विदेशी के भरोसे, लात मारो अपनी फुटबॉल को

राजेंद्र सजवान

आम भारतीय फुटबाल प्रेमी आजकल इसलिए परेशान है क्योंकि उसे कोविड 19 के चलते यूरोप और लेटिन अमेरिकी फुटबालरों  के जलवे देखने को नहीं मिल पा  रहे। ऐसे में जबकि पूरी दुनिया के खेल ठप्प पड़े हैं और वापसी के लिए छटपटा रहे है, तो दुनियाभर के फुटबाल प्रेमियों की बेचैनी को समझा जा सकता है।

स्पेन, जर्मनी, इटली, इंग्लैंड और तमाम देशों के लीग मुकाबलों के फिर से शुरू होने का मतलब है कि कोरोना की दर्दनाक और भयावह यादों को भुलाने में फुटबाल कुछ हद तक मददगार साबित हो सकती है। लेकिन कोरोना के घाव तो हमें भी लगे हैं पर हमारी फुटबाल की कहीं कोई चर्चा क्यो नहीं है? कल तक हम जिन्हें ब्ल्यू टाइगर्स कहते नहीं थकते थे, उनको जैसे भुला दिया गया है ? सच तो यह है कि हमारी फुटबाल के पास कोई योजना तो है नहीं। हालांकि वर्ल्ड कप 2022 के क्वालिफ़ाइंग  मुक़ाबले खेले जाने बाकी हैं पर उनकी खोज खबर  नहीं ली जा रही?

इसमें दो राय नहीं कि स्पेन, ब्राज़ील, इंग्लैंड, इटली, जर्मनी, अर्जेंटीना, उरुग्वे, पुर्तगाल, फ्रांस जैसे देशों ने विश्व फुटबाल को कई महान खिलाड़ी दिए हैं, जोकि देश की सीमाओं को तोड़कर फुटबाल जगत में जाने पहचाने गए।

पेले और माराडोना हर एक  फुटबाल प्रेमी के आदर्श  खिलाड़ी बने तो आज के दौर में मेस्सी, रोनाल्डो, नेमार और कई अन्य खिलाड़ी चर्चा में हैं। उनके लोकप्रियता का ग्राफ इतना उँचा है कि आम भारतीय भी जब तब पूछ रहा है कि मेस्सी की फिटनेस कैसी है, रोनाल्डो क्या युवेन्टस छोड़ रहा है और क्या नेमार बार्सिलोना में लौट सकता है? यह भी पूछा जा रहा है  कि कोरोना के कारण नियमों में बदलाव और तमाम सावधानियों के चलते क्या दुनिया का नंबर एक खेल पहले की तरह पसंद किया जाएगा?

हैरानी वाली बात यह है कि कोई भी भारतीय फुटबाल प्रेमी अपनी फुटबाल के बारे में ज़रा भी उत्सुकता नहीं दिखा रहा। लगता है जैसे भारतीय फुटबाल की कोरोना ने हवा निकाल दी हो। देखा जाए तो भारतीय फुटबाल का प्रदर्शन ही इतना खराब रहा है कि उसे अपने भी कोई भाव नहीं देना चाहते।

जो टीम अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश जैसी टीमों से पार नहीं पा सकती और  जिसका खेल देखने अपने भी नहीं पहुँचते उसे भला कोई क्यों याद करे। पिछले चालीस सालों से सुन रहे हैं कि हमारी टीम विश्व कप खेलने की तैयारी में है। लेकिन भारतीय फुटबाल के नसीब में तो एशियाड भी नहीं रहा।बेचारे हमारे फुटबाल प्रेमी , गम गलत करने के लिए विदेशी फुटबाल को अपना समझ बैठे हैं।

(लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार और विश्लेषक हैं। ये उनका निजी विचार हैचिरौरी न्यूज का इससे सहमत होना आवश्यक नहीं है।आप राजेंद्र सजवान जी के लेखों को  www.sajwansports.com पर  पढ़ सकते हैं।)

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