाद भी आज के लोगों में इसके बारे में इतनी जागरुकता नहीं है इतनी जानकारी नहीं है। शायद इसलिए भी क्योंकि  यह हमें अपने  कॉलोनियल दिनों की याद दिलाता है।  उस समय के हमारे  लीडर  विश्व युद्ध में हमारी  योगदान के खिलाफ थे, तो कुछ जापानियों के साथ। पर इन सब के बावजूद भी इस युद्ध  की महानता को कम नहीं आंका जा सकता।  अगर   इस युद्ध में जापानियों ने ब्रिटिश सेना को हराकर भारत के  आजादी की लड़ाई को  एक नई सहायता दी होती तो शायद कुछ और ही होता  हमारा इतिहास… पर तय कुछ नहीं है।
यह गाना हमें उनकी याद दिलाता है, उस समय की उस लड़ाई की, उस बहादुरी की, उस बदल सकने वाले इतिहास की, इन योद्धाओं के योगदान की और उस  क्वार्टर मास्टर के स्मार्टनेस की। 2019 में जब भारतीय अमेरिकी युद्धधाभ्यास मे सैनिकों ने मिलकर इसे गाया तो ये वैश्विक एकता का प्रतिक बना।

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