कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने चुनावों में स्थानीय मुद्दों पर ध्यान देने की अपील की

Congress President Mallikarjun Kharge appealed to focus on local issues in the elections
(File Photo: Congress Twitter)

चिरौरी न्यूज

नई दिल्ली: कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने शुक्रवार को पार्टी कार्यकर्ताओं से चुनावों के लिए एक साल पहले ही तैयारी शुरू करने का आह्वान किया। उनका यह सुझाव दिल्ली और बिहार चुनावों के संदर्भ में खासतौर पर महत्वपूर्ण है, जो अगले साल होने हैं। उन्होंने यह चेतावनी भी दी कि चुनावों से पहले अनुकूल वातावरण हमेशा जीत में नहीं बदलता और पार्टी नेताओं से यह भी कहा कि वे राज्य चुनावों के लिए स्थानीय मुद्दों पर ध्यान दें, बजाय इसके कि वे सिर्फ “राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं” पर निर्भर रहें।

कांग्रेस कार्यसमिति (CWC) की पहली बैठक में खड़गे ने पार्टी की महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों में हुई खराब प्रदर्शन पर चर्चा की। खड़गे ने कहा, “हमारी बार-बार हार के कारण फासीवादी ताकतें अपनी जड़ें मजबूत कर रही हैं। वे एक-एक कर राज्य के संस्थानों पर कब्जा कर रही हैं।”

अपनी उद्घाटन भाषण में खड़गे ने कहा, “चुनावों के दौरान वातावरण हमारे पक्ष में था, लेकिन केवल वातावरण का हमारे पक्ष में होना जीत की गारंटी नहीं है। हमें इस वातावरण को परिणाम में बदलना सीखना होगा,” और पूछा कि पार्टी इसका फायदा क्यों नहीं उठा पाई।

दिल्ली और बिहार चुनावों के मद्देनजर खड़गे ने जल्द से जल्द चुनावी तैयारियों का आह्वान किया। उन्होंने कहा, “हाल की चुनावी परिणाम यह संकेत देते हैं कि हमें राज्यों में चुनावी तैयारियां कम से कम एक साल पहले शुरू करनी चाहिए। हमारी टीमों को समय से पहले मैदान में होना चाहिए। सबसे पहले हमें मतदाता सूची की जांच करनी चाहिए ताकि हमारे समर्थकों के वोट हर हाल में सूची में बने रहें।”

पार्टी की चुनावी रणनीति में बदलाव की आवश्यकता पर जोर देते हुए खड़गे ने कहा, “हमें यह देखना होगा कि हमारे राजनीतिक विरोधी क्या कर रहे हैं। हमें समय पर निर्णय लेने होंगे। जिम्मेदारी तय करनी होगी।”

उन्होंने यह भी कहा, “कभी-कभी हम खुद अपने सबसे बड़े दुश्मन बन जाते हैं। हम अपने बारे में नकारात्मक और निराशाजनक बातें करते हैं और कहते हैं कि हमारे पास कोई कहानी नहीं है, तो मैं पूछता हूं कि यह कहानी बनाने और उसे जनता तक पहुंचाने की जिम्मेदारी किसकी है?”

हाल के चुनावों पर खड़गे ने कहा, “ये परिणाम हमारे लिए एक संदेश हैं। हम चुनाव हार सकते हैं, लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं कि बेरोज़गारी, महंगाई, आर्थिक असमानता देश के जलते हुए मुद्दे हैं। जाति जनगणना भी आज एक महत्वपूर्ण मुद्दा है। संविधान, सामाजिक न्याय और सौहार्द जैसे मुद्दे लोगों के मुद्दे हैं।”

उन्होंने यह भी कहा कि राज्य चुनावों के लिए स्थानीय मुद्दों को समझना और उस पर ठोस अभियान रणनीति बनाना जरूरी है। “यह नहीं कि हम राज्य चुनावों को केवल राष्ट्रीय मुद्दों और राष्ट्रीय नेताओं के सहारे लड़ें,” खड़गे ने कहा।

खड़गे ने पार्टी में अनुशासन की भी अहमियत पर जोर दिया और कहा, “अगर हम एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ेंगे और एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी करते रहेंगे तो हम अपने विरोधियों को कैसे हरा सकते हैं?”

उन्होंने अंत में कहा, “समय बदल चुका है। चुनाव लड़ने के तरीके बदल गए हैं। हमें अपनी माइक्रो-कम्युनिकेशन रणनीति को विरोधियों से बेहतर बनानी होगी। हमें प्रचार और भ्रांतियों से निपटने के तरीके भी तलाशने होंगे। पिछले परिणामों से हमें सीखना होगा और कमी को दूर करना होगा। कठिन फैसले लेने होंगे।”

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